रामनगर के पीरूमदारा में पीलिया की शिकायत पर झोलाछाप डॉक्टर के गलत इंजेक्शन लगाने से 8वीं की छात्रा की मौत
आठवीं में पढ़ने वाली छात्रा की मौत के बाद मृतका के रोते-बिलखते परिजन और इंसेट में मृतक छात्रा
Ramnagar news : शहर के करीब पीरूमदारा क्षेत्र में एक नाबालिग किशोरी की इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पुलिस ने डॉक्टर को फिलहाल अपनी हिरासत में ले लिया है। मृतक बालिका शाइनिंग पब्लिक स्कूल में 8वीं की छात्रा थी।
पीरुमदारा क्षेत्र के भगतपुर मड़ियाल निवासी निर्मल सिंह नेगी की 16 वर्षीय पुत्री दीपिका नेगी को 2 दिन पूर्व पीलिया की शिकायत हुई थी, जिसके बाद परिजन इस किशोरी को पीरुमदारा में स्थित हरिशंकर सरकार नाम के एक बंगाली डॉक्टर के क्लीनिक पर ले गए थे। यहां मौजूद चिकित्सक द्वारा इस किशोरी का उपचार करने के बाद उसे एक इंजेक्शन लगाया गया था, जिसके बाद इस किशोरी की हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
मृतका की चाची बीना नेगी ने बताया कि उसकी भतीजी की हालत बिगड़ने के बाद शनिवार यानी आज 22 जनवरी को दोबारा वह उसे उपचार के लिए बंगाली डॉक्टर के पास ले गए तो उसने कहा कि फोड़ा-फुंसी होने के कारण इसके पैर में सूजन आई है, लेकिन किशोरी की हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजनों से काशीपुर के प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद परिजन इसे उपचार के लिए रामनगर के सरकारी अस्पताल लाए, यहां भी चिकित्सकों ने इस किशोरी को मृत घोषित कर दिया। घटना से आक्रोशित मृतका के परिजनों व ग्रामीणों ने झोलाछाप डॉक्टर के क्लीनिक पर पहुंचकर नाराजगी भी व्यक्त की, लेकिन उससे पहले ही यह झोलाछाप डॉक्टर परिजनों की मंशा भांपकर क्लीनिक बंद करके मौके से फरार हो गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने रामनगर के सरकारी अस्पताल पहुंचकर परिजनों से जानकारी जुटाई। फिलहाल पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को हिरासत में ले लिया है।
रामनगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार झोलाछाप डॉक्टर गरीब मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कई बार अभियान भी चलाया गया लेकिन उसके बाद भी लगातार यह झोलाछाप डॉक्टर गरीबों की जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। पूर्व में भी सप्ताह भर पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया गया था लेकिन मात्र अभियान 1 दिन का ही चलाने के बाद स्वास्थ्य विभाग खामोश बैठ गया। झोलाछाप डॉक्टरो द्वारा लगातार गरीबों व मासूमों की जिंदगी के साथ हो रहे खिलवाड़ के चलते अब स्वास्थ्य विभाग पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।