पंजाब में क्या गुल खिलाएंगे नवजोत सिद्धू के तेवर, कमेटी से मिलने के बाद भी तल्खी बरकरार
(नजर नहीं आ रहा पंजाब कांग्रेस के विवाद का हल। बीच का रास्ता निकालना कमेटी के सामने बड़ा चैलेंज।)
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू कमेटी से मिलने के बाद भी तख्ल तेवरों में हैं। मंगलवार को वह आलाकमान की ओर से गठित तीन सदस्य कमेटी से मिले। इसके बाद उन्होंने अपने अंदाज में एक बार फिर से कैप्टन पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कैप्टन सरकार को लेकर उनका जो रूख है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि मैंने कमेटी के सामने सच्चाई रख दी है।
तीन सदस्यीय कमेटी के साथ लगभग दो घंटे की बैठक के बाद, सिद्धू ने कहा, "मुझे कमेटी ने बुलाया था ताकि मैं अपना पक्ष उनके सामने रख सकूं। मैंने अपनी बात रख दी है। मैंने उन्हें पंजाब की सच्चाई के बारे में बताया। मैंने जमीनी स्तर का सच और हालात कमेटी के सामने रखे हैं। उन्होंने कहा कि सत्य को कुछ देर के लिए दबाया जा सकता है, लेकिन सच पराजित नहीं होता। 'जितेगा पंजाब' और हमें राज्य के हर नागरिक के अधिकार की रक्षा करनी है। हमें सभी पंजाब विरोधी ताकतों को हराना है।
सिद्धू ट्विटर पर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की गृह मंत्री के रूप में उनकी भूमिका के लिए कड़ी आलोचना करते रहे हैं, खासकर बेअदबी के मामलों के मुद्दे पर। सिद्धू और अमरिंदर दोनों हाल ही में शब्दों के माध्यम से एक दूसरे को घेरते रहे हैं।
जब विवाद गहरा गया तो पार्टी आलाकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी मे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रमुख बनाया गया है। कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल कमेटी के सदस्य है।
कमेटी की कोशिश है कि पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद को खत्म किया जाए। क्योंकि अगले साल चुनाव है। पार्टी की चिंता है कि यदि इसी तरह से विवाद चलता रहा तो पार्टी को चुनाव में दिक्कत आ सकती है। यहीं वजह है कि कमेटी सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह गुट और उनके विरोधी गुट के विधायकों से बातचीत कर रही है।
बताया जा रहा है कि 25 विधायकों के अलावा, पंजाब के पांच कांग्रेस सांसद और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी पैनल से मुलाकात की। विरोधी खेमे का सीएम पर आरोप है कि वह माइनिंग, नशा और पंजाब की वित्तीय स्थिति के लिए कुछ नहीं कर पाए। इस वजह से मतदाता नाराज है। बेअदबी का मामला भी सिद्धू ने जोर शोर से उठाया था।
कमेटी की दिक्कत यह है कि सिद्धू अभी भी अपनी बयानबाजी से पीछे नहीं हट रहे हैं। उन्हें कैसे मनाया जाए, इस पर कमेटी मनन कर रही है। कमेटी के सामने कुछ विकल्प है। इसमें पंजाब में दो डिप्टी सीएम या दो कार्यकारी अध्यक्षों की सिफारिश की जा सकती है। सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा है। कमेटी के सामने पेश हुए विधायक ने कहा, 'हमें पूछा गया कि राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को कैसे खत्म किया जाए। मैंने कहा कि सिद्धू को महत्वपूर्ण पद दिए जाने पर हमें कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते यह पार्टी को एकजुट करे।
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी भी कमेटी के संपर्क में हैं। वह भी लगातार इस पर फीडबैक ले रहे हैं। वीरवार को कमेटी सीएम से भी मिल सकती है।
कमेटी के साथ बैठक के बाद लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, कि जिन मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है उनमें नौकरशाही पर कंट्रोल करना शामिल है। उन्होंने कहा कि नवजोत सिद्धू के बारे में फैसला हाईकमान को करना है।
कांग्रेस के सामने दिक्कत यह है कि यदि कैप्टन की ताकत कम किया जाए तो इससे प्रदेश में पार्टी कमजोर होती है। जिस तरह से नवजोत सिद्धू लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, इससे विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल रहा है। पार्टी को भी इसका नुकसान हो रहा है। सिद्धू को यदि प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए तो कैप्टन इसका विरोध करेंगे। क्योंकि एक बार पहले भी यह चर्चा चली थी, लेकिन कैप्टन ने ऐसा नहीं होने दिया। तो क्या इस बार पार्टी आला कमान की बात को कैप्टन मानेंगे।
इसके अलावा क्योंकि कांग्रेस का एक बड़ा गुट कैप्टन के खिलाफ है, ऐसे में बीच का रास्ता क्या हो सकता है, कमेटी की यह भी चिंता है। कैसे इस विवाद को खत्म किया जाए। इसके लिए क्या क्या रास्ते हो सकते हैं। इन विकल्पों पर पार्टी विचार कर रही है।
बताया जा रहा है कि कमेटी के सामने सिद्धू ही सबसे बड़ी परेशानी बन कर उभर रहे हैं। उनका हल कमेटी के पास फिलहाल नहीं है।
कमेटी इस बात से भी परेशान है कि सिद्धू ने अपनी बात रख दी, इसके बाद भी वह इंतजार करने की बजाय, बयानबाजी कर रहे हैं। जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। इधर कमेटी की दिक्कत यह भी है कि कम से कम अब नवजोत सिंह सिद्धू की अनदेखी भी पार्टी को भारी पड़ सकती है। ऐसे में बीच का रास्ता क्या हो सकता है। इसी को लेकर अब कमेटी मंथन कर रही है।
जानकारों का कहना है कि बागी गुट को शांत करने के लिए पंजाब कांग्रेस में कुछ न कुछ बदलाव तो होंगे। क्योंकि इसके बिना मौजूद विवाद का हल होता नजर नहीं आ रहा है। अब वह बदलाव क्या हो सकते हैं। यह आने वाले कुछ दिनों में साफ हो सकता है।