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राजनीति

सियासी किला बचाने की जंग : अखाड़े में शाह, अखिलेश, जयंत और राहुल, जानें कहां पर किसका और कितना होगा असर?

Janjwar Desk
27 Jan 2022 10:45 AM GMT
सियासी किला बचाने की जंग : अखाड़े में शाह, अखिलेश, जयंत और राहुल, जानें कहां पर किसका और कितना होगा असर?
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अखिलेश यादव रालोद के साथ गठबंधन कर वेस्ट यूपी और राजभर व अन्य छोटे दलों को अपने साथ जोड़कर ईस्ट यूपी में भाजपा की नींद उड़ा चुके हैं।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सियासी दलों के बीच जोड़तोड चरम पर है। अपने-अपने सियासी किले को बचाने के लिए सभी दलों के नेता चुनावी अभियान को धार देने में जोरशोर से जुटे हैं। मुख्य मुकाबला यूपी और पंजाब में है।इस बात का ध्यान में रखते हुए अमित शाह ( Amit Shah ) आज मथुरा और दादरी पहुंचे । चुनाव प्रचार के क्रम में सपा-रालोद गठबंधन ( SP-RLD Alliance ) पर उन्होंने जोरदार हमला बोला तो रालोद नेता जयंत चौधरी ( Jayant Chaudhary ) ने योगी और मोदी को खुली खुाली चुनौती दे दी। सपा ( SP ) प्रमुख अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) पहले से ही भाजपा ( BJP ) के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। वहीं यूपी में पार्टी की स्थिति को देखते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) शुक्रवार को पंजाब का किला बचाने अमृतसर पहुंचे और स्वर्ण मंदिर में माथा टेका।

माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई हुई तो सपा नेताओं को होने लगा दर्द

गुरुवार को चुनाव अभियान को धार देने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah ) आज सुबह मथुरा पहुंचे और बांके बिहारी मंदिन में पूजा अर्चना की। उन्होंने मथुरा और दादरी में घर-घर जाकर चुनाव प्रचार किया। इस दौरान सपा रालोद गठबंधन पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की तो सपा नेताओं को दर्द होने लगा। एक दिन पहले दिल्ली में भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर सामाजिक भाईचारा बैठक में भी अमित शाह शामिल हुए थे। इस बैठक में जाट नेताओं और प्रभावीशाली लोगों को आमंत्रित किया गया था। इसका मकसद नाराज जाट समुदाय के लोगों को मनाना था। इसी दौरान शाह ने जयंत चौधरी को भाजपा में आने का का न्योता भी दिया। इसके अलावा, शाह नाराज जाट समुदाय के लोगों को मनाने के लिए 31 जनवरी को सहारनपुर भी पहुंचेगे। वहां पर मां शाकुंभरी देवी मंदिर में पूजा अर्चाना के साथ बेहट, देहात और नगर विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। बता दें कि जाट वोटों की नाराजगी इस बार वेस्ट यूपी में भाजपा के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। सपा-आरएलडी के गठबंधन ने भाजपा को मुश्किल में डाल रखा है।

किसानों पर हुए अत्याचार को हम नहीं भुला सकते

शाह के इस वार पर पलटवार करते हुए रालोद नेता जयंत चौधरी ( Jayant Chaudhary ) ने भाजपा नेताजाओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कल के आमंत्रण का जवाब देते हुए कहा कि न्योता मुझे नहीं, उन 700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए। उन्होंने कहा कि मैंने सपा के साथ गठबंधन का फैसला सोच समझकर लिया है। मैं, कोई चवन्नी नहीं कि पास बदल लूं। कि घर बुलाने का न्योता मुझे नहीं, उन 700 से ज्यादा किसान परिवारों को दें जिनके घर उजाड़ दिए। जयंत ने कहा कि छात्रों के साथ हिंसा देश के भविष्य पर वार है। कृषि आंदोलन के दौरान जिस तरह से किसानों पर अत्याचार हुआ, उसे कैसे भुलाया जा सकता है। यह हमारे मान सम्मान की बात है। हमें सतर्क रहना होगा। हमारा समीकरण एक या दो जाति पर आधारित नहीं है। 36 जाति के लोग खेती करते हैं।

