हर भूखे को अनाज देने का दावा करने वाली मोदी सरकार 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों में से सिर्फ 20 लाख को दे पाई है राशन
मोदी सरकार की अनाज योजना का लाभ पाने वाले प्रवासी लाभार्थियों की संख्या अपने लक्ष्य का केवल 2.25 प्रतिशत है, यानी 97.75 फीसदी मजबूर प्रवासी मजदूर किस हाल में होंगे, इसका अंदाजा सड़क पर भूखों-बेरोजगार मरते मजदूरों की खबरों को देखकर लगाया जा सकता है...
जनज्वार। जहां सरकार अपने आंकड़ों में बताती कि लॉकडाउन में 8 करोड़ में से मात्र 20 लाख प्रवासियों को वह मुफ्त अनाज दे पायी है, वहीं मोदी कैबिनेट के मंत्री अमित शाह समेत तमाम मंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचा दी हैं। स्मृति ईरानी तो यहां तक कहती हैं कि मोदी सरकार ने लॉकडाउन में 80 करोड़ लोगों को राशन पहुंचाया है।
सवाल है कि जब मोदी सरकार 80 करोड़ लोगों तक राशन पहुंचा चुकी है तो वह अपने आंकड़े में यह क्यों स्वीकार रही है कि उसने मात्र 20.26 प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज दिया।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर कोई भी प्रवासी श्रमिक के भूखा नहीं रहे इसी के लिए 14 मई को मुफ्त अनाज योजना की घोषणा की थी। ये वो मजदूर थे जिनके पास राशन कार्ड तक उपलब्ध न हो, मगर लॉकडाउन में कोई भूखा न मरे, इसलिए यह योजना थी।
द प्रिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के अनुसार बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों को भी प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न और प्रति परिवार एक किलोग्राम चना मुहैया कराये जाने की घोषणा की गयी थी। सबसे बड़ी बात तो यह कि यह घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज का हिस्सा थी। इसी में यह बताया गया था कि देश के आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने का सरकार ने लक्ष्य रखा है।
मगर सच्चाई यह है जिसे केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने उगल दिया है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि 'राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 4.42 लाख टन खाद्यान्न उठाया है और 20.26 लाख लाभार्थियों को 10,131 टन खाद्यान्न वितरित किया है।'
इन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी सरकार प्रवासी मजदूरों के रोजी—रोटी को लेकर कितनी गंभीर है। अनाज योजना का लाभ पाने वाले प्रवासी लाभार्थियों की संख्या अपने लक्ष्य का केवल 2.25 प्रतिशत है, यानी 97.75 फीसदी मजबूर प्रवासी मजदूर किस हाल में होंगे, इसका अंदाजा सड़क पर भूखों—बेरोजगार मरते मजदूरों की खबरों को देखकर लगाया जा सकता है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार सरकार कहती है कि उसने प्रवासियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरण के लिये राज्यों ने अलग-अलग मॉडल अपनाये हैं। कुछ राज्य सूखे राशन के साथ पका हुआ भोजन वितरित कर रहे हैं, जबकि कुछ राज्य भोजन कूपन जारी कर रहे हैं।
चना के मुफ्त वितरण के मामले में,केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने बताया कि उसने 1.96 करोड़ प्रवासी परिवारों को दो महीने वितरण के लिये 39 हजार टन दाल को मंजूरी दी थी। लगभग 28,306 टन चना और चना दाल राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेज दी गयी है, जिसमें से 15,413 टन का उठाव हुआ है। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 631 टन चने का वितरण किया गया है।
हालांकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) का आंकड़ा थोड़ा बेहतर है। राज्यों ने अप्रैल में मुफ्त अनाज के वितरण में 92.45 प्रतिशत कवरेज हासिल किया है, मई में 87.33 प्रतिशत, जबकि जून में अब तक 17.47 प्रतिशत।
राज्यों ने अभी तक 105.10 लाख टन अनाज उठाया है। इनमें से अप्रैल में 36.98 लाख टन, मई में 34.93 लाख टन और जून में अब तक 6.99 लाख टन लिया गया है।