Gujrat की हकीकत : आधी आबादी का ढिंढोरा पीटने वालों ने 10% सीटों पर भी महिलाओं को प्रत्याशी बनाना नहीं समझा मुनासिब
ये है Gujrat की हकीकत, आधी आबादी का ढिंढोरा पीटने वालों ने 10% सीटों पर भी महिलाओं को प्रत्याशी बनाना मुनासिब नहीं समझा
गुजरात चुनाव में महिलाओं की भागीदारी पर धीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट
Gujrat Chunav 2022 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi ) अपने हर भाषण में महिला सशक्तिकरण ( Women empowerment ) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं, लेकिन जब उन्हें राजनीति में भागीदार बनाने की बातें होती है तो वो भी चुप्पी साध लेते हैं। कमोवेश कांग्रेस ( Congress ) और आम आदमी पार्टी ( AAP ) का भी यही हाल है। बशर्ते कि तीन बड़े दलों में आप ने सबसे कम महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है। यानि महिला भागीदारी के मुद्दे पर सभी सियासी दल दो चरित्र में दिखाई दे रहे हैं। अगर हम प्रस्तावित गुजरात विधानसभा चुनाव ( Gujrat Assembly Election 2022 ) की ही बात करें तो वहां पर कुल सीटें 182 हैं। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने 10 प्रतिशत महिलाओं को भी प्रत्याशी बनाने जैसा बड़ा दिल नहीं दिखाया। ये है देश की राजनीति की सच्ची तस्वीर। जबकि सियासी दलों के नेता महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की बात करने से नहीं थकते।
तथ्यों के लिहाज से देखें तो गुजरात में विधानसभा कुल सीटें 182 हैं। इन सीटों पर सभी दलों व निर्दलियों के कुल 1621 प्रत्याशी मैदान में हैं। कुल महिला प्रत्याशियों की संख्या 139 है। भाजपा, कांग्रेस और आप के प्रत्याशियों की संख्या सिर्फ 38 है।
BJP ने मौजूदा 9 में से पांच के टिकट काटे
भाजपा ( BJP ) ने 2017 के 12 के मुकाबले इस बार 18 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। पांच साल पहले की तुलना में छह प्रत्याशी ज्यादा मैदान में उतारे हैं, लेकिन यह संख्या कुल योग का 10 फीसदी भी नहीं है। भाजपा ने नौ मौजूदा महिला विधायकों में से पांच को हटा दिया है और उनमें से चार को दोहराया है। अनुसूचित जाति (एससी) से आरक्षित गांधीधाम से मालती माहेश्वरी, गोंडल से गीता जडेजा, असरवा से संगीता पाटिल और एससी-आरक्षित वडोदरा सिटी सीटों से मनीषा वकील का नाम शामिल है।
Congress ने 14 महिलाओं को दिया मौका
कांग्रेस ( Congress ) ने 14 महिलाओं को मैदान में उतारा है। 2017 में कांग्रेस ने सिर्फ 10 महिला प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। कांग्रेस ने अपनी चार में से दो महिला विधायकों को दोहराया है। आशा पटेल जो उंझा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीती थीं और बाद में भाजपा में शामिल हो गईं, स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई। कांग्रेस ने वाव से जेनीबेन ठाकोर और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट गरबाड़ा से चंद्रिका बारिया को उम्मीदवार बनाया है। ये हाल उस कांग्रेस का जो लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए बिल पेश करती है। यानि जमीनी हकीकत से बिल्कुल दूर।
Kejriwal ने नहीं दिखाया बड़ा दिल
अगर आम आदमी पार्टी ( AAP ) की बात करें तो उसका और भी बुरा हाल है। आप ने सिर्फ 6 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इनमें भी तीन अनुसूचित जाति के ही हैं। जबकि 182 में से 181 सीटों पर उनके प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। एक सीट पर आप ने जिसे प्रत्याशी बनाया उसने अपना नाम वापस ले लिया। ये हाल उस समय है जब गुजरात ( Gujrat ) में लगभग 50% मतदाताओं की संख्या महिलाओं की है।
13 सीटों पर चुनाव लड़ रही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दो महिलाओं को टिकट दिया है, जिनमें एक मुस्लिम और दूसरी दलित समुदाय से है। इसने वेजलपुर से ज़ैनबबी शेख और दानिलिमदा से कौशिकाबेन परमार को मैदान में उतारा है। दोनों सीटें अहमदाबाद शहर में हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आगामी चुनावों के लिए 13 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। वह 101 सीटों पर लड़ रही है।
चुनाव आयोग के आंकड़े
चुनाव आयोग ( Election Commission ) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक गुजरात विधानसभा चुनाव में कुल 1621 उम्मीदवार हैं। इनमें से 139 महिला उम्मीदवार हैं, जिनमें से 56 के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। 2017 में कुल 1,828 प्रतियोगियों में से 126 महिला उम्मीदवार थीं। उस वर्ष गुजरात ने 13 महिला उम्मीदवारों को विधानसभा में भेजा था। इनमें भाजपा के नौ और कांग्रेस के चार विधायक शामिल हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 104 महिला प्रतियोगियों की जमानत राशि जब्त हुई थी।
भाजपा ने 33% आरक्षण का समर्थन नहीं किया
महिला प्रत्याशियों ( Women Candidate ) की दावेदारी कम होने के बाबत वडोदरा में सयाजीगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अमी रावत का कहना है कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व तब बढ़ेगा जब महिलाओं को 33% आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक संसद में पारित हो जाएगा। हमारी पार्टी ने संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का बिल पेश किया जिसका बीजेपी ने समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में भी महिलाओं को अपने मताधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा।
आरक्षण पुरुषों से अन्याय
Gujrat Chunav 2022 : भाजपा की राज्य महिला शाखा की प्रमुख दीपिकाबेन सर्वदा का मूल सवाल का जवाब देने के बदले कहती हैं कि उनकी पार्टी पहले से ही महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं को मौका देकर उन्हें आगे बढ़ा रही है। जिस तरह से भाजपा ने हर स्तर पर महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया है, उससे पता चलता है कि पार्टी उनके कल्याण के प्रति गंभीर है। आज हमारी 18 बहनों को चुनाव लड़ने का मौका मिला है और आने वाले दिनों में उन्हें राज्य कैबिनेट में रहने का मौका मिलेगा। उनमें से एक महिला एवं बाल विकास मंत्री बनेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभाओं और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की कांग्रेस की मांग पुरुष पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा। पार्टी के पुरुष कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक है और उन्हें उचित मौका मिलना चाहिए, इसलिए इस तरह का आरक्षण जरूरी नहीं है।