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राजनीति

Kanhaiya Kumar : कन्हैया के कारण बिहार में राजद -कांग्रेस के बीच बढ़ी रार, उपचुनाव से पहले महागठबंधन में पड़ी दरार

Janjwar Desk
5 Oct 2021 5:11 AM GMT
Kanhaiya Kumar : कन्हैया के कारण बिहार में राजद -कांग्रेस के बीच बढ़ी रार, उपचुनाव से पहले महागठबंधन में पड़ी दरार
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(कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद बिहार के महागठबंधन में रार मचा है)

Kanhaiya Kumar : कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने का साइड इफेक्ट बिहार में दिखना शुरू हो गया है, वामदल नाराज हैं ही, राजद भी खफा बताया जा रहा है, इस बीच राजद-कांग्रेस का वर्षों पुराना गठबंधन भी टूट गया है..

Kanhaiya Kumar: (पटना)। जेएनयू छात्रसंघ (JNU Student Union) के पूर्व अध्यक्ष व वामपंथी नेता कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने का साइड इफेक्ट बिहार (Bihar) में दिखना शुरू हो गया है। वामदल तो नाराज हैं ही, मुख्य विपक्षी दल राजद (RJD) भी खफा बताया जा रहा है। इन सबके बीच राजद-कांग्रेस का वर्षों पुराना गठबंधन बिहार में टूट गया है। वहीं, राज्य के कई खांटी कांग्रेसी भी कन्हैया की पार्टी में पैराशूट इंट्री से खफा हैं।उधर, कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर जहां राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव (Shakti Singh Yadav) उल्टा सवाल करते हैं कि "कौन कन्हैया, मैं किसी कन्हैया को नहीं जानता।" वहीं, राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने साफ तौर पर कह दिया है कि कांग्रेस के लिए कन्हैया एक और सिद्धू साबित होंगे।

बता दें कि बिहार में विपक्षी दलों का "महागठबंधन" पहले से बना हुआ है। इस महागठबंधन में प्रदेश स्तर पर राष्ट्रीय जनता दल मुख्य भूमिका में है। वहीं, कांग्रेस, वामदल- सीपीआई व सीपीएम (CPI and CPM) भी इस महागठबंधन का हिस्सा हैं। पिछले साल बिहार विधानसभा चुनावों में यही महागठबंधन एनडीए के खिलाफ बिहार में चुनावी मैदान में उतरा था और करीबी मुकाबले में चंद सीटों के अंतर से सरकार बनाने से चूक गया था। विधानसभा (Bihar Assembly) में बहस का मामला हो या राज्य में किसी आंदोलन-प्रदर्शन का मामला, अभी भी ये सभी विपक्षी दल साथ दिखते हैं।

कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के कांग्रेस में शामिल होने के बाद राजद नाराज है लेकिन खुले तौर पर अभी विरोध नहीं कर रहा है। लेकिन राजद नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) इस मामले को लेकर पहली बार खुलकर सामने आए हैं। तिवारी ने खुले तौर पर कन्हैया को लेकर अपनी बातें रखीं हैं।

शिवानंद तिवारी ने कन्हैया के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था, "कांग्रेस एक बड़ा जहाज है जिसे बचाने की जरूरत है"। राजद नेता ने सीधे तौर पर कहा, "वह एक और नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Siddhu) की तरह है जो पार्टी को और बर्बाद कर देगा।"

राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस को डूबता जहाज भी बता दिया। तिवारी ने कहा, "कन्हैया कुमार के शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह पार्टी को नहीं बचा सकते। कांग्रेस एक डूबता जहाज है और इसका कोई भविष्य नहीं है।"

दरअसल, बिहार में नेता प्रतिपक्ष राजद के तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी इस एपिसोड से खफा बताए जा रहे हैं। वह इसलिए, कि कन्हैया को कांग्रेस में शामिल किए जाने को लेकर उनकी राय क्यों नहीं ली गई। चूंकि कन्हैया बिहार से हैं। बिहार के बेगूसराय (Begusarai) से वामदलों के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं ऐसे में जाहिर है कि भविष्य की कांग्रेस की राजनीति में बिहार में उनका दखल बढ़ेगा। बिहार की राजनीतिक स्थिति-परिस्थिति पर भी कुछ न कुछ असर पड़ सकता है।

याद दिला दें कि जब कन्हैया कुमार पिछले लोकसभा चुनाव (Parliamentary elections) में वामदलों की ओर से उम्मीदवार थे तो राजद ने भी वहां से अपना उम्मीदवार दिया था। खूब जोर लगाने के बावजूद कन्हैया वहां से 4 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से पराजित हो गए थे। बीजेपी के गिरिराज सिंह, (Giriraj Singh) जो फिलहाल केंद्रीय मंत्री हैं, उन्होंने वहां से जीत दर्ज की थी।

बिहार में पिछले विधानसभा चुनावों में कन्हैया कुमार सीपीआई की ओर से स्टार प्रचारक बनाए गए थे लेकिन पूरे राज्य में तेजस्वी और कन्हैया की एक भी संयुक्त सभा (Joint meeting) नहीं हुई थी। दोनों की संयुक्त सभा न होने को लेकर उस वक्त यह भी कहा गया था कि राजद ऐसा नहीं चाहता था। यह भी माना जाता है कि तेजस्वी ने कन्हैया के साथ मंच साझा करने की सहमति नहीं दी थी। अब वही कन्हैया जब कांग्रेसी बन चुके हैं तब राजद के साथ कांग्रेस के संबंधों पर असर पड़ना भी तय माना जा रहा था।

