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राजनीति

Gujarat Chunav 2022 : इस बार अलग क्यों है विधानसभा का चुनाव?

Janjwar Desk
15 Nov 2022 7:53 AM GMT
Gujarat Chunav 2022 :  इस बार अलग क्यों है विधानसभा का चुनाव?
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Gujarat Chunav 2022 : इस बार अलग क्यों है विधानसभा का चुनाव?

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात में कांग्रेस 2001 से लगातार जमीन खोती जा रही है। उसके सामने भाजपा को हराने के साथ विपक्ष की कुर्सी बचाने की भी चुनौती है। विपक्ष की कुर्सी इसलिए कि आप के आक्रामक अंदाज की वजह से गुजरात में सियासी हवा बदलती दिखाई देने लगी है।

Gujrat Chunav 2022 : गुजरात में विधानसभा चुनाव ( Gujrat Assembly Election ) के लिए एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है। किसकी होगी हार और किसकी होगी जीत, इसको लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसा इसलिए कि इस बार गुजरात चुनाव काफी मजेदार होने वाले हैं। आप ( AAP ) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) और एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ( AIMIM Supremo Asadudding Owaisi ) की एंट्री ने यहां के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

चरम पर आंतरिक असंतोष और भीतरघात

गुजरात चुनाव ( Gujrat Chunav 2022 ) दिलचस्प और रोचक इसलिए कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा ( BJP ) और कांग्रेस ( Congress ) में असंतोष और विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। दोनों पार्टियां डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज में लगी हुई हैं। भाजपा ने अहमदाबाद और उत्तरी गुजरात के 16 उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए हैं। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस ने मध्य और उत्तरी गुजरात क्षेत्रों के लिए 30 से अधिक उम्मीदवारों का नाम घोषित नहीं किए हैं। यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र की लगभग एक दर्जन सीटों पर भाजपा को पार्टी कैडर के असंतोष और विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है।

14 नवंबर की ही तो बात है। पूर्व विधायक धवल जाला के एक हजार से अधिक समर्थक गांधीनगर स्थित प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचे और मांग की कि जाला को उत्तरी गुजरात की बयाद सीट से उम्मीदवार घोषित किया जाए। पार्टी ने मिस्टर जाला की जगह पूर्व विधायक भीखीबेन को चुना है। इसी तरह पूर्व मंत्री रणछोड़ रबारी के समर्थकों ने पाटन में शक्ति प्रदर्शन किया और उनके लिए टिकट की मांग की। हालांकि अभी तक पाटन से उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है।

दूसरी तरफ कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ताओं ने शहर में पार्टी मुख्यालय का रुख किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने अहमदाबाद शहर की वटवा जैसी कई सीटों पर बदलाव की मांग की। स्थिति यह है कि 13 नवंबर को भाजपा और कांग्रेस दोनों को वाधवान और बोटाद सीटों के लिए उम्मीदवार बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाजपा ने पहले सौराष्ट्र में वाधवान सीट के लिए जिगनाबेन पंड्या की घोषणा की थी, लेकिन ओबीसी नेता और सुरेंद्रनगर जिला भाजपा अध्यक्ष जगदीश मकवाना के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिससे पार्टी को पांड्या को मकवाना के साथ बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। डेडियापाड़ा से दो पूर्व विधायक जगत वसावा और कोडिनार से मोहन वाला ने टिकट नहीं दिए जाने के बाद 14 नवंबर को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

बोटाद में कांग्रेस ने पहले रमेश मेर को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन एक अन्य दावेदार मनहर पटेल के समर्थकों ने धमकी दी कि अगर पटेल को मैदान में नहीं उतारा गया तो वे पार्टी के खिलाफ काम करेंगे। इसके बाद, पार्टी ने मेर की जगह मनहर पटेल को नियुक्त किया। यानि ओबीसी नेता की जगह पटेल प्रत्याशी को प्राथमिकता दी। पार्टी के अंदर असंतोष का अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि असंतुष्टों को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 13 नवंबर को राज्य के नेताओं के साथ डैमेज कंट्रोल के मकसद से एक के बाद एक कई बैठकें की।

आप की सक्रियता चौंकाने वाली

इन सबके बीच गुजरात में आम आदमी पार्टी की सक्रियता चौंकाने वाली है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मात देने के लिए आप ने जिस आक्रामकता के साथ चुनाव प्रचार की है, उसने कांग्रेस के समक्ष भी सियासी मुसीबत खड़ी कर दी है। आप के इस प्रयास ने उसे कांग्रेस के बराबर ला खड़ा किया है। दूसरी तरफ मोदी और शाह के सामने चुनौती यह कि अगर वो चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 केंद्रीय सत्ता में वापसी करें तो उन्हें गुजरात चुनाव में अपनी मजबूत पकड़ का प्रदर्शन करना होगा।

कांग्रेस : भाजपा को हराने के साथ विपक्ष की कुर्सी बचाने की भी चुनौती

जहां तक कांग्रेस की बात है कि वह 2001 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद से लगातार जमीन खोती जा रही है। उसके सामने भाजपा को हराने के साथ विपक्ष की कुर्सी बचाने की भी चुनौती है। विपक्ष की कुर्सी इसलिए कि आप के आक्रामक अंदाज से गुजरात में सियासी हवा बदलती सी दिखाई देने लगी है। यानि कांग्रेस को 2017 वाला प्रदर्शन कर पाई तो सत्ता बनाने के दहलीज पर होगी, वहीं वो इसमें चूकती है तो ये भी हो सकता है कि वो विपक्षी पार्टी का दर्जा होने की हैसियत भी लूज कर जाए। फिर आम आदमी के रुख से साफ है कि भले उसकी सरकार गुजरात में न बने, पर इस जोड़तोड़ में जुटी है कि वो कांग्रेस की जगह ले ले।

ये है BJP की चिंता

हालंकि 2017 के चुनाव में आप के एक भी विधायक चुनाव नहीं जीत पाये थे, लेकिन इस बार वह भाजपा और कांग्रेस दोनों को चोट पहुंचाने की स्थिति में आ गई है। केजरीवाल ने पंजाब वाल दांव गुजरात में भी चल दिया है। यही वहज है कि इस बार गुजरात चुनाव पहले से अलग है। 2017 तक गुजरात में भाजपा—कांग्रेस की मुख्य पार्टी रही है, लेकिन इस बार वैसा नहीं है। इन संभावनों को देखते हुए पीएम मोदी और उनके गृह मंत्री अमित शाह अपने गृह राज्य में कोई चूक नहीं करना चाहते। संकट की आहट की वजह से ही दोनों के एक पांव गुजरात में होते हैं तो एक पांव दिल्ली में होते हैं।

Congress की नहीं हुई अभी तक बड़ी रैली

फिलहाल, कांग्रेस संभावित असर से बेपरवाह बनी हुई है। राहुल गांधी भारज जोड़ो यात्रा में जुटे हैं। सोनिया गांधी की अभी तक एक भी रैली नहीं हुई है। प्रियंका गांधी ने सितंबर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था। उसके बाद से वो भी गुजरात चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए गुजरात पहुंची थी। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने गुजरात का दौरा कर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने वाला काम किया है।

पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल 24 अगस्त को राज्य के नेताओं और वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत और गुजरात प्रभारी रघु शर्मा के साथ तैयारियों की समीक्षा के लिए अहमदाबाद में थे। कांग्रेस ने राज्य के 26 संसदीय क्षेत्रों में से प्रत्येक की देखरेख के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के सात कार्यकारी अध्यक्षों को नियुक्त किया है और गहलोत की देखरेख में शर्मा की सहायता के लिए चार अन्य नेताओं को नियुक्त किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव प्रभारी हैं और वो गुजरात की राजनीति से बेहतर ​तरीके से वाकिफ भी हैं।

गुजरात में कोई नहीं ले सका कांग्रेस-भाजपा का स्थान

तीसरा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल का मानना ​​है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। गुजराती समाज के लोग आप को तवज्जो नहीं देंगे। गुजरात में कोई तीसरा पक्ष कभी सफल नहीं हुआ। चिमनभाई पटेल ने किसान मजदूर लोक पक्ष, शंकरसिंह वाघेला राष्ट्रीय जनता पार्टी, जन विकल्प और इस बार प्रजाशक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी और दिग्गज स्वर्गीय केशुभाई पटेल (गुजरात परिवर्तन पार्टी) जैसे दिग्गज नेता आये लेकिन लोगों ने भाजपा और कांग्रेस की तुलना के और को पसंद नहीं किया। आंशिक तौर पर आप की आक्रामक चाल और उसे जो प्रतिक्रिया मिल रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप कांग्रेस का जगह ले लेगी या सरकार बनाने की स्थिति में होगी।

Gujrat Chunav 2022 : बता दें कि 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को चुनाव होंगे। मतों की गिनती 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की 89 सीटों पर 1 दिसंबर को दूसरे चरण की शेष 91 सीटों के लिए 5 दिसंबर को मतदान होगा और 17 नवंबर को नामांकन भरने का आखिरी दिन है।

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