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राजनीति

चुनावी जीत को लेकर मायावती के दावों में कितना है दम?

Janjwar Desk
23 Feb 2022 4:55 AM GMT
चुनावी जीत को लेकर मायावती के दावों में कितना है दम?
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UP Election 2022 : यूपी की राजनीति में मायावती के दावों को खारिज करना आसान नहीं है। मायावती कई बाार अपने विरोधियों के लिए साइलेंट किलर की तरह काम करती हैं।

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा के चौथे चरण में सुबह से मतदान ( Vorting ) जारी है। मतदान शुरू होती ही बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ( Mayawati ) ने भी लखनऊ के मोंटेसरी स्कूल में मतदान किया। मतदान के बाद उन्होंने कहा कि बसपा ( BSP ) को अकेले सभी वर्गों का वोट मिल रहा है। भाजपा ( BJP) , सपा ( SP ) जीत का दावा कर रहे हैं। कहीं, ऐसा न हो कि उनके दावे धरे के धरे रह जाएं। जब नतीजे आएंगे तो बसपा को 2007 की तरह पूर्ण बहुमत मिलेगा।

अब सवाल यह है कि मायावती ( Mayawati ) ने ये दावा किस आधार पर किया है। इस बार यूपी का चुनाव लगभग द्विध्रुवीय है। इसके बावजूद मायावती की बातों को खारिज करना आसान नहीं हैं। मायावती यूपी की राजनीति में कई बाार साइलेंट किलर की तरह काम करती हैं। यही वजह है कि वो यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 2007 में अपने सोशल इंजीनियरिंग ( Social Engineering ) के दम पर बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब हुईं थी। तो क्या इस बार भी मायावती को 2007 की तरह वोट मिलने की संभावना है।

सरसरी तौर पर देखें तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि इस बार मुस्लिम मतदाताओं का लगभग स्पष्ट रुझान सपा की ओर है। अखिलेश यादव ( Akhilesh yadav ) ने न केवल मुस्लिम मतदाताओं ( Muslim Voters ) के बीच खुद की छवि पहले से ज्यादा मजबूत की है, बल्कि वह गैर जाटव दलित और ब्राह्मणों के बीच भी घुसपैठ करने में कामयाब होते दिख रहे हैं। यही वजह है कि वो चुनावी जीत का दावा सबसे ज्यादा विश्वास के साथ करते नजर आ रहे हैं।

अगर ऐसा है तो फिर मायावती किस आधार पर कह रहीं हैं कि परिणाम भाजपा और सपा के दावों के उलट आ सकते हैं। इसलिए लोगों को 10 मार्च का इंतजार करना चाहिए। क्या इस बार भी मायावती ( BSP supremo mayawati ) साइलेंट किलर की तरह काम कर रही हैं। दअरसल, मायावती ने भी दलितों, मुस्लिमों और ब्राह्मणों को तवज्जो देते हुए सभी वर्गों को प्रत्याशी बनाया है। वेस्ट यूपी में उन्होंने पहले की तुलना ज्यादा संख्या में जाट प्रत्याशी उतारे हैं। यह उनकी ओर से संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है। साथ ही बसपा के कैडर वोट पर भी ध्यान दिया है। लेकिन इसका असर पब्लिक डोमेन मे प्रभावी नहीं है। तो क्या, मायावती यूपी की राजनीति में वो देख रही हैं, जो उनके विरोधी अभी नहीं देख पा रहे हैं।

गौर कीजिए, तीसरे चरण का मतदान होने के बाद न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि बीएसपी ने अपनी प्रासंगिकता समाप्त नहीं हुई है। मैं मानता हूं कि उनको वोट आएंगे। सीट में कितना कन्वर्ट होगा, वो मालूम नहीं, लेकिन वोट आएंगे। मुसलमान भी कफी संख्या में बसपा से जुड़ेंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि नफा-नुकसान ऐसे नहीं होता है। वो सीट स्पेसिफिक होता है। राजनीति में इस तरह के आकलन नहीं होते। बीएसपी की रेलिवेंसी समाप्त हो गई है, ये बात ठीक नहीं है।

बीएसपी के वोटर जमीन पर हैं। उनको वोट कर रहे हैं। इस तरह की बात करने के पीछे हो सकता है कि अमित शाह की अपनी राजनीति हो। वो ऐसा बयान देकर मुसलमान वोट को बांटना चाह रहे हों। इसलिए वो मायावती ( Mayawati ) को एक मुख्य चैलेंजर के तौर पर पेश कर रहे हों। ताकि सपा को झटका लगे। ऐसा शाह इसलिए कर सकते हैं कि यूपी चुनाव में इस बार एक पर्सेप्शन यह बन रहा है कि मुसलमान समाजवादी पार्टी के साथ है। अगर उसके वोट में बंटवारा होता है तो भाजपा को लाभ हो सकता है।

UP Election 2022 : मायावती के दावों में सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि कुछ ऐसे सियासी फैक्टर हैं जिसको लेकर मायावती भले ही प्रयासरत नहीं दिखाई दे रहीं हैं लेकिन बसपा का उसका लाभ मिल सकता है। यहां पर गौर करने वाली बात है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म् हो चुके हैं और अब पूर्वी उत्तर प्रदेश की बारी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहराइच, गोंडा, आज़मगढ़, मऊ, वाराणसी जैसे इलाकों में मुसलमान वोटरों की तादाद काफ़ी है।

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