UP Election 2022 : सुभासपा प्रमुख राजभर से मिले भाजपा मंत्री स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह, कहीं सरोजिनी नगर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी तो नहीं
लखनऊ। शनिवार को एक तरफ चुनाव आयोग ने यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान किया तो दूसरी तरफ भाजपा नेता और ज्वाइनिंग कमेटी के सदस्य दयाशंकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर से मिले। दोनों के बीच मुलाकात तीन घंटे से ज्यादा देर तक चली। जानकारी के मुताबिक भाजपा राजभर को अपने साथ लेकर चलने की हर संभव कोशिश में जुटी है। दूसर तरफ इस बात की भी चर्चा है कि दयाशंकर खुद सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इस रणनीति के तहत वो अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए राजभर का समर्थन चाहते हैं। यही वजह है कि वो लगातार राजभर से समय-समय पर मुलाकात करते रहते हैं।
कौन हैं दयाशंकर सिंह?
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री स्वाति सिंह ( minister swati singh ) के पति और भारतीय जनता पार्टी ज्वाइनिंग समिति के सदस्य हैं दयाशंकर सिंह। साल 2016 में भाजपा के वरिष्ठ नेता दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी की विभिन्न दलों ने कड़ी निंदा की थी। इस टिप्पणी के बाद मचे बवाल को शांत करने के लिए भाजपा ने दयाशंकर को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। बाद में उनका निष्कासन रद्द कर उन्हें दोबारा पार्टी में वापस ले लिया गया था।
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला भी उनके खिलाफ दर्ज हुआ था। बलिया शहर कोतवाली प्रभारी शशिमौलि पांडेय ने दयाशंकर सिंह व 20 - 25 अन्य के विरुद्ध बलिया शहर कोतवाली में निषेधाज्ञा व आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इतना ही नहीं वो लोकनिर्माण विभाग के निरीक्षण भवन में बैठक भी कर रहे थे। इसके अलावा भी उनके खिलाफ यूपी में कई आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।
दयाशंकर अपनी सीट पक्की करने आए थे
कहा तो यह जा रहा रहा है कि भाजपा लगातारा इस प्रयास में जुटी है कि ओमप्रकाश राजभर उसके खेमे में फिर से वापस आ जाएं। यही वजह है कि दया शकर सिंह बार-बार ओमप्रकाश राजभर के घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं। पिछले एक महीने में दयाशंकर सिंह ने राजभर से तीसरी बार मुलाकात की है। जब ये मुलाकात सार्वजनिक हुई तो ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर ने कहा कि दयाशंकर सिंह अपने लिए गठबंधन सीट पक्की करने आए थे। वह चाहते हैं कि सुभासपा यानी राजभर की पार्टी से वह चुनाव लड़ें।
भाजपा में जानें का सवाल नहीं, जिन्हें डूबना है वो भाजपा में जाएं
दरअसल, भाजपा अपनी कोशिश में सफल हुई तो वह समाजवादी पार्टी गठबंधन को बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका दे सकती है। ऐसा कर भाजपा पूर्वांचल में एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़त लेना चाहती है। लेकिन भाजपा का मंसूबा पूरा होना मुश्किल है। ऐसा इसलिए कि ओमप्रकाश राजभर कई बार यह कह चुके हैं कि भाजपा में जाने का सवाल ही नहीं है। जिन्हें डूबना है वह बीजेपी में जाए। वह जब तक बीजेपी को सत्ता से बाहर नहीं करेंगे। चैन से नहीं बैठेंगे। वह 2 दिन पहले ही समाजवादी पार्टी दफ्तर में अखिलेश यादव के बगल में बैठकर ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि वह भावी मुख्यमंत्री के बगल में बैठे हैं। जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बन जाएंगे तो भी बगल में ऐसे ही बैठेंगे।
भाजपा ब्राह्मणों और सवर्णों की पार्टी
दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि राजनीति में जो दिखता है वह होता नहीं है। दयाशंकर सिंह का बार-बार ओमप्रकाश राजभर के घर जाना और बीजेपी गठबंधन में घर वापसी के लिए मनाने की कोशिश को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। कहीं न कहीं भाजपा नेतृत्व चाहता है कि ओमप्रकाश राजभर को बीजेपी गठबंधन में वापस लाया जाए। वहीं राजभर ने अपने बयानों और प्रचार प्रसार से पूर्वांचल में भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं। वह भाजपा को सवर्ण और ठाकुरों की पार्टी घोषित करना चाहते हैं। बीजेपी को यही बात सबसे ज्यादा अखर रहा है।
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