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समाज

जोशीमठ में लगातार दरकते घरों और भूधंसाव की चिंतनीय हालत के बाद आंदोलन के मोड में जनता तो प्रशासन ने लिया दुबारा सर्वे का निर्णय

Janjwar Desk
27 Dec 2022 1:16 PM GMT
जोशीमठ में लगातार दरकते घरों और भूधंसाव की चिंतनीय हालत के बाद आंदोलन के मोड में जनता तो प्रशासन ने लिया दुबारा सर्वे का निर्णय
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जोशीमठ के ये दो होटल इस तरह गिरने की हालत में होने के कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर थीं वायरल

बीते साल से जोशीमठ शहर के घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। इन दरारों को जोशीमठ का भूस्खलन के ढेर पर बसे होने से रिश्ता जोड़ा जा रहा है, जिसमें आसपास हो रहे भारी निर्माण के कारण शहर का ड्रेनेज और सीवर का पानी शहर की जड़ को कमजोर कर रही थी

देहरादून। चमोली जिले के जोशीमठ कस्बे में लगातार हो रहे भू धंसाव के मामले में लोगों के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद सरकार के स्तर पर हलचल शुरू हो गई है। जिलाधिकारी ने जोशीमठ पहुंचकर कई क्षेत्रों का दौरा किया तो आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से भी शहर में हो रहे भू धंसाव का नए सिरे से सर्वे किए जाने के निर्देश दिए हैं। इस बारे में आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने चमोली के जिलाधिकारी को निर्देश दे दिए हैं। दूसरी ओर शहर में दिन प्रतिदिन भू धंसाव से लोग दहशत में जी रहे हैं।

बता दें कि बीते साल से जोशीमठ शहर के घरों में दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। इन दरारों को जोशीमठ का भूस्खलन के ढेर पर बसे होने से रिश्ता जोड़ा जा रहा है, जिसमें आसपास हो रहे भारी निर्माण के कारण शहर का ड्रेनेज और सीवर का पानी शहर की जड़ को कमजोर कर रही थी। कई निवेदन प्रत्यावेदन के बाद जब प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली तो बीते दिनों जोशीमठ में लोगों ने विशाल प्रदर्शन किया था। इसके बाद से प्रशासन की इस मामले में नींद टूटनी शुरू हुई थी।

जिलाधिकारी हिमांशु कुमार ने जोशीमठ शहर का निरीक्षण किया। इसके साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग ने भी जोशीमठ के भू धंसाव का दुबारा सर्वे किए जाने के निर्देश देते हुए क्षेत्र में प्रभावित परिवारों की सूची तैयार करने को कहा है। प्रभावित सभी परिवारों के पुनर्वास के लिए 15 जनवरी को बैठक होगी। इससे पूर्व कुछ माह पहले शासन के निर्देश पर गठित वैज्ञानिकों की टीम ने वहां का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट में समस्या के समाधान के लिए कई सुझाव भी दिए थे। इसी कड़ी में शासन ने सिंचाई विभाग को जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा कराकर क्षेत्र के हर घर को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा। डीपीआर के लिए 20 जनवरी को टेंडर निकाला जा रहा है। डीपीआर बनाते हुए जियो टेक्निकल अध्ययन भी कराया जाएगा, जबकि सिंचाई विभाग के सचिव हरिचंद सेमवाल कहना है कि अल्मोड़ा में ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है। अब जोशीमठ में भी कंसल्टेंट नियुक्त कर ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर तैयार की जाएगी।

जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग की पिछले महीने हुई बैठक के जारी कार्यवृत्त के मुताबिक शासन स्तर पर जोशीमठ के सोक पिट, उनके कनेक्शन वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। जोशीमठ में प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा के उपाय के तहत अलकनंदा नदी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा शासन ने रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वैज्ञानिकों से भी भवनों के डिजाइन को लेकर रिपोर्ट मांगते हुए पूछा है, भू धंसाव वाले इलाकों में भवनों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन क्या होना चाहिए।

दूसरी ओर वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. स्वप्नमिता चौधरी ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट इंटरफेयरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार (इंसार) के जरिये जोशीमठ की तस्वीरों के अध्ययन के बाद कहा है कि जोशीमठ के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर भू धंसाव हो रहा है। इसके लिए काफी हद तक बदहाल सीवरेज प्रणाली और ड्रेनेज सिस्टम जिम्मेदार है। शहर में बारिश के दौरान जिन नालों से पानी बहता है उनके आसपास या ऊपर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होने से पानी अलकनंदा नदी में पहुंचने के बजाय जमीन में जा रहा है। यह भू धंसाव का बड़ा कारण बन रहा है।

डॉ. स्वप्नमिता चौधरी के मुताबिक उन्होंने वर्ष 2006 में भी जोशीमठ में भू धंसाव को लेकर अध्ययन करने कर इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। उस समय वह शासन में तैनात थीं। उस रिपोर्ट पर शासन स्तर पर क्या कार्रवाई हुई, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।

इधर जब प्रशासन जोशीमठ की इस समस्या को लेकर कुछ संजीदा होते दिख रहा है तो दूसरी तरफ जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन का फैलाव जारी है। इसी कड़ी में जोशीमठ के रविग्राम स्थित समाज कल्याण विभाग द्वारा गरीब अनुसूचित जाति जनजाति छात्रों के लिये संचालित आश्रम पद्धति विद्यालय में भी लंबे समय से आ रही दरारें और चौड़ी होनी शुरू हो गई हैं। विभाग द्वारा इस विद्यालय का भी भूगर्भिक सर्वेक्षण भी पिछले माह किया गया था। विद्यालय के प्राचार्य अनिल सकलानी द्वारा कुछ फोटो वीडियो जारी किये गये हैं, जिनसे स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि दरारों के बाद अब इस छात्रावास की ईंटें भी निकलकर गिरने लगी हैं। यह पूरा दोमंजिला भवन एक तरफ को झुकने लगा है। इस भवन में कक्षाएं व छात्रों के आवास आदि भी शामिल हैं।

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