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राजनीति

क्यों अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल लोकसभा चुनाव के लिए क्षेत्रीय पार्टियों को नेशनल फ्रंट बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं ?

Janjwar Desk
26 July 2021 9:25 PM IST
क्यों अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल लोकसभा चुनाव के लिए क्षेत्रीय पार्टियों को नेशनल फ्रंट बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं ?
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(पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत सिंह ने बताया कि कांग्रेस अकाली दल के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी है। भाजपा से अभी ताजा ताजा अलगाव हुआ है।)

अकाली दल ने कुछ माह पहले कृषि सुधार कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार में मंत्री पद छोड़ दिया था। केंद्र में मंत्री सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दिया था....

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन वह देश में कांग्रेस और भाजपा को छोड़ कर अलग से थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में भी है। इसी क्रम में अब पंजाब के अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दल मिल कर नेशनल फ्रंट बनाए। अकाली दल ने भाजपा से अपना राजनीतिक रिश्ता खत्म कर लिया है। अब वह पंजाब में बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

लेकिन थर्ड फ्रंट के उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। भाजपा से 22 साल पुराने रिश्ते को खत्म कर अकाली दल राष्ट्रीय राजनीति में अलग थलग पड़ गया है। जानकारों का कहना है कि अकाली दल के रणनीतिकारों को पता है कि राष्ट्रीय राजनीति में यदि पकड़ नहीं है तो राज्य में काम करना अपेक्षाकृत मुश्किल हो जाता है। इसलिए सुखबीर बादल चाह रहे हैं कि वह थर्ड फ्रंट का हिस्सा बने।

पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत सिंह ने बताया कि कांग्रेस अकाली दल के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी है। भाजपा से अभी ताजा ताजा अलगाव हुआ है। यूं भी कृषि कानून के मामले में अकाली दल यदि भाजपा के साथ जाता है तो पंजाब में वह अपने ग्रामीण व किसान मतदाता को खो देगा। इस बात को अकाली दल भी समझ रहा है। तभी तो अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल कहते हैं कि , "अब अकाली दल की भाजपा के साथ कहानी खत्म हो चुकी है। किसानों के मुद्दे पर अकाली दल कभी समझौता नहीं करेगा। वहीं, इन कृषि सुधार कानूनों को किसी भी सूरत में पंजाब में लागू नहीं होने दिया जाएगा।"

अकाली दल ने कुछ माह पहले कृषि सुधार कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार में मंत्री पद छोड़ दिया था। केंद्र में मंत्री सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दिया था। इसके बाद सुखबीर ने भाजपा से अपने 22 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण अवार्ड लौटा दिया था।

इसलिए भाजपा की ओर जाने का फिलहाल सवाल पैदा नहीं हो रहा है। बचा थर्ड फ्रंट। इसलिए सुखबीर की कोशिश है कि वह थर्ड फ्रंट का हिस्सा बन जाए। सुरजीत सिंह कहते हैं कि थर्ड फ्रंट का हिस्सा बनना अकाली दल के लिए आसान है। क्योंकि वह क्षेत्रीय पार्टी है। पहले भी इस तरह के गठबंधन से उन्हें परहेज नहीं है। इस बार उन्हें दिक्कत यह है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव का लेकर बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है।

बसपा अभी थर्ड फ्रंट को लेकर किसी निर्णय पर नहीं है।। । बसपा को ऐसी किसी बैठक में बुलाया भी नहीं गया है। इस वजह से यह कहना मुश्किल है कि बसपा का रूख क्या रहेगा? तो क्या बसपा और अकाली दल गठबंधन सिर्फ पंजाब विधानसभा तक सीमित रहेगा? इस सवाल के जवाब में सुरजीत सिंह ने बताया कि हां , अभी यही नजर आ रहा हैं। विधानसभा चुनाव के बाद जो संभावनाएं बनेगी, इसकी रणनीति बाद में तैयार होगी। फिलहाल तो यह गठबंधन विधानसभा चुनाव तक है। यह भी एक कारण है कि अकाली दल थर्ड फ्रंट की वकालत कर रहा है।

ध्यान रहे जून माह में शरद पवर और प्रशांत किशोर की मुलाकात हुई थी। इसके बाद से ही थर्ड फ्रंट की संभावनाएं बन रही है। शरद पवार ने इसके बाद विपक्षी दलों की एक बैठक भी बुलाई थी। इसमें तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य पार्टियों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था।

जानकारों का मानना है कि सुखबीर बादल थर्ड फ्रंट का हिस्सा बनना चाहते हैं। वह अपने बयान से यह भी बताना चाह रहे हैं कि बीजेपी के साथ उनका गठबंधन टूट गया है। यह गठजोड़ निकट भविष्य में संभव नहीं है, वह यह भी संदेश देना चाह रहे हैं। अब देखने वाली बात तो यह होगी कि क्या थर्ड फ्रंट के रणनीतिकार उन्हें अपने साथ जोड़ते है या नहीं।

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