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राजनीति

मोदी कैबिनेट का फैसला, दिल्ली में एक होंगे तीनों निगम, क्या सीएम से ज्यादा पावरफुल होगा मेयर?

Janjwar Desk
22 March 2022 10:55 AM GMT
मोदी कैबिनेट का फैसला, दिल्ली में एक होंगे तीनों निगम, क्या सीएम से ज्यादा पावरफुल होगा मेयर
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दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022

MCD Election 2022 : ताजा प्रस्ताव के मुताबिक मेयर इन काउंसिल व्यवस्था के तहत दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे वहां के मतदाता करेंगे। अगर 16 अप्रैल से पहले संसद से यह बिल पास हो गया तो इस बार लोग अपने क्षेत्र के पार्षद और दिल्ली के मेयर दोनों के लिए मतदान करेंगे।

नई दिल्ली। दस साल बाद एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली ( Delhi ) में तीन के बदले एक ही नगर निगम होंगे। इस दिशा में मोदी कैबिनेट ( Modi Cabinet ) ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को एसडीएमसी ( SDMC ) , एनडीएमसी ( NDMC ) और ईडीएमसी ( EDMC ) को मिलकर मिलाकर एक निगम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ताजा प्रस्ताव के मुताबिक मेयर इन काउंसिल व्यवस्था के तहत अब मेयर का चुनाव ( Mayor Election ) सीधे दिल्ली के मतदाता करेंगे। अगर 16 अप्रैल से पहले संसद से यह बिल पास हो गया तो इस बार लोग अपने क्षेत्र के पार्षद और मेयर दोनों के लिए मतदान करेंगे।

मोदी कैबिनेट के फैसले के साथ ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि केंद्र सरकार एक सुनियोजित चाल के तहत ऐसा करना चाहती है। ताकि दिल्ली में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सके। यही वजह कि केंद्र सरकार के आज के फैसले को दिल्ली में सत्तारूढ़ आप सरकार ( Delhi Government ) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं आप सरकार समय से एमसीडी का चुनाव ( MCD Election 2022 ) कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है।

क्या मेयर होगा पावरफुल

ताजा अपडेट के मुताबिक दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) का दखल निगम में बेहद कम करने के लिए मेयर-इन-काउंसिल ( Mayor in Council ) व्यवस्था अपनाई जा सकती है। इसमें मेयर और उसके पार्षदों को शहर के लोग सीधे चुनेंगे। यदि ऐसा हुआ तो वो सीएम से ज्यादा प्रभाव वाला माना जाएगा। ऐसा इसलिए कि सीएम सिर्फ एक विधानसभा से विधायक के तौर पर चुना जाता है। जबकि को पूरी दिल्ली की जनता द्वारा चुना जाएगां इसके साथ ही ताजा प्रस्ताव के तहत मेयर और पार्षदों का कार्यकाल बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।

चर्चा यह भी है कि तीनों नगर निगमों को एक करने के साथ ही 272 वार्ड ही रखे जाएंगे, लेकिन मेयर का कार्यकाल बढ़ाकर कम से कम ढाई वर्ष किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो अभी की व्यवस्था के तहत एक पेंच फंसेगा। पेंच इसलिए कि ताजा व्यवस्था के तहत पहले साल में मेयर का पद महिलाओं के लिए, तीसरे साल में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। ऐसे में क्या ये बरकरार रहता है या कोई नया प्रावधान होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

चर्चा तो यह भी है कि नगर निगम अधिनियम ( डीएमसी एक्ट ) की 17 धाराओं का अधिकार दिल्ली सरकार से छीनकर केंद्र सरकार अपने अधीन ले सकती है। इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का पहले केंद्र सरकार के पास ही अधिकार था, मगर अक्तूबर 2009 में केंद्र ने इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया था, जिसके बाद से नगर निगम के कामकाज में दिल्ली सरकार का हस्तक्षेप बढ़ गया।

इससे पहले तीनों नगर निगमों को एक निगम में तब्दील करने के लिए दिल्ली प्रदेश भाजपा के नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था। ताकि नगर निगम दिल्ली सरकार से पूरी तरह से मुक्त हो जाए। वर्तमान में दिल्ली सरकार को डीएमसी एक्ट की कुछ धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है। इस कारण वह निरंतर एकीकृत नगर निगम की तरह तीनों नगर निगमों को परेशान कर रही है। एमसीडी के पार्षद और मेयर दिल्ली सरकार की दखल नहीं चाहते हैं।

लगातार 3 बार भाजपा जीत चुकी है एमसीडी चुनाव

दरअसल, दिल्ली में दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी नगर निगम 2012 में अस्तित्व में आई थी। तीनों नगर निगम में 272 वार्ड है। उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 26-26 विधानसभा क्षेत्र के 104-104 वार्ड है, जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 16 विधानसभा क्षेत्र के 64 वार्ड है। तीनों नगर निगमों के दोनों चुनाव और उनके अस्तित्व में आने से पहले वर्ष 2007 में एकीकृत नगर निगम के अंतिम चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी। इस तरह वह लगातार तीन बार नगर निगम चुनाव जीत चुकी है।

2017 के चुनाव में आप को लगा था झटका

साल 2017 दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत वर्ष 2012 की अपेक्षा .66 प्रतिशत घटा था। जबकि आम आदमी पार्टी को गहरा झटका लगा था। 2015 के विधानसभा चुनाव में 54.30 प्रतिशत मत लेकर 70 में से 67 सीटे जीतने वाली आप को तीनों नगर निगमों के चुनाव में मात्र 26.23 प्रतिशत वोट मिल पाए थे। यानि उसे 2 वर्ष में ही 28.07 प्रतिशत मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। 2012 के चुनावों में आम आदमी पार्टी नहीं थी। कांग्रेस को 2012 के चुनावों में 30.54 प्रतिशत मत मिले थे और उसने 77 सीटें जीती थी। वहीं वर्ष 2017 के चुनावों में वह 21.09 प्रतिशत मत ही हासिल कर पाई थी।

MCD Election 2022 : बता दें कि दिल्ली नगर निगम में चुनाव 18 मई से पहले होना है। दिल्ली निर्वाचन आयोग को एक महीने का वक्त भी चाहिए ताकि वो तारीखों घोषित कर चुनाव करा सके। इस लिहाज से एमसीडी एक्ट में संशोधन विधेयक संसद से 16 अप्रैल से पहले पास होना जरूरी है।

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