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राजनीति

गोहत्या और गोमांस पर जल्द ही प्रतिबंध लगाएगी येदियुरप्पा सरकार- कर्नाटक के पशुपालन मंत्री

Janjwar Desk
11 July 2020 9:37 AM GMT
गोहत्या और गोमांस पर जल्द ही प्रतिबंध लगाएगी येदियुरप्पा सरकार- कर्नाटक के पशुपालन मंत्री
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कर्नाटक के पशुपालन मंत्री ने कहा येदियुरप्पा सरकार जल्द ही गोहत्या और गोमांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लागू करेगी, आवश्यक हो तो विशेषज्ञों की टीम उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों का दौरा करेगी...

बेंगलुरू। कर्नाटक के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान ने एक विवादास्पद मुद्दे को फिर पुनर्जीवित कर दिया है। प्रभु चौहान ने शुक्रवार 10 जुलाई को कहा कि बी.एस. येदियुरप्पा सरकार जल्द ही गोहत्या और गोमांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लागू करेगी। चौहान ने कहा गया था कि प्रस्तावित प्रतिबंध अन्य राज्यों के कानूनों की तर्ज पर होगा।

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में गोहत्या पर प्रतिबंध भाजपा के चुनावी घोषणापत्र के वादों में से एक था।

चौहान ने एएनआई के हवाले से कहा कि वह मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के साथ गौ हत्या पर प्रस्तावित प्रतिबंध पर चर्चा करेंगे। चौहान ने कहा, 'अगर यह महामारी की स्थिति सुधरती है, तो अगले सत्र तक अगर आगामी विधानसभा सत्र नहीं होता है, तो हम कर्नाटक में वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण विधेयक लाने की कोशिश करेंगे।'

चौहान ने दावा किया,'मौजूदा महामारी की स्थिति सुधरने के बाद सरकार इसे देखने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई जाएगी। यदि आवश्यक हो तो विशेषज्ञों की टीम उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों का दौरा करेगी।' उत्तर प्रदेश और गुजरात दोनों में गोहत्या के खिलाफ सख्त कानून हैं।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चौहान ने कहा, 'एक बार कानून लागू होने के बाद गायों को बेचने और उनके वध पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। 'गायों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमने पहले ही गोशालाओं को मजबूत करना शुरू कर दिया है।'

न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि मंत्री ने कहा कि सरकार ने 'गोहत्या बंदी के लिए जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है।' चौहान ने घोषणा की कि सरकार जल्द ही खेतों में बीमार जानवरों के इलाज के लिए एंबुलेंस शुरू करेगी।

2010 में येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में कर्नाटक पशु वध संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक 2010 पेश किया था। गौ हत्या और गोमांस की खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि, विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति नहीं मिली और 2013 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इसे वापस ले लिया गया।

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