अडानी घोटाले में प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी दे रही है भारी गड़बड़ी का संकेत : दीपंकर भट्टाचार्य
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Adani SCAM : भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार के संरक्षण में हो रहे अडानी घोटाले का तानाबाना खुलकर सामने आ गया है। इस पर मोदी की चुप्पी चीख चीखकर बता रही है कि भारी गड़बड़ है और भारत में सच बोलने वालों की आवाज दबाने की कितनी भी कोशिश की जाये अंतरराष्ट्रीय मीडिया तो चुप नहीं बैठेगा।
दीपंकर ने कहा कि जनवरी 2014 में डीआरआई यानी डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने सेबी को अडानी समूह द्वारा की गई गैरकानूनी गतिविधियों पर एक रिपोर्ट भेजी थी। सेबी से अपेक्षा थी कि वह घोटालेबाज के खिलाफ कार्यवाही करेगा, लेकिन रिपोर्ट दब गई, मई 2014 में मोदी सरकार बनी और पहिया उल्टा चलने लगा। अभी सर्वोच्च न्यायालय में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आलोक में मामला विचाराधीन है। सेबी ने अपना पक्ष वहां रखा है, परंतु जनवरी 2014 की उस डीआरआई की रिपोर्ट न्यायालय से छुपाई है, जो कि गलत है, इस जानकारी को छुपाने से वैसे तो आपराधिक मामला बनता है, लेकिन देखना यह है की क्या हिंडनबर्ग-2 के बाद भी सेबी यह बात सर्वोच्च न्यायालय को देगा?
जानना जरूरी है कि अडानी समूह इनसाइडर ट्रेडिंग से गैर कानूनी रूप से अपने शेयर मूल्य को बढ़ाता है। कभी 1000 रुपए मूल्य का शेयर कुछ ही महीनों में 3800 रुपए का हो गया और शेयर को एलआईसी ने खरीद लिया। खुद ही समझ जाइए जनता के पैसे पर कैसे डाका पड़ रहा है।
आरोप लग रहे हैं कि शैल कंपनियों के माध्यम से इनसाइडर ट्रेडिंग और काला धन सफेद किया जा रहा है, इन कंपनियों को विनोद अडानी संभालता है। वह विदेश में बैठा है। जनवरी 2014 में डीआरआई की रिपोर्ट दबाने वाले सेबी के तब के डायरेक्टर आज एनडीटीवी समूह के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बने बैठे हैं।
स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कोई भी कंपनी में पब्लिक होल्डिंग 25 प्रतिशत से कम नहीं हो सकती, लेकिन ये पच्चीस प्रतिशत असल में पब्लिक का नहीं, बल्कि अडानी का ही शैल कंपनियों के माध्यम से लगा धन है। यह गैरकानूनी व आपराधिक कृत्य है और शैल कंपनियों में लगा पैसा कहां से आ रहा है?