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उन्नाव में जिंदा बच्ची को डॉक्टर ने घोषित किया मृत, प्रत्यक्षदर्शियों को वीडियो बनाता देख शुरू किया इलाज

Janjwar Desk
24 May 2021 6:01 AM GMT
उन्नाव में जिंदा बच्ची को डॉक्टर ने घोषित किया मृत, प्रत्यक्षदर्शियों को वीडियो बनाता देख शुरू  किया इलाज
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 डॉ. उमेश कुमार सिंह ने बच्ची को देखे बिना ही कह दिया कि वह मर चुकी है (photo : NBT)

बच्ची को इलाज के लिए डॉक्टर के पास परिजन लेकर आये तो बिना उसे देखे डॉक्टर ने बता दिया कि यह मर चुकी है, जब आसपास खड़े लोगों ने इलाज न करने पर घटना का वीडियो बनाना शुरू किया तो डॉक्टर ने बच्ची का उपचार शुरू किया...

जनज्वार। कोरोना की इस भयावहता के दौर में जहां लाशों की ढेरों की गिनती तक नहीं हो पा रही है, अपने अपनों को कंधा तक नहीं दे रहे, लाशों का लावारिसों की तरह अंतिम संस्कार हो रहा है, उसी बीच डॉक्टर जरूर उम्मीद की किरण बनकर उभरते हैं। तमाम खतरों को मोल लेकर वे मरीज का इलाज करते हैं, और ऐसा करते हुए अब तक सैकड़ों डॉक्टरों की भी मौत हो चुकी है।

मगर कई बार डॉक्टरों का भी ऐसा अमानवीय चेहरा सामने आता है, जिस पर सहज विश्वास नहीं होता। ऐसा ही एक मामला शनिवार 22 मई को उत्तर प्रदेश के चर्चित उन्नाव से सामने आया है। यहां एक बच्ची को इलाज के लिए डॉक्टर के पास परिजन लेकर आये तो बिना उसे देखे डॉक्टर ने बता दिया कि यह मर चुकी है। जब आसपास खड़े लोगों ने पहले डॉक्टर से बच्ची का इलाज करने और इलाज न करने पर घटना का वीडियो बनाना शुरू किया तो उसने बच्ची का उपचार शुरू किया।

हालांकि इस मामले में डॉक्टर के बचाव में उतरे सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार कहते हैं, यह मामला हमारी जानकारी में आया है। डॉक्टर से कोई गलतफहमी हो गई थी। बच्ची की आंखें पलट गई थी। उसकी हालत गंभीर थी, इसके बाद में उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। डॉक्टर बिना आला लगाए, नाड़ी देखें ऐसा नहीं कर सकता है।

मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक उन्नाव के रामापुर थाना पुरवा की रहने वाली एक महिला अपनी 4 साल की भतीजी की तबीयत खराब होने पर उपचार के लिए उसे प्राथमिक चिकित्सा केंद्र पुरवा लेकर आयी थी। महिला के मुताबिक यहां मौजूद डॉ. उमेश कुमार सिंह ने बच्ची को देखे बिना ही कह दिया कि वह मर चुकी है, जिसका वहां खड़े लोगों ने भारी विरोध किया। बिना हाथ लगाये बच्ची को मरा बताने वाले डॉक्टर उमेश सिंह का इसी बीच कुछ लोगों ने वीडियो बनाना शुरू कर दिया। वीडियो बनता देख सतर्क हुए डॉ. उमेश कुमार ने बच्ची का इलाज शुरू किया और उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।

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