अर्णब गोस्वामी ने माफी मांगने में तोड़ा हिंदुत्व के नायक सावरकर का रिकाॅर्ड, 4 महीने में मांगी 280 बार माफी
नई दिल्ली, जनज्वार। अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी ने माफी मांगने के मामले में भी रिकॉर्ड बनाया है। रिपब्लिक भारत के दर्शकों, और सरकार समर्थकों के चहेते और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार लिस्टिंग में प्राथमिकता प्राप्त अर्णब गोस्वामी ने 44 दिनों में 280 बार माफी मांगकर माफी मांगने का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। फिलहाल, इस समय वे ब्रिटेन की ऑफकाम संचार रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा लगाये गए बीस लाख जुर्माना भरने में बिजी है।
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क चैनल और उसके एंकर अर्णब गोस्वामी के कार्यक्रम 'पूछता है भारत' के दिनांक 6 सितंबर 2019 को प्रसारित एक कार्यक्रम पर इंग्लैंड की ब्रॉडकास्टिंग रेगुलेटरी संस्था ऑफकॉन ने आपत्ति जताई और रिपब्लिक टीवी से यह जवाब तलब किया कि उन्होंने ऐसा कार्यक्रम जो धर्म और जाति के बीच वैमनस्यता फैलाता है, उसे क्यों प्रसारित किया?
रिपब्लिक टीवी ने इसे अपनी गलती मानते हुए कहा कि यह, ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस कोड के सेक्शन 3 के अंतर्गत की गयी पहली गलती है और यह गैरइरादतन यानी अनइंटेशनल की गयी है।
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रिपब्लिक टीवी ने यह भी ऑफकॉम को सूचित किया है कि, उसने इस गलती पर माफी भी मांगी है और 26 फरवरी 2020 से 9 अप्रैल 2020 तक, प्रतिदिन, हर घंटे की माफी अंग्रेजी और हिंदी में प्रसारित की है, यानी कुल 28012 बार खेद व्यक्त करने की सूचना जनता में प्रसारित की गयी है।
सोशल मीडिया पर अर्नब गोस्वामी की तुलना अब हिंदुत्व के कर्णधार और संघियों के आदर्श नायक सावरकर से की जा रही है, जिन्होंने अपनी रिहाई के लिए ब्रिटिश सरकार को कई पत्र लिखे थे। गोस्वामी ने 26 फरवरी, 2020 से 9 अप्रैल, 2020 तक दिन के दौरान ब्रिटेन में अपने चैनल पर 280 बार माफी मांगी है।
पढ़िए माफीनामा
संचार विभाग का संचार नियंत्रक (रेगुलेटर) ऑक्सफॉम ने, 6 सितंबर 2019 की 'पूछता है भारत' कार्यक्रम में प्रसारित एक एपीसोड में, कुछ शब्दों, जो उक्त कार्यक्रम में प्रयोग किये गए थे को, आक्रामक (ऑफेंसिव) बताया और उससे कुछ दर्शकों की भावनायें आहत हो सकती हैं, पाया है। यदि उन शब्दों से किसी धर्म या किसी व्यक्ति विशेष की भावनाएं आहत हुयी हों तो रिपब्लिक मीडिया टीवी नेटवर्क माफी मांगता है।
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यूरोपियन कन्वेंशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) के अनुच्छेद 10 में, ब्रॉडकास्टर और दर्शकों के लिये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लेख है, पर यदि किसी की भावना को चोट पहुंचाती है तो ऑफकॉम, जो संचार रेगुलेटरी अथॉरटी है वह इस पर जांच और कार्यवाही कर सकती है। इस अनुच्छेद को लागू करते समय यह ऑफकॉम की जिम्मेदारी है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दर्शकों की भावनाओ के आहत होने के बीच एक संतुलन बनाये रखे। यह उसका कर्तव्य है कि वह दोनों ही दायित्वों का निर्वहन कुशलतापूर्वक करे।