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राजनीति

Uttarakhand Assembly Election 2022 : क्या कोई खास गुल खिलाने वाला है हरदा का यह 'एकला चलो' अभियान ?

Janjwar Desk
2 Nov 2021 12:09 PM GMT
हाईकमान की ओर से तलब किए जाने के बाद हरीश रावत ने अपने ट्वीट को रोजमर्रा जैसा बताया है।
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(पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। फाइल फोटो)

Uttarakhand Assembly Election 2022 : हरदा ने अपनी पोस्ट में लिखा है उत्तराखंड चुनाव अभियान समिति के अंतर्गत 'मेरा बूथ-मेरा गौरव' अभियान के तहत मुझे बूथ स्तर के लिए एक 'अभियान संयोजक' की आवश्यकता है।

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand Assembly Election 2022। उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) के लिए पार्टी आलाकमान से फ्री हैंड बैटिंग करने के लिए पार्टी (Congress) की कई जिम्मेदारियों से मुक्त हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) व चुनाव अभियान समिति के मुखिया हरीश रावत की इन दिनों प्रदेश में ताबड़तोड़ राजनैतिक बल्लेबाजी जोरों पर है।

सुबह अल्मोड़ा (Almora) में तो शाम तक हरिद्वार नापने वाले हरदा जितने ज़मीन पर सक्रिय हैं, उससे ज्यादा सोशल मीडिया पर। अपनी एक-एक गतिविधि की खबर तो वह सोशल मीडिया पर डाल ही रहे हैं। साथ-साथ कुछ ऐसी सांगठनिक चीजे भी डाल दे रहे हैं, जिसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में शंकाओं की नजर से देखा जाने लगा है। ऐसा ही हरदा का एक कारनामा पार्टी द्वारा चलाये जा रहे "मेरा बूथ-मेरा गौरव" अभियान के संयोजक के तौर पर खाँटी संघ पृष्ठभूमि के राजकिशोर को नियुक्त करने का है।

इस नियुक्ति से पहले हरीश रावत अपने सोशल मीडिया पर न केवल संयोजक की जरूरत की गुहार लगा चुके हैं बल्कि बूथ प्रतिपालक बनने के लिए एक नम्बर भी जारी कर चुके हैं।

हरदा ने अपनी पोस्ट में लिखा है "उत्तराखंड चुनाव अभियान समिति के अंतर्गत 'मेरा बूथ-मेरा गौरव' अभियान के तहत मुझे बूथ स्तर के लिए एक 'अभियान संयोजक' की आवश्यकता है। मैं उनके माध्यम से प्रत्येक बूथ पर एक महिला और एक पुरुष को 'बूथ प्रतिपालक' के रूप में नियुक्त करूंगा। मेरे इस अभियान से जुड़ने के लिए मोबाइल नंबर-7252833321 पर कॉल कर आप मेरे साथ जुड़ने और दायित्व संभालने हेतु इच्छा व्यक्त कर सकते हैं।

पूर्व सीएम की इस पोस्ट से संदेश निकलता है या तो उन्हें कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं पर भरोसा नही है या फिर पुराने लोग इस जिम्मदारी को उठाने से कतरा है। यह स्थिति तब है जब पार्टी की ओर से कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किये जाने के लिए विधानसभा स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है।

लेकिन इसके बाद हरदा ने बूथ प्रबंधन सलाहकार ऐसे व्यक्ति को बनाकर सबको हैरान कर दिया जिसे अमित शाह 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव का सर्वश्रेष्ठ बूथ मैनेजमेंट की उपमा दे चुके हैं।

तीन दशक से संघ से जुड़े राजकिशोर अब कांग्रेस के चुनाव अभियान को बूथ लेबल पर ले जाएंगे। हरदा जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र चंद्रशेखर भुवनेश्वरदयाल उपाध्याय को भी अपना सलाहकार नियुक्त कर चुके हैं। विहिप नेता महेन्द्र सिंह नेगी 'गुरुजी', भाजयुमो नेता राजकुमार जायसवाल को भी कांग्रेस में शामिल करा चुके हैं। जिसे वैसे तो लोहे को लोहे से काटने के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इसको लेकर बैचेनी भी दिखनी शुरू हो गयी है।

राजकिशोर की तैनाती वाले रावत के कदम इस पर महेंद्रप्रताप सिंह बिष्ट पार्टी ने प्रदेश प्रभारी और शीर्ष नेतृत्व से इसका संज्ञान लेने को कहते हुए लिखा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गाँधी जिस विचारधारा से लड़ाई लड़ रहे है। उसी विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति को बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी !

क्या पूरे भारत में एक भी कांग्रेसी राजकिशोर के बराबर योग्य नही मिला ???

क्या उत्तराखंड में विहिप, आरएसएस के लोग और मोदी से बैर नही भाजपा की खैर नही बोलने वाले नेता कांग्रेस का बेड़ा पार करेंगे या फिर भाजपा से कांग्रेस का बेड़ा गर्क करवाने के लिए कोई बड़ी डील मूर्त रुप ले चुकी है ?

कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत खेमे के प्रति प्रतिबद्ध महेन्द्रप्रताप सिंह बिष्ट हालांकि तकनीकी तौर पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के कर-कमलों द्वारा कांग्रेस से निष्कासित किये जा चुके हैं। लेकिन रणजीत रावत के साथ उनकी प्रतिबद्धता हद दर्जे की है, जो उन्हें कांग्रेस का भला-बुरा सोचने के लिए प्रेरित करती है। उनकी इसी पोस्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ता विनय पलड़िया भी हरदा के इस कदम से कतई इत्तेफाक न रखते हुए कहते हैं कि "इससे अच्छा तो सल्ट उप-चुनाव की तरह वॉक ओवर देने वाला बयान जारी कर देते।" कांग्रेस अनुसूचित विभाग के सचिव संजय कुमार को लगता है हरीश कांग्रेस को शून्य में पहुंचाने को प्रतिबद्ध हैं। कुंदन नेगी की आशंका है कि "यह आदमी कांग्रेस के लिए काम रहा है या भाजपा के लिए ?"

बहरहाल, कांग्रेस में प्रदेश के सबसे बड़े व्यक्तित्व हरदा विधानसभा चुनाव से पहले जिस प्रकार लोहे को लोहे से काटने की राजनीति कर रहें, वह प्रयोग पार्टी के लिए कितना हितकारी होगा, इसका जवाब चुनाव देंगे। लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं उनके इन कदमों को कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही संशय की नजर से देखा जा रहा है। क्या हरदा यह अविश्वास खत्म करने की पहल करेंगे या अपने प्रयोग पर आंख मूंद चलते रहेंगे ?

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