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समाज

पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर युवती ने लगाई फांसी, अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम

Janjwar Desk
9 Aug 2020 5:10 AM GMT
पुलिस प्रताड़ना से तंग आकर युवती ने लगाई फांसी, अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम
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पुलिसिया उत्पीड़न से बेटी के आत्महत्या के बाद कोतवाली गेट पर बैठे मृतका नीशु के परिजन और मृतका का फाइल फोटो (photo : social media)

चोरी के आरोप में थाने ले जाकर तीनों लड़कियों से घंटों पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उनके साथ की मारपीट, पानी मांगने पर दीं गंदी गंदी गालियां, परिजनों ने कहा 10 हजार रुपये लेकर 10 बजे छोड़ा पुलिस ने लड़कियों को...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार सवालों के घेरे में रहना पसंद कर रही है। नया मामला जालौन के उरई का है। यहां के रामनगर निवासी कल्लू पल्लेदार की 21 वर्षीय बेटी निशू ने पुलिस प्रताड़ना से तंग होकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद परिजनों ने कोतवाली पहुंचकर जमकर हंगामा काटा। सीओ संतोष कुमार ने परिजनों की तहरीर लेकर किसी तरह मामला शांत कराया।

घटनाक्रम के मुताबिक शुक्रवार 7 अगस्त की दोपहर निशू अपनी दो सहेलियों के साथ बलदाऊ चौक स्थित मोबाइल की दुकान में मोबाइल ठीक कराने गई थी। तभी कुछ दुकानदारों ने कोतवाली पहुंचकर बताया कि दो दिन पहले एक दुकान से पर्स चोरी हो गया था, उसमें इन्हीं लड़कियों का हाथ था। इसके बाद पुलिस मोबाइल की दुकान पर पहुंची और निशू समेत उसकी दोनों सहेलियों को उरई कोतवाली ले आयी। निशू और उसकी दोनों सहेलियों से आठ घंटे पूछताछ की गई।

परिजनों का आरोप है कि पुलिस तीनों लड़कियों को 7 अगस्त की दोपहर लगभग तीन बजे कोतवाली लेकर गई थी। बन्द कमरे में उनके साथ मारपीट व अभद्रता की गई। जिस कमरे में उन्हें बिठाया गया वहां एक महिला सिपाही के अलावा बाकी पुरुष पुलिसकर्मी थे। चार बजे सूचना पाकर लड़कियों के परिजन और अन्य ग्रामीण कोतवाली पहुंचे। रात दस बजे तीनों को यह कहकर छोड़ा गया कि शनिवार 8 अगस्त को फिर कोतवाली लाकर पूछताछ की जाएगी।

निशू की मां लौंगन देवी बताती हैं कि अपनी छोटी बहनों के साथ सो रही निशू ने अपने रूपट्टे से फांसी का फंदा बनाकर जान देने का प्रयास किया। परिजन उसे फंदे से उतारकर अस्पताल लेकर भागे, पर निशू ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

सहेली मोहिनी ने बताई पुलिस बर्बरता की दास्तान

रामनगर निवासी मोहिनी पुत्री सूरज चौधरी ने बताया कि वह उमरार खेड़ा निवासी सहेली शिवानी के साथ राशन लेने निकली थी। तभी माहिल तालाब के पास शिवानी ने कहा कि उसे अपना मोबाइल ठीक करवाना है। दोनों दुकान पर जाकर मोबाइल ठीक करवाने लगीं। तभी पड़ोस में रहने वाली निशू वहां पहुंच गई। मोबाइल ठीक नहीं हुआ तो शिवानी के भाई ने उसे बलदाऊ चौक की एक दुकान में जाकर मोबाइल दिखाने को कहा। वह दुकान पर पहुंची ही थी कि वहां खड़ा एक लड़का मोबाइल से उनकी फोटो खींचने लगा। निशू समेत तीनों लड़कियों ने उसका विरोध किया, तभी वहां पुलिस पहुंच गई।

मोहिनी के मुताबिक पुलिस जीप में एक महिला पुलिसकर्मी के अलावा बाकी पुरुष पुलिसकर्मी थे। तीनों को जीप में बिठा लिया गया। रास्ते में पुलिस ने उन्हें गालियां देनी शुरू कर दीं। इसके बाद तीनों को कोतवाली लाकर एक कमरे में पूछताछ की जाने लगी। मोहिनी ने बताया कि पुलिस वाले कभी पर्स व उसमें रखे किसी पासपोर्ट के बारे में पूछ रहे थे, तो कुछ लोग पूछ रहे थे कि अभी तक कहां कहां चोरियां की हैं। तीनों से बार बार एक ही सवाल किया जा रहा था।

पानी मांगने पर भी मिली गालियां

मोहिनी का कहना है कि निशू उनसे बार-बार कह रही थी कि यदि उसने पर्स चोरी किया होता तो दोबारा उस दुकान में क्यों जाती? लेकिन पुलिसवाले मानने को तैयार नहीं थे। मोहिनी ने बताया इस दौरान पानी मांगने पर भी उन्हें गंदी गंदी गालियां दी गई। वहां मौजूद महिला सिपाही ने उनके साथ मारपीट भी की। उन्हें 10 बजे रात में छोड़ा गया, इस दौरान खाना—पानी तक नहीं दिया गया।

पुलिस ने मांगे थे 10 हजार रुपये

कोतवाली के बाहर मौजूद निशू की मां लौंगन देवी ने कहा कि दरोगा योगेंद्र पाठक ने बेटी को छोड़ने की एवज में उनसे दस हजार रुपये की डिमांड की। कह रहे थे कि पहले दस हजार रुपये दो, फिर बेटी को जाने देंगे। पुलिस ने दुकान पर निशू की फ़ोटो खींचने वाले को कोतवाली बुलाया, उनसे रुपये लेकर उसे छोड़ दिया। निशू की सहेली के परिजनों ने भी पुलिस पर रुपये मांगने का आरोप लगाया है।

होगी मजिस्ट्रेटी जांच

शनिवार 8 अगस्त की देर शाम इस मामले के विरोध में कांग्रेसियों द्वारा जाम लगाए जाने की सूचना पर पहुंचे अपर जिलाधिकारी पीके सिंह व एसएसपी अवधेश सिंह ने आश्वासन दिया कि मामले की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाएगी और मामले में जो भी दोषी होगा उसे किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।

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