Hate Speech Row: नुपुर शर्मा विवाद में फ्रिंज एलिमेंट की क्यों है चर्चा, जानिए इस शब्द का पूरा इतिहास और मतलब
Hate Speech Row: नुपुर शर्मा विवाद में फ्रिंज एलिमेंट की क्यों है चर्चा, जानिए इस शब्द का पूरा इतिहास और मतलब
Hate Speech Row : भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ( Nupur sharma ) को पैगंबर मोहम्मद ( Prophet Mohammad ) के खिलाफ एक बयान देने के छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है जबकि दिल्ली प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उसके बाद से देश और दुनिया की मीडिया में फ्रिंज ( fringe element ) शब्द एक बार फिर से चर्चा में है। साथ ही ये भी पूछा जा रहा है कि क्या नुपुर शर्मा भाजपा के फ्रिंज एलिमेंट हैं। अगर हां, भाजपा में उग्र बयान देने वाले तो कई मंत्री और अन्य नेता भी हैं, तो फिर उन्हें भी क्यों न फ्रिंज एलिमेंट माना जाये।
इन बातों को लेकर फ्रिंज एलिमेंट ( fringe element ) शब्द सुर्खियों में हैं। लोग यह जानना चाहते हैं कि फ्रिंट एलिमेंट है और इसका इतिहास क्या है?
फ्रिंज शब्द चर्चा में क्यों?
दरअसल पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादित बयान पर कार्रवाई से पहले कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल को वहां के विदेश मंत्रालय ने तलब किया था। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूत के सामने बहुत सख्ती से इसका विरोध किया। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कतर ने भारत से माफी मांगने के लिए भी कहा। तब भारत के राजदूत ने कतर से कहा कि जो बयान दिए जा रहे हैं, वह भारत सरकार के विचार नहीं है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि देश के कुछ फ्रिंज एलिमेंट ( fringe element ) यानी इधर-उधर के छुटभैया लोग इस तरह के बयान दे रहे हैं। इससे भारत के बारे में धारणा नहीं बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सभी धर्मों का सम्मान करने वाला देश है और हर धर्म को फलने-फूलने के अवसर भारत में मिलते हैं।
भारतीय राजनयिक दीपक मित्तल की ओर से आधिकारिक रूप से यह बताने के बाद कि नुपुर शर्मा फ्रींज एलिमेंट ( fringe element ) हैं, भारतीय राजनीति में नया बखेड़ा सामने आ गया। सभी पूछने लगे कि तक तो फिर खुद भारतीय जनता पार्टी क्या है? वह तो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है फिर उसकी प्रवक्ता फ्रींज एलिमेंट कैसे हुई? इसी तरह दिल्ली प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी को फ्रींज एलिमेंट कैसे कहा जा सकता है? वैसे भड़काऊ भाषण और नफरत फैलाने वाली टिप्पणी तो केंद्रीय मंत्रियों ने भी की है तो क्या उनको भी फ्रींज एलिमेंट कहा जाएगा?
क्या है फ्रिंज एलिमेंट
सामान्य शब्दों में कहते तो फ्रिंज एलिमेंट वो है जो कभी मुख्यधारा में था लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं है उसे फ्रिंज एलिमेंट कहा जाता है। इस बात को नुपुर शर्मा ( Nupur Sharma ) और नवीन जिंदग मामले से आसानी से समझा जा सकता है। जब तक वो भाजपा के लिए उपयोगी रहीं तब तक वो बेहतर प्रवक्ताओं में शुमार रहे, जैसे ही बात देश की साख और दुनिया भर में बदनामी की आई तो उन्हें फ्रिंज एलिमेंट बता दिया गया।
ये फ्रिंज एलिमेंट का इतिहास
दरअसल, फ्रिंज एलिमेंट ( fringe element ) का जिस टर्म में उपयोग होता है, उस लिहाज से देखें तो इसका अस्तित्व हमेशा से रहा है लेकिन इसका प्रचलन 17वीं सदी से ज्यादा होने लगा है। 17वीं सदी में इसका प्रचलन टेक्सटाइल इंडस्ट्री से शुरू हुआ, उसके बाद यह ज्वेलरी इंडस्ट्री में भी प्रचलन में हैं। फ्रिंज शब्द को एक ऐसी खासियत के प्रयोग किया जाने लगा जो अपने आप में सबसे अलग हो। चाहे तो भड़कदार ही क्यों न हो। उसके बाद से फ्रिंज शब्द का इस्तेमाल बुलियन फ्रिंज, कैंपेन फ्रिंज और थ्रेड फ्रिंज के रूप में किया जाता है। अब इसका इस्तसेमाल सियासी तौर पर भी होने लगा है। राजनीति में इसका इस्तेमाल मुख्यधारा से हटकर अलग विचारों के रूप में लिया जाता है। जो सहज या अहसज करने वाला भी हो सकता है। वैसे फ्रिंज शब्द का अधिकांशतया इस्तेमाल निगेटिव टर्म में होता है।
चिदंबरम का तंज, भाजपा ने क्यों कहा नुपुर की लाइन पार्टी से अलग
नुपुर शर्मा पर कार्रवाई वाले पत्र में भाजपा ने लिखा कि आपने कई मुद्दों पर पार्टी के नजरिए के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं। भाजपा का नजरिया नजरिया अलग है। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि तो भाजपा का नजरिया क्या क्या है? खासकर मुसलमानों और ईसाइयों को लेकर! वे लिखते हैं कि 2012 में गुजरात की चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी कहते हैं-"अगर हम पांच करोड़ गुजरातियों का आत्मसम्मान और मनोबल बढ़ाते हैं तो अली, मली और जमाली की योजनाएं हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। इसका मतलब क्या होता है?
ये फ्रिंज एलिमेंट नहीं, भाजपा की विचारधारा है : हामिद अंसारी
देश के पूर्व उप राष्ट्रपति हामित अंसारी कहते हैं - नुपुर शर्मा ( Nupur sharma ) फ्रिंज एलिमेंट ( fringe element ) नहीं है। ये पार्टी की आइडियोलॉजी है। ये आज से नहीं, कई सालों से चल रही है। 2009 का भाजपा कोा जो इलेक्शन मेनिफेस्टो है वो पढ़ लीजिए, उसमें भी यहीं बाते हैं। एक संविधान है वो हमारा धर्म है। इसके आगे जो धर्म को मानते हैं वो प्राइवेट बात है। सरकारी धर्म हमारा संविधान है। ये एक्सीडेंटल बात नहीं है। उस पार्टी ने ये आइडियोलॉजी बनाई हुई है और उसका ये ही नतीजा है। जिसने जो कहा वो अनपढ़ नहीं है। अंसारी ने कहा कि ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी। इस तरह से धार्मिक मामले में गालीगलौज पर उतर आना गलत है। अगर हुआ है तो इसे ठीक करने में समय लगेगा और इसके तरीके हैं।
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