छोटे दलों को साथ ले अखिलेश ने उड़ाई भाजपा की नींद

इतना ही नहीं, अखिलेश और जयंत आज एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी भाजपा पर हमला बोलने वाले हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) सपा विजय रथ यात्रा, ओबीसी वोट बैंक व ब्राह्मण जोरों अभियान के तहत पहले ही भाजपा की चिंता बढ़ा चुके हैं। अखिलेश यादव रालोद के साथ गठबंधन कर वेस्ट यूपी और राजभर व अन्य छोटे दलों को अपने साथ जोड़कर ईस्ट यूपी में भाजपा की नींद उड़ा चुके हैं। सपा प्रमुख के इस दांव से भाजपा इस बार परेशान है कि वो यूपी के किले को किसी तरह बचाए।

पंजाब का किला बचाने अमृतसर पहुंचे राहुल

वहीं यूपी में कांग्रेस की कमजोर स्थिति को देखते हुए राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) आज पंजाब में पार्टी को मजबूत करने के लिए अमृतसर पहुंचे। वहां पर उन्होंने स्वर्ण मंदिर में मत्था ठेका। सीएम चरणजीत चन्नी और पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने उनका स्वागत किया। पार्टी के 117 उम्मीदवारों के साथ लंगर में भी शामिल हुए। श्री दुर्ग्याणा मंदिर और भगवान वाल्मीकि तीर्थ में भी माथा टेका। राहुल गांधी जालंधर के मिट्ठापुर से 'पंजाब फतेह' के नाम से वर्चुअल रैली को संबोधित को संबोधित किया। आज इसी रैली से उन्होंने पंजाब में चुनाव प्रचार का आगाज भी किया। बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव में 117 में से 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 18 सीटों भाजपा और अकाली के खाते में गई थीं। शेष 22 सीटों आप व अन्य के खाते में गई थी। इसलिए कांग्रेस पंजाब में सत्ता में दोबारा वापसी करने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी है। लेकिन कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी बाधा पूर्व सीएम अमरिंदर का पार्टी छोड़कर नई पार्टी से चुनाव लड़ना है। साथ ही कांग्रेस में गुटबाजी भी चरम पर है।

जयंत का जाटों में बढ़ा प्रभाव

दरअसल, पश्चिमी यूपी में जाट मतदाता करीब 17 फीसदी हैं। यहां 45 से 50 सीट ऐसी हैं जहां जाट वोटर ही जीत-हार तय करते हैं। एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन के कारण जाट वोटर्स इस बार भाजपा से छिटक सकते हैं। दूसरी तरफ किसान आंदोलन से आरएलडी के सियासी संजीवनी मिली है। जयंत चौधरी का पश्चिम यूपी में किसान और मजदूर वर्ग में, खासतौर से जाटों में फिर से प्रभाव बढ़ा है। अगर जाट पश्चिम में आरएलडी को समर्थन करता है तो भाजपा को पुराना प्रदर्शन दोहराने में परेशानी होगी।

इस बार यूपी के चुनाव की शुरुआत पश्चिमी यूपी से होनी है। पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों यानि शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिलों की 58 सीटों मतदान होगा। दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों यानि सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इस तरह पहले दो चरणों में 113 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे। इन सीटों पर जाट और मुस्लिम वोटर काफी अहम माने जाते हैं। यही वजह है कि भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुटी है। भाजपा अपनी रणनीति के तहत 'पलायन' और '80 बनाम 20' जैसे मुद्दों को उठाकर ध्रुवीकरण की कोशिश में जुटी है तो इसका जवाब अखिलेश यादव बेरोजगारी, किसान असंतोष, दलित उत्पीड़न, जातिवाद, संप्रदायवाद आदि से दे रहे हैं।

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