हरीश रावत ने गुरुद्वारे में साफ किए जूते - लगाया झाड़ू, 'पंज प्यारे' वाले बयान का किया प्रायश्चित
जनज्वार। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव हरीश रावत ने शुक्रवार को गुरूद्वारे में झाड़ू लगाकर और जूते साफकर अपने पंज प्यारे वाले बयान का प्रायश्चित किया। रावत माफी पहले ही मांग ली थी और गुरुद्वारे में सफाई करने की बाद कही थी। उन्होंने ऊधम सिंह नगर के नानकमत्ता गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के जूते साफ किए।
बता दें कि मंगलवार 31 अगस्त को चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन में पार्टी की बैठक हुई थी। इसके बाद हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और उनके चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए 'पंज प्यारे' शब्द का इस्तेमाल किया था। सिख परंपरा में पंज प्यारे संबोधन गुरु के पांच प्यारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह और उनके पांच अनुयायियों से जुड़ा हुआ है जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा- "नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहब में मैंने प्रायश्चित स्वरूप कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई की। मैं, सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ।"
एक दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा- "नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहब में मैंने प्रायश्चित स्वरूप कुछ देर जूते साफ किये। मैं, सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ।"
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने हरीश रावत की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और माफी की मांग की थी। शिअद के नेता दलजीत सिंह चीमा ने रावत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना करते हुए मांग की थी कि लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए राज्य सरकार को उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।
हरीश रावत कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी हैं। उन्होंने कहा था कि वह अपने राज्य उत्तराखंड में गुरुद्वारे में सफाई कर अपनी इस गलती का प्रायश्चित करेंगे। हरीश रावत इन दिनों उत्तराखंड में परिवर्तन यात्रा पर निकल पड़े हैं। ऐसे में वह मंगलवार को नानकमत्ता पहुंचे। इसी दौरान वह गुरुद्वारे में भी पहुंचे।