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राजनीति

UP Election 2022 : हरिशंकर तिवारी के बेटों को बसपा से निकालने की मायावती को चुकानी होगी कीमत, जानें क्यों?

Janjwar Desk
7 Dec 2021 7:55 AM GMT
UP Politic : अखिलेश से नाराज आजम खान पर मायावती भी मेहरबान, मायावती के ट्वीट से सियासी अटकलों का बाजार गरम
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UP Politic : अखिलेश से नाराज आजम खान पर मायावती भी मेहरबान, मायावती के ट्वीट से सियासी अटकलों का बाजार गरम 

UP Election 2022 : पूर्वांचल में ब्राह्मण सियासत का पूर्व कैबिनेट मंत्री व बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। ऐसे में हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी और कुशल तिवारी के निष्कासन से बसपा को लिए पूर्वांचल खासकर गोरखपुर और संत कबीर नगर जिले की सीटों पर सियासी नुकसान हो सकता है।

धीरेंद्र मिश्र/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर जारी जोड़तोड़ के बीच बहुजन समाज सुप्रीमो मायावती ने चिल्लू पार के विधायक विनय शंकर तिवारी उनके बड़े भाई समेत तीन लोगों को पार्टी से निकाल दिया है। पार्टी ने तीनों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है। मायावती के इस फैसले से हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी और उनके बड़े भाई कुशल तिवारी व गणेश शंकर पांडे के समाजवादी पार्टी में जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, इसकी चर्चा पहले से चल रही थी।

ब्राह्मण राजनीति को लग सकता है झटका

सपा ने गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट के विधायक विनय शंकर तिवारी व इनके बड़े भाई कुशल तिवारी पूर्व सांसद और इनके रिश्तेदार गणेश शंकर पांडे को पार्टी में अनुशासनहीनता करने व वरिष्ठ पदाधिकारियों से सही व्यवहार न रखने के कारण बहुजन समाज पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया है। इससे से पूर्वांचल में मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व मंत्री व बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे व गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से बसपा विधायक विनय तिवारी बसपा सुप्रीमो मायावती से पहले से ज्यादा नाराज हो गए हैं। पिछले दिनों नाराजगी की वजह यह है कि हाल ही में पार्टी की बैठक में उन्हें बैठक में भी यह बात साफ तौर पर कह दी गई है कि चिल्लूपार सीट पर आपकी स्थिति ठीक नहीं है। उसके बाद से ही मायावती की इसी बात को लेकर विनय शंकर तिवारी राजनीतिक विकल्प की तलाश में है। ये बात अलग है कि उन्होंने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। अगर विनय शंकर तिवारी बसपा छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं तो मायावती के ब्राह्मण राजनीति के लिए पूर्वांचल में एक बड़ा सियासी झटका होगा।

अब बसपा का बिगड़ेगा गोरखपुर मंडल में खेल

पूर्वांचल में ब्राह्मण सियासत का पूर्व कैबिनेट मंत्री व बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। ऐसे में हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी और कुशल तिवारी के निष्कासन से बसपा को लिए पूर्वांचल खासकर गोरखपुर और संत कबीर नगर जिले की सीटों पर सियासी नुकसान हो सकता है। हरिशंकर तिवारी की गोरखपुर ही नहीं पूर्वांचल के तमाम जिलों में पकड़ मानी जाती है। हरिशंकर तिवारी एक ऐसा नाम है जिसे पूर्वांचल का पहला बाहुबली नेता कहा जाता है। हरिशंकर तिवारी के नक्शे कदम पर चलकर ही मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह जैसे बाहुबलियों ने राजनीति में कदम रखा। पूर्वांचल में वीरेंद्र प्रताप शाही और पंडित हरिशंकर तिवारी की अदावत जगजाहिर है। 1980 का दशक ऐसा था जब शाही और तिवारी के बीच गैंगवार की गूंज देश भर में गूंजी। यहीं से दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने ठाकुर बनाम ब्राह्मण का रंग लिया।

बसपा के 19 में से 16 विधायक छोड़ चुके हैं पार्टी

विनय शंकर तिवारी और उनके भाई के पिछले दिनो अखिलेश यादव से मिलने की ख़बर आई थी। इसी के बाद इनके सपा में जाने की चर्चाएं तेज हो गई थीं। 2017 के चुनाव में बसपा के 19 विधायक जीत कर आए थे। विनय शंकर तिवारी के पार्टी से निकाले जाने के बाद बसपा में मात्र तीन विधायक बचे हैं। हाल ही में मुबारकपुर आजमगढ़ के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने मायावती को पत्र लिखकर पार्टी से अलविदा कह दिया था। आजमगढ़ सगड़ी की बसपा विधायक वंदना सिंह पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुकी है। राम अचल राजभर और लालजी वर्मा भी पार्टी से निकाले जाने के बाद सफाई हो चुके हैं। इसके अलावा छह अन्य विधायकों ने पार्टी छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है।

मोदी-योगी लहर में चिल्लूपार सीट से विनय तिवारी ने दिलाई थी जीत

पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी-योगी की प्रचंड लहर के बावजूद गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी को हराकर बसपा को जीत दिलाई थी। वह जिले के इकलौते गैर भाजपाई विधायक हैं। इसके पहले वह 2012 के विधानसभा चुनाव में बांसी से 2009 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर और 2008 के उपचुनाव में बलिया से भी हाथ आजमा चुके हैं। विनय शंकर के अलावा निष्कासन सूची में शामिल गणेश शंकर पांडेय बसपा सरकार में ही विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके हैं।

वहीं 2007 में बसपा सरकार के दौरान दलित ब्राह्मण गठजोड़ में सतीश मिश्रा के बाद गणेश शंकर पांडेय की भूमिका दूसरे नंबर पर मानी जाती थी। गोरखपुर और महाराजगंज से चार बार विधान परिषद सदस्य रह चुके गणेश शंकर पांडेय 2010 में विधान परिषद के सभापति चुने गए। पिछले दिनों हुए पंचायत चुनाव में उनकी बहू महराजगंज के लक्ष्मीपुर से ब्लाक प्रमुख चुनी गई हैं। विनय शंकर के बड़े भाई भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी बसपा के टिकट पर ही दो बार सांसद रह चुके हैं। एक बार 2007 के उप चुनाव जबकि दूसरी बार 2009 के लोकसभा चुनाव में खलीलाबाद लोकसभा सीट से वह सांसद रहे हैं।

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