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बिकरू के अमर दुबे की 2 दिन की दुल्हन खुशी पर विस्फोटक अधिनियम समेत बढ़ाई गईं 8 धाराएं

Janjwar Desk
25 Sep 2020 4:55 AM GMT
बिकरू के अमर दुबे की 2 दिन की दुल्हन खुशी पर विस्फोटक अधिनियम समेत बढ़ाई गईं 8 धाराएं
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file photo

खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कोर्ट से कहा कि खुशी की भूमिका पुलिस अभी तय नहीं कर पाई है। ऐसे में एक नाबालिग को गम्भीर आरोपों में कैसे आरोपित कर दिया गया। इस पर कोर्ट ने विवेचक कृष्ण मोहन राय से तीन दिन के भीतर साक्ष्य पेश करने को कहा है...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। बिकरू में गैंगस्टर विकास दुबे के दाहिने हाथ अमर दुबे की विवाहिता खुशी दुबे महज दो दिन तक मांग में सिंदूर लगा सकी, फिर उसकी जिंदगी इस कदर तबाह हुई की सुधरने का नाम नहीं ले रही है। चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई को सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में मार गिराए गए आरोपित अमर दुबे की पत्नी खुशी को गुरुवार 24 सितंबर किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया गया।

यहां चौबेपुर पुलिस की ओर से बोर्ड को रिपोर्ट देकर मुकदमे में आठ धाराएं और बढ़ाए जाने की जानकारी देने के साथ उसे न्यायिक रिमांड पर भेजने की मांग की गई। बोर्ड ने उसे फिर 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। बिकरू कांड में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। एक पखवाड़ा पहले उसके अधिवक्ता ने किशोर न्याय बोर्ड में साक्ष्य रखकर उसे नाबालिग बताया था। जिसके बाद बोर्ड ने साक्ष्य परीक्षण के बाद उसे नाबालिग करार देते हुए राजकीय महिला संप्रेक्षण गृह बाराबंकी भेजा था।

गुरुवार 24 सितंबर को उसे बाराबंकी से लाकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया। यहां चौबेपुर पुलिस ने बोर्ड में रिपोर्ट दाखिल कर पहले से दर्ज मुकदमों की विवेचना में साक्ष्यों के आधार पर उस पर धारा 332, 333, 353, 396, 504, 506/34 व विस्फोटक अधिनियम की धारा बढ़ाए जाने और धारा 395 का लोप किए जाने की जानकारी देकर न्यायिक रिमांड मांगी। अमर की पत्नी के वकील शिवाकांत दीक्षित ने विरोध किया मगर बोर्ड ने रिमांड बढ़ाते हुए उसे महिला संप्रेक्षण गृह बाराबंकी भेज दिया।

खुशी दुबे को बाराबंकी से माती स्थित किशोर न्याय बोर्ड लाए जाने की जानकारी पर उसके मां-बाप भी पहुँचे थे। करीब तीन महीने बाद बेटी को देखकर परिजनो की आँखें छलक आईं। खुशी भी माता पिता को देखकर बिलखकर रोने लगी। माती जेल में रहने के दौरान खुशी की तबियत बिगड़ गई थी, उसे खून की उल्टियां होने लगीं थीं।

खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कोर्ट से कहा कि खुशी की भूमिका पुलिस अभी तय नहीं कर पाई है। ऐसे में एक नाबालिग को गम्भीर आरोपों में कैसे आरोपित कर दिया गया। इस पर कोर्ट ने विवेचक कृष्ण मोहन राय से तीन दिन के भीतर साक्ष्य पेश करने को कहा है। साथ ही खुशी के पिता ने वकील के माध्यम से बेटी को अमर दुबे की पत्नी का नाम दिए जाने पर भी आपत्ति जताई है। बता दें कि खुशी पर वह सभी धाराएं लगाईं गई हैं, जो विकास दुबे व उसके गुर्गों पर लगाई गीं थीं।

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