'द्विपक्षीय मामलों में व्यापार की धौंस देकर किया जा रहा हस्तक्षेप देश की संप्रभुता के साथ गंभीर खिलवाड़' चंद्रशेखर आजाद ने PM मोदी को किया आगाह

Chandrashekhar Azad on Indian economy : नगीना से चर्चित दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद सोशल मीडिया पर अपने तल्ख तेवरों के लिए जाने जाते हैं। समय—समय पर वह देश-दुनिया, राजनीति-समाज से जुड़े सवाल उठाते रहते हैं। अब एक बार उन्होंने फिर से अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल किया है और सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखी है।
आजाद समाज पार्टी सांसद चंद्रशेखर आजाद लिखते हैं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिससे उसने जापान को पीछे छोड़ दिया है। भारत का अनुमानित नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगभग $4.19 ट्रिलियन है, जो जापान के $4.18 ट्रिलियन से थोड़ा अधिक है।
प्रमुख आर्थिक संकेतक :
GDP: $4.19 ट्रिलियन (2025 अनुमान)
क्रय शक्ति समता (PPP) के अनुसार GDP: $17.65 ट्रिलियन, जिससे भारत तीसरे स्थान पर है।
विकास दर : वित्त वर्ष 2024 में 7.2% और वित्त वर्ष 2025 में 6.4% अनुमानित।
विकास के प्रमुख कारक :
सेवा क्षेत्र : GDP का लगभग 54.7% हिस्सा सेवा क्षेत्र से आता है।
उद्योग और विनिर्माण : औद्योगिक क्षेत्र GDP का 27.6% योगदान देता है, जिसमें ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और स्टील जैसे क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है।
कृषि : कृषि क्षेत्र GDP का 17.7% हिस्सा है, जो ग्रामीण आय और उपभोग को प्रभावित करता है।
चंद्रशेखर कहते हैं, IMF का अनुमान है कि भारत 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिसका GDP $5.58 ट्रिलियन तक पहुंच सकता है।
भारत केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्रौद्योगिकी कौशल या ऐतिहासिक महत्त्व के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि वह आज एक विशाल, जीवंत और विविधतापूर्ण बाजार के रूप में उभर रहा है। 140 करोड़ से अधिक आबादी वाला यह देश, जिसमें से आधे से भी अधिक युवा हैं, वैश्विक उपभोग के नए मानदंड तय कर रहा है।
आज भारत में 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। भारत में UPI के जरिए हर दिन करोड़ों लेनदेन होते हैं – जो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। यह वृद्धि भारत को वैश्विक कंपनियों के लिए सबसे आकर्षक बाजार बनाती है।
E-commerce प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart, Meesho और JioMart न केवल मेट्रो शहरों में, बल्कि गाँवों तक पहुँच बना चुके हैं।
Apple, Tesla, IKEA जैसी वैश्विक दिग्गज भारत में निवेश कर रही हैं – क्योंकि वे समझती हैं कि जो भारत में सफल है, वही विश्व में सफल हो सकता है।
भारत का विश्व में योगदान :
1. फार्मास्युटिकल्स और वैक्सीन (दवा क्षेत्र) :
भारत को "दुनिया की फार्मेसी" कहा जाता है।
WHO द्वारा स्वीकृत 60% से अधिक टीके भारत में बनते हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने 100+ देशों को वैक्सीन भेजी थी ("वैक्सीन मैत्री" पहल)।
2. सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और सेवा क्षेत्र :
अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की बड़ी कंपनियां भारतीय IT कंपनियों पर आउटसोर्सिंग के लिए निर्भर हैं।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, विप्रो जैसी कंपनियों की सेवाएं वैश्विक स्तर पर उपयोग की जाती हैं।
3. मानव संसाधन और श्रमबल :
खाड़ी देशों (UAE, सऊदी अरब, कतर) सहित कई राष्ट्रों की निर्माण, स्वास्थ्य और सेवा अर्थव्यवस्था भारतीय प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर है।
अमेरिका, UK और कनाडा में उच्च शिक्षा, चिकित्सा और टेक्नोलॉजी सेक्टर में बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर कार्यरत हैं।
4. कृषि उत्पाद और निर्यात :
दुनिया के कई देशों की खाद्य सुरक्षा भारत से आयात पर निर्भर है।
5. रक्षा और रणनीतिक साझेदारी :
भारत Quad (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) और ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे मंचों पर एक रणनीतिक ताकत बन चुका है।
हिंद महासागर में नौवहन सुरक्षा के लिए भारत एक मुख्य शक्ति है जिस पर अमेरिका और यूरोपीय देश निर्भर करते हैं।
6. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थान :
भारत “चीन +1” रणनीति के तहत कई कंपनियों के लिए विकल्प बनकर उभर रहा है।
Apple, Samsung जैसी कंपनियों ने भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित की हैं।
7. जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण :
भारत सौर ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) की अगुवाई भारत कर रहा है, जिसमें 100+ देश शामिल हैं।
दुनिया ने भारत की खोज व्यापार और संसाधनों के प्रचुरता की दृष्टि से की थी। स्वतंत्रता के बाद भारत ने आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की राह अपनाई, लेकिन वैश्विक वित्तीय संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों द्वारा भारत के बाज़ार को खोलने के लिए किए गए निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत ने LPG की अपनायी।
चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से कहना चाहता हूँ कि हमारे महान भारत देश के द्विपक्षीय मामलों में व्यापार की धौंस देकर किया जा रहा हस्तक्षेप, हमारी संप्रभुता के साथ एक गंभीर खिलवाड़ है।'