UP Assembly Election 2022 : एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी के अपने भाषणों में 'दंगों' पर क्यों जता रहे हैं सबसे ज्यादा चिंता?
एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी।
UP Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए राजनीतिक दलों के बीच सियासी रार धीरे—धीरे गरमाता जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मजिलस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ( AIMIM Chief Asduddin Owaisi ) भी यूपी के सियासी मैदान में कूद पड़ें हैं। वह अपने भाषणों में सबसे ज्यादा यहां के 'दंगों' ( riots ) को लेकर चिंता जताते नजर आ रहे हैं। इसके जरिए एक विशेष तबके के मतदाताओं को साफ संकेत दे रहे हैं कि उन्हें बदलते परिवेश में क्या करने की जरूरत है, ताकि सभी समुदायों के लोग नई पटकथा लिख सकें।
इस बात का दिला रहे हैं अहसास
इसके पीछे असदुद्दीन ओवैसी ( AIMIM Chief Asduddin Owaisi ) का मकसद एआईएमआईएम को यूपी की राजनीति में स्थापित करने की है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ओवैसी इन दिनों सूबे के मुस्लिम बहुल इलाकों में जमकर जनसभाएं कर रहे हैं। सियासी देंगों का जिक्र करते हुए वो योगी सरकार और बीजेपी हमला बोल रहे तो दूसरी तरफ सपा, कांग्रेस और बसपा पर हमला बोलने से बाज नहीं आ रहे। इसके साथ ही ओवैसी मुस्लिमों के जख्मों को कुरेदकर उन्हें ये अहसास दिलाने में जुटे हैं कि जिन दिलों को वे सेकुलर समझकर अपना खैरख्वाह मानते हैं वे संकट के वक्त उनके लिए खड़े नहीं हुए। अब उन्हें अपनी खुद की लीडरशिप खड़ी करने की जरूरत है।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद में एक जनसभा में 1980 के मुरादाबाद दंगे याद दिलाए। उन्होंने 13 अगस्त, 1980 को मुरादाबाद की ईदगाह में हुई पुलिस फायरिंग की तुलना जलियांवाला बाग से की। ओवैसी ने कहा कि जलियांवाला में जनरल डायर ने गोली चलवाई थी और मुरादाबाद के ईदगाह मैदान पर कांग्रेस नमाज पढ़ रहे मुसलमानों पर गोली चलवाई जिसमें 300 मुसलमान मारे गए।
कासगंज में पुलिस कस्टडी में अल्ताफ की मौत का जिक्र करते हुए ओवैसी योगी आदित्यनाथ और बीजेपी पर अग्निवर्षा कर रहे हैं। दंगों का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि यूपी में 1980 से लेकर 2021 तक कुछ नहीं बदला। यूपी में आज भी ठोंका जा रहा है। जनसभाओं में ओवैसी कहते हैं, आपने जिन्हें चुना है, वो आपकी आवाज नहीं बनेंगे। उनमें आप पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत और हिम्मत नहीं हैं। मेरे यहां पर कहते हैं, हैदराबाद से मुसलमानों का वोट काटने आ गया है।
इतिहास को भूलेंगे तो दोबारा होगी नाइंसाफी
जनसभाओं में मुरादाबाद से पहले पश्चिम यूपी के मुजफ्फरनगर के जाट-मुस्लिम दंगे की भी याद दिलाते हैं। आठ साल पहले मुजफ्फरनगर का मुसलमान खून के दरिया से गुजरा है और अब कहा जा रहा है कि भूल जाओ। मुजफ्फरनगर के मुसलमान ने कभी बीजेपी का साथ नहीं दिया फिर भी 2013 में यहां दंगा हुआ। मुसलमानों की नाइंसाफी की बात होती है तो सपा-बसपा-आरएलडी के नेताओं के माइक बंद हो जाते हैं। मेरठ के हाशिमपुरा और मलियाना में दंगा-फसाद हुआ था तो कहा गया भूल जाओ। अब फिर कहा जा रहा है कि मुजफ्फरनगर का फसाद भूल जाओ। अगर आप इन नाइंसाफियों को भूल जाएंगे तो दोबारा फिर आपके साथ नाइंसाफी होगी।
दर्जनों सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में
UP Assembly Election 2022 : यूपी में कुल मतदाताओं में 20 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। पश्चिम यूपी की कई सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है। सूबे में मुस्लिम सपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, जिसे कांग्रेस भी साधने में जुटी है। ऐसे में ओवैसी सूबे में अपनी सियासी आधार को मजबूत करने के लिए सपा और कांग्रेस के दौर में हुए सांप्रदायिक दंगों को जिक्र मुस्लिमों के जख्मों को हरा कर रहे हैं ताकि वो उनके साथ आ जाएं।