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राजनीति

क्या पंजाब चुनाव की तरह फायदा उठाने के लिए राम रहीम को हरियाणा पंचायत चुनाव में भी दिलाई जा सकती है फरलो?

Janjwar Desk
2 March 2022 8:53 AM IST
punjab election 2022
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(पंजाब चुनाव से ठीक पहले फरलो पर बाहर आए राम रहीम सुनारिया जेल भेज दिए गये)
फरलो की अवधि के दौरान उससे काले शीशों वाली कारों पर सवार होकर कौन-कौन लोग मिलने आ सकेंगे, इसकी व्यवस्था गुरमीत सिंह को खालिस्तान समर्थकों से जान का खतरा बताते हुए जेड प्लस सुरक्षा देकर की गई...

Gurmeet Ram Rahim: भारतीय राजनीति का शिखर पुरुष बनने के बाद बांकेलाल ने तमाम तरह के घटिया हथकंडे अपनाते हुए बेहयाई के निकृष्टतम स्तर तक पहुंचने का ऐसा रिकॉर्ड बना डाला है, जिसे सम्भवतः अगले हजार साल तक कोई नहीं तोड़ पाये। उसकी राजनीति के ऐसे ही कुख्यात करतबों में एक था, बलात्कार और दो हत्याओं के मामलों में अपनी सजा काट रहे राम रहीम (Ram Rahim) के नाम से मशहूर नौटंकीबाज गुरमीत सिंह को फरलो पर जेल से बाहर निकालना।

पंजाब चुनाव में गुरमीत सिंह (Gurmeet Singh) के चेलों का वोट हासिल करने के लिए बड़े सुनियोजित तरीके से राम रहीम को 21 दिन की फरलो पर जेल से बाहर निकाला गया।

डेरा चीफ राम रहीम

फरलो की अवधि के दौरान उससे काले शीशों वाली कारों पर सवार होकर कौन-कौन लोग मिलने आ सकेंगे, इसकी व्यवस्था गुरमीत सिंह को खालिस्तान समर्थकों से जान का खतरा बताते हुए जेड प्लस सुरक्षा देकर की गई।

इन 21 दिनों के दौरान राम रहीम का ज्यादातर समय गुरुग्राम के तथाकथित 'नाम चर्चा घर' के अंदर ही बीता जिसकी छत को पूरी तरह तंबुओं से ढक दिया गया था ताकि अंदर की गतिविधियों को ड्रोन आदि से भी न देखा जा सके। जबकि बाहर हरियाणा पुलिस का सख्त पहरा बैठा दिया गया।

सजायाफ्ता गुरमीत सिंह के गुरुग्राम स्थित इस अड्डे पर फरीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली, पंजाब के नंबरों वाली गाड़ियों का काफिला आता-जाता रहा। इनमें स्कॉर्पियो, इनोवा, फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियां शामिल रहती थीं, जिनके शीशों पर काली फिल्म चढ़ी होती थी। इनके आते ही 'नाम चर्चा घर' का गेट खुलता और ये अंदर समा जाती थीं। गाड़ी में बैठकर कौन आया-गया, यह कोई भांप भी नहीं सकता था।

बांकेलाल का मकसद पूरा होने के बाद चुनाव खत्म होते ही गुरमीत सिंह को 21 दिन बाद हरियाणा की सुनारिया जेल में वापस पहुंचा दिया गया है।

क्या वोट जुटाने भर का साधन है बाबा?

राम रहीम कहलाने वाले इस अपराधी को पंजाब चुनाव के दौरान फरलो पर जेल से बाहर निकालने के फैसले पर सवाल उठे। चर्चा रही कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने पंजाब चुनाव में डेरे के करीब 40 लाख समर्थकों के वोट के लालच में उसे राहत दी गई।

सवाल उठता है कि उसे जिस तरह से इस बार फरलो दी गई, तो क्या उसे हरियाणा में आगे होने वाले पंचायत चुनाव में भी इसी तरह फरलो पर जेल से छोड़ दिया जायेगा? क्योंकि डेरा भक्तों का इन चुनावों में भी बड़ा रोल रहेगा। डेरे का प्रभाव हरियाणा में भी उतना ही है, जितना पंजाब में और इसका भी फायदा धर्म की धंधेबाज भाजपा को मिल सकता है।

डिस्क्लेमर : यह लेख वरिष्ठ पत्रकार श्याम सिंह रावत का है, और यह उनके निजी विचार हैं।

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