“राष्ट्र गरिमा भक्षक पुरस्कार” तो आपका है ही, “सरेंडर रत्न पुरस्कार” पर भी आपके अलावा कोई और दावा नहीं कर सकता : मोदी पर नेहा सिंह राठौर का जबर्दस्त हमला

Neha Singh Rathore : भोजपुरी लोकगायिका अपने लोकगीतों के चलते समय-समय पर चर्चा के केंद्रबिंदु में रहती हैं। बिहार में का बा, यूपी में का बा उनके चर्चित राजनीतिक गाने रहे हैं, जिन्होंने देश को झकझोरने का काम किया। अब एक बार फिर नेहा सिंह राठौर ने प्रधानमंत्री मोदी पर कड़ा हमला बोला है।
नेहा सिंह अपने एक्स एकाउंट पर लिखती हैं, एक चौहत्तर साल का बूढ़ा आदमी देशहित में अपने शौक पूरे करने के लिए विदेशों में मेडल बटोरता घूम रहा है और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं!
अरे लानत है हम 140 करोड़ देशवासियों पर…क्या हम अपने परिधान मंत्री को उसके महान कामों के लिए दस बीस पुरस्कार भी नहीं दे सकते!
मैं इस देश की जनता से निवेदन करती हूँ कि साहेब लिए कुछ नए पुरस्कारों का सृजन करे.
साहेब और उनकी पार्टी ने देश से लोकतंत्र के उन्मूलन के लिए कितना प्रयास किया…सवाल पूछने और आलोचना करने वालों पर FIR के अलावा बिहार के करोड़ों लोगों के मताधिकार छीनने प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.
क्या हम सभी देशवासी इन प्रयासों के लिए साहेब को “लोकतंत्र मर्दक” की उपाधि से सम्मानित नहीं कर सकते? ये अवार्ड आपको और केंचुआ को साथ-साथ लेना होगा.
मणिपुर सुलगता रह गया और आप विदेशों के चक्कर काटते रहे! बेटियों को नंगी करके उनकी परेड निकली गई और आप बेटी बचाओ का नारा लगाते रहे…लेकिन आज तक आप मणिपुर नहीं गए! ऐसे में “मणिपुर विनाशक” के उपनाम पर आपके अलावा और किसका हक हो सकता है!
देश का गौरव रहीं तमाम सरकारी कंपनियों से लेकर आम जनता के पैसों से बने एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन तक आपने जिस तरह कौड़ियों के दाम पर बेच दिए गए…”नटवरलाल स्मृति सम्मान” के हकदार सिर्फ़ और सिर्फ़ आप हैं…और कोई नहीं.
बिहार के युवाओं को लंबे समय तक बेरोजगार रखकर गुजरात और देश के बाक़ी हिस्सों में मज़दूर बनाकर भेजने का जो मास्टरप्लान आपने बनाया, उसके लिए “बिहार युवाशक्ति भक्षक पुरस्कार” का सृजन होना चाहिए और उसे आपके साथी सुशासन बाबू के साथ आपको साझे में दिया जाना चाहिए.
आपके शासनकाल में बलात्कारियों का जिस तरह मनोबल बढ़ा और आपकी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह के कारनामे किए, बलात्कारी बाबाओं को जिस तरह पैरोल पर रिहाई मिलती रही, उसके लिए एक “बलात्कारी रक्षक पुरस्कार” की शुरुआत भी की जानी चाहिए…अग्रिम बधाई.
अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ जिस तरह से आतंक का माहौल बनाया गया, अफ़वाहें उड़ाई गईं, उनकी लिंचिंग की गई, उनके धर्मस्थल तोड़े गए, देश के लिए उनके बलिदानों की नजरअंदाज किया गया…उसके लिए एक विशेष “अल्पसंख्यक हन्ता पुरस्कार” का गठन जरूर होना चाहिए…लेकिन ये पुरस्कार आप दोनों को…दोनों मतलब समझ रहे हैं न! आधा-आधा बाँटना पड़ेगा…सॉरी!
“पुल विध्वंसक पुरस्कार” पर भी तकरार हो सकती है…अभी तीन दिन पहले तक सुशासन बाबू ये पुरस्कार 5/1 से जीत रहे थे…लेकिन बड़ोदरा पुल गिरने के बाद से आपकी दावेदारी मजबूत हुई है…क्योंकि मौतें इसमें ज़्यादा हुई हैं…इसके लिए सबसे तेज चैनल वालों से वोटिंग करवा लीजिए…EVM से काउंटिंग करवायेंगे तो आपके जीतने की संभावना बढ़ जाएगी…बाक़ी आप देख लीजिए.
“अडानी मित्र पुरस्कार” की दावेदारी के लिए तो खैर अगले एक हज़ार सालों तक कोई आपके आस-पास भी नहीं आ पाएगा…अग्रिम बधाइयाँ सर!
“राष्ट्र गरिमा भक्षक पुरस्कार” तो आपका है ही…लेकिन “सरेंडर रत्न पुरस्कार” पर भी आपके अलावा कोई और दावा नहीं कर सकता…सत्तर सालों में पहली बार जिस बहादुरी से आपने ट्रम्प के एक फ़ोन पर झटपट सीज़फायर को अंजाम दिया था…इस पुरस्कार की शील्ड पर आपकी एक छोटी कांस्य प्रतिमा ज़रूर लगाई जाएगी.
लेकिन “भ्रष्टाचारी उद्धारक पुरस्कार” आपको और ED को साझे में दिया जाएगा.
विदेश जाकर मेडल बटोरने में कुछ नहीं रखा…आत्मनिर्भर बनिए सर!
आपके प्रशंसक सोचने-समझने की ताक़त खो चुके हैं…उनका दिमाग़ अब ऑनलाइन सट्टे के अलावा और कहीं नहीं लगता…आपको पुरस्कार पाते देख वो ख़ुशी से झूम उठेंगे सर…जयकारे लगायेंगे आपके…उनके लिए देश का नंबर वन होना ही बहुत है…फिर वो चाहे भुखमरी और भ्रष्टाचार में ही नंबर वन क्यों न हो!
आप कुख्यात हैं या विख्यात, इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता…बस अखबार में आपकी फोटो आनी चाहिए…
देश का सम्मान बढ़ा है अपमान हुआ है, उन्हें इससे कोई लेना देना नहीं है…जंजीरों में बाँधे भारतीयों ने अंतरराष्ट्रीय अख़बारों में जगह बनाई, यही बहुत है.
आप पुरस्कार लीजिए सर…उपाधियाँ लीजिए…अख़बारों में छपिये सर…आपके प्रशंसक तालियाँ बजाते रहेंगे.










