16 साल की लड़कियां प्यार में बना रही हैं यौन संबंध, सहमति की उम्र पर Pocso कानून में फिर हो विचार- कर्नाटक हाईकोर्ट
16 साल की लड़कियां प्यार में बना रही हैं यौन संबंध, सहमति की उम्र पर Pocso कानून में फिर हो विचार- कर्नाटक हाईकोर्ट
Pocso Act : कर्नाटक हाईकोर्ट ने देश के विधि आयोग को निर्देश दिये हैं कि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंस यानी Pocso कानून में यौन संबंध (Sex Relation) के लिए सहमति की उम्र पर फिर से विचार करे। जस्टिस सूरज गोविंदराज और जस्टिस जी बसवराज की डिवीडन बेंच ने 5 नवंबर को दिये आदेश में कहा कि, कई मामले आ रहे हैं, जहां 16 वर्ष से अधिक उम्र की नाबालिग लड़कियां प्रेम में पड़कर घर से चली जा रही हैं।
पीठ ने कहा कि, इसके बाद जिस लड़के के साथ वे जाती हैं, उससे यौन संबंध (Sex Relation) बनाती हैं। हमारा मानना है कि आयोग को जमीनी हकीकत समझते हुए संबंध (Relation) बनाने में सहमति की उम्र (Age) पर फिर से विचार करना चाहिए।
बता दें कि हाईकोर्ट में इसी तरह के एक मामले की सुनवाई चल रही थी। अदालत में बैठी पीठ ने पॉक्सो कानून में आरोपी को दोषमुक्त करार दिया। मामला साल 2017 का था। 17 वर्षीय लड़की अपना घर छोड़कर आरोपी लड़के के साथ गई थी। लड़की के माता-पिता ने केस दर्ज करवाया था, लेकिन सुनवाई के दौरान गवाह बदल गये। इस केस के दौरान ही लड़की ने लड़के से शादी कर ली, जिनके अब दो बच्चे भी हैं।
सुनवाई के बाद परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने लड़के को रिहा कर देने का आदेश दे दिया। गौरतलब हौ की भारत में सहमति से योन संबंध बनाने की उम्र 18 साल है, इससे कम उम्र की लड़की से यौन संबंध पॉक्सो के तहत दुष्कर्म माना जाता है।
पॉक्सो व IPC को लेकर जागरूकता की कमी
हाईकोर्ट ने कहा कि पॉक्सो व IPC को लेकर जागरूकता की कमी है। इसलिये भी यह देखने में आ रहा है कि नाबालिग लड़के-लड़कियां कई तरह के अपराध कर रहे हैं। कई बार लड़का-लड़की करीबी रिश्तेदार होते हैं। एक ही कक्षा में पढ़ते हैं या किसी अन्य कारण से एक दूसरे को करीब से जानते हैं। बेशक कानून की जानकारी ना होने का बहाना अपराध करने की छूट नहीं देता, लेकिन कम से कम विद्यार्थियों को पॉक्सो एक्ट के बारे में जागरूक करना चाहिये।
क्लास 9 से पढ़ायें पॉक्सो एक्ट
हाईकोर्ट ने कर्नाटक शिक्षा विभाग को भी कहा कि कक्षा 9 से विद्यार्थियों को पॉक्सो व अन्य संबंधित कानूनी पहलुओं की शिक्षा दी जा सकती है। कोर्ट ने राज्य के प्रमुख सचिव शिक्षा को निर्देश दिये कि वे एक समिति बनाएं जो संबंधित मामले में उपयुक्त शैक्षणिक सामग्री तैयार करेगी। यह सामग्री व जरूरी निर्देश सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूलों को भेजें, ताकि विद्यार्थियों को इस बारे में शिक्षित कर सकें।