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Bihar Nawada Success Story : अंतरजातीय विवाह के कारण लड़की को ससुराल छोड़ना पड़ा, अब 'वर्दी' मिली तो लोग दे रहे सम्मान

Janjwar Desk
15 April 2022 9:15 AM GMT
Bihar Nawada Success Story : अंतरजातीय विवाह के कारण लड़की को ससुराल छोड़ना पड़ा, अब वर्दी मिली तो लोग दे रहे सम्मान
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Bihar Nawada Success Story : तीन साल पहले गोविंदपुर के दीपक कुमार (Deepak Kumar) और सुगम गुप्ता (Sugam Gupta) गया में एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। इस बीच दोनों में प्यार हुआ और 2018 उन्होंने शादी कर ली...

Bihar Nawada Success Story : यह कहानी है बिहार (Bihar) के नवादा जिले (Nawada District) के गोविंदपुर (Govindpur) की। यहां अंतरजातीय विवाह (Inter Caste Marriage) करने के करण जिस बहू और उसके पति को गांव वालों की दुत्कार झेलनी पड़ी थी, अब वही गांव वाले उन्हें सम्मान दे रहे हैं। जब तीन साल बाद वे दोबारा अपने गांव पहुंची तो लोगों ने बहू को सम्मान देते हुए गाड़ी तक से नीचे नहीं उतरने दिया।

दरअसल हुआ यूं था कि तीन साल पहले गोविंदपुर के दीपक कुमार (Deepak Kumar) और सुगम गुप्ता (Sugam Gupta) गया में एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। इस बीच दोनों में प्यार हुआ और 2018 उन्होंने शादी कर ली। पर यह अंतरजातीय विवाह था। दोनों में से किसी के परिवारवालों ने इसे स्वीकार नहीं किया। उसके बाद दीपक सुगम के साथ अपने गांव देल्हुया आ गया। लेकिन घरवालों के साथ-साथ गांव वाले भी ताना मारने लगे और शादी की दूसरी रात ही दोनों को घर छोड़कर जाना पड़ा।

शादी के दूसरे ही दिन से दंपती का संघर्ष शुरू हो गया। दीपