कल पटना में जेडीयू के मिलन समारोह से पहले क्या लोजपा में मच गई भगदड़, कद्दावर नेता रामेश्वर चौरसिया का भी इस्तीफा
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनावों के समय से ही राजनीतिक दलों के नेताओं के एक दल से दूसरे दल में आने-जाने का सिलसिला लगातार चल रहा है। राज्य के सभी प्रमुख दलों के कई नेता एक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हुए। यह क्रम चुनाव बीत जाने के बाद भी चल रहा है।
चुनाव के बाद एक निर्दलीय तथा बहुजन समाज पार्टी के एक विधायक भी जेडीयू में शामिल हो चुके हैं। इधर कल 18 फरवरी को पटना में जेडीयू द्वारा एक 'मिलन समारोह' का आयोजन किया गया है और कहा जा रहा है कि इस मौके पर दूसरे दलों के कई नेता जेडीयू में शामिल होंगे।
इस बीच आज बुधवार को लोक जनशक्ति पार्टी के कद्दावर नेता रामेश्वर चौरसिया ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। रामेश्वर चौरसिया ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान को भेज दिया है।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा, 'लोजपा ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुझे मौका दिया इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं। लेकिन अब इस दल में रहने का कोई मतलब नहीं रह गया, मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।'
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय रामेश्वर चौरसिया ने बीजेपी से बगावत कर अचानक लोजपा का दामन थाम लिया था। लोजपा में शामिल होते ही पार्टी की ओर से उन्हें सासाराम विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया गया था।
उस वक्त उन्होंने कहा था कि एलजेपी से चुनाव लड़ना, बीजेपी से चुनाव लड़ने के समान ही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना फायदा देखते हैं। रोहतास जिले की दो सीट नोखा और सासाराम बीजेपी के खाते में थीं। ये सीट जेडीयू के नाम कर दी गईं। उन्होंने कहा था कि उस समय काफी दुख हुआ, जब पार्टी ने इस लायक भी नहीं समझा कि चुनाव लड़ सकूं। नीतीश कुमार बीजेपी को बर्बाद करने में तुले हुए हैं।
विदित हो कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद से एलजेपी में भगदड़ का दौर चल रहा है। कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। जनवरी में पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान के खिलाफ 27 नेताओं ने बगावत की। उनकी अगुवाई पार्टी से निष्कासित बागी नेता केशव सिंह ने की। इसके पहले एलजेपी ने केशव सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित किया जा चुका था।
इस बीच जेडीयू की ओर से कल आयोजित किए जानेवाले मिलन समारोह को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि मिलन समारोह में लोजपा के कई बड़े चेहरे जेडीयू का दामन थाम सकते हैं।
बता दें कि लोजपा के बागी नेता केशव सिंह ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी है कि 18 फरवरी को लोजपा में बड़ी टूट होगी। पार्टी के करीब 60 से ज्यादा असंतुष्ट नेता जेडीयू में शामिल होंगे। जिसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है। केशव सिंह ने यह भी दावा किया था कि शामिल होने वाले नेताओं में 10 पार्टी के बड़े पदाधिकारी हैं, जो चिराग पासवान की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं।
केशव सिंह ने पिछले दिनों पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान पर कई आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा महज लोगों को चीट करने के लिए था। उनका मकसद पैसा फर्स्ट पंजाबी फर्स्ट का था। जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए दिन रात लगे रहे उनको तवज्जो ना देकर बाहरी लोगों को टिकट दिया गया। इससे पार्टी के जमीनी नेता नाराज हूं। उन्होंने पार्टी फंड में भी घोटाला का आरोप लगाया था।