हालांकि यह असर इतनी जल्दी दिखने लगेगा इसकी उम्मीद राजनीतिक पंडितों ने भी नहीं की थी। अभी कन्हैया के कांग्रेस में शामिल हुए जुम्मा-जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए कि कांग्रेस और राजद का राज्य में वर्षो पुराना गठबंधन एक झटके से टूट गया। बिहार की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव (By-election) में राजद की ओर से दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए। जबकि इनमें से एक सीट पर पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस (Congress) के उम्मीदवार थे। दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाने के बाद अब कांग्रेस राजद पर हमलावर हो गई है।

इसके साथ ही बिहार की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव ने महागठबंधन के रिश्तों में ऐसा दरार पैदा कर दिया है, जिसका हाल फिलहाल भरना मुश्किल लग रहा है। एक तरह से महागठबंधन से कांग्रेस ने खुद को बाहर कर लिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने खुले तौर पर यह बात कह दी है। वैसे उन्होंने इसके पीछे मुद्दा उपचुनाव की दोनों सीटों पर राजद प्रत्याशी के उतारे जाने को बताया है लेकिन, राजद की ओर से जो कदम उठाया गया है, उसे कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से ही मुख्य रूप से जोड़ा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा बिना प्रदेश नेतृत्व को विश्वास में लिए कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किए जाने से राज्य के कई वरिष्ठ कांग्रेसी नाराज हैं।

बिहार कांग्रेस ने राजद पर गठबंधन धर्म का पालन नहीं करने और गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि राजद ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया है। ऐसे में अब गठबंधन नहीं रह गया है। गठबंधन टूट चुका है। पार्टी के पास अब दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने के अलावा कोई विकल्प नहीं बच गया है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कुशेश्वर स्थान (सुरक्षित) और तारापुर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में राजद ने दोनों सीटों से उम्मीदवार उतार दिए हैं, जबकि पिछले साल हुए आम चुनाव में कुशेश्वर स्थान से पार्टी नेता अशोक राम चुनावी मैदान में थे। पार्टी का दावा वहां स्वत: बन रहा था। मामूली अंतर से पार्टी प्रत्याशी को हार मिली थी। लेकिन राजद ने कांग्रेस के दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया। अपनी मर्जी से उम्मीदवार उतार दिए। यह गठबंधन धर्म के खिलाफ है। राजद ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतार कर भारी चूक की है।

गठबंधन है या टूट चुका है के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजद के इस रवैये के बाद अब गठबंधन कहां बच जाता है। कांग्रेस को दरकिनार कर खुद उम्मीदवार उतार देने से साफ हो गया कि अब गठबंधन नहीं रह गया है। गठबंधन टूट चुका है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से राजद ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, अब कांग्रेस भी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। एक-दो दिनों में कुशेश्वर स्थान और तारापुर से उम्मीदवार की घोषणा कर दी जाएगी। आलाकमान के स्तर पर उम्मीदवार तय किए जा रहे हैं।

चुनाव लड़ने के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी। जीत के संकल्प के साथ पार्टी के प्रत्याशी चुनावी मैदान में जाएंगे।

वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि राजद ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम को कमजोर करने की कोशिश की है। राजद ने गठबंधन को लेकर गलत कदम उठाए। कांग्रेस अब कुछ भी फैसला ले सकती है। राजद से दूरी और जदयू से नजदीकी बढ़ाने के संकेत देते हुए शकील ने कहा, "नीतीश कुमार के साथ जब हम महागठबंधन में थे तो हमारी जीत का स्ट्राइक रेट काफी अच्छा था, लेकिन जो लोग खास समीकरण की बात करते हैं, उनके समीकरण का क्या हुआ।"

जदयू के साथ जाने के सवाल पर शकील ने कहा कि अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन से अलग हो जाएं तो कांग्रेस के दरवाज़े उनके लिए खुले हुए हैं। हालांकि इस पर फैसला नीतीश कुमार को लेना है।

वहीं, पूर्व सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि सम्मान एकतरफा नहीं होता, दोनों ओर से होना चाहिए। हमारी पार्टी और राहुल गांधी का फोकस हर प्रदेश में सम्मान ही नहीं, बल्कि उन लोगों को कांग्रेस से जोड़ना है जो कांग्रेस को चाहते हैं। लेकिन गठबंधन के कारण हम लोग काफी पीछे हो जाते हैं। इसलिए कांग्रेस से प्यार करने वाले लोग हमारे साथ आगे नहीं बढ़ पाते हैं।

उन्होंने कहा, "कांग्रेस विकास के रास्ते पर कैसे प्रदेश को आगे लेकर जा सकती है, उस पर विचार हो रहा है। हार हो या जीत, लेकिन लड़ने का जज्बा कांग्रेस में रहा है और उसे हम दिखाएंगे। कन्हैया कुमार के पार्टी में आने के सवाल पर कहा कि गठबंधन में किसको आपत्ति है, यह उनकी सोच है। उस पर हमें कुछ नहीं कहना।"

बता दें कि बीते 28 सितंबर को ही कन्हैया कुमार ने कांग्रेस का हाथ थामा था। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस की काफी तारीफ की थी और यहां तक कहा था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है और वो बचेगी तभी देश बचेगा।

उस दिन कन्हैया के साथ गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mewani) भी 'वैचारिक रूप से' कांग्रेस के साथ जुड़े, हालांकि, विधायक होने के कारण कुछ तकनीकी मुद्दों के मद्देनजर आने वाले दिनों में वह औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

इससे पहले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की (Bhagat Singh) जयंती के अवसर पर इन दोनों युवा नेताओं ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और उनके साथ शहीद पार्क जाकर भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

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