Uttarakhand के इस कैबिनेट मंत्री पर मंडराया खतरा, हाईकोर्ट में विधायकी पर लटकी तलवार
Uttarakhand के इस कैबिनेट मंत्री पर मंडराया खतरा, हाईकोर्ट में विधायकी पर लटकी तलवार
Uttarakhand : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व ऋषिकेश से वर्तमान विधायक प्रेमचन्द्र अग्रवाल (Premchandra Agarwal) द्वारा हालिया विधानसभा चुनाव के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से पैसे निकालकर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से लोगों को बांटने के खिलाफ दायर चुनाव याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रेमचन्द्र अग्रवाल, चुनाव आयोग (ECI) भारत सरकार, चुनाव आयोग उत्तराखण्ड, राज्य सरकार, स्पीकर लेजिस्लेटिव असेम्बली विधानसभा भवन देहरादून, जिला अधिकारी देहरादून, एसडीएम, रिटर्निंग ऑफिसर ऋषिकेश, जिला कोषागार अधिकारी देहरादून को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए अब 25 मई की तिथि नियत की है। सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।
मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) में कैबिनेट मंत्री पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के चुनाव को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की गई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अग्रवाल और केंद्रीय चुनाव आयोग समेत अन्य को नोटिस जारी किया है।
उनपर आरोप है कि उन्होंने चुनाव के दौरान स्पीकर विवेकाधीन राहत कोष की धनराशि के डिमांड ड्राफ्ट बांटकर चुनाव को प्रभावित किया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कैबिनेट मंत्री अग्रवाल समेत केंद्रीय निर्वाचन आयोग, राज्य सरकार, विधान सभा अध्यक्ष, जिलाधिकारी देहरादून व एसडीएम व रिटर्निंग ऑफिसर ऋषिकेश, कोषाधिकारी देहरादून को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई को 25 मई की तिथि नियत की है।
ऋषिकेश निवासी कनक धनै ने चुनाव याचिका दायर कर कहा है कि अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से करीब पांच करोड़ रुपया निकालकर लोगों में डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बांटा है। जिसकी स्वीकृति विधान सभा सचिव ने दी थी। डिमांड ड्राफ्ट चार हजार 975 के बनाए गए है, इनमें तीन फरवरी व 9 फरवरी की तिथि डाली गई है। याचिकाकर्ता ने डिमांड ड्राफ्ट की प्रतिलिपि भी याचिका में सबूत के तौर पर संलग्न की हैं। याचिका में मामले की जांच करने व जांच सही पाए जाने पर उनका चुनाव प्रमाण पत्र को निरस्त करने की मांग की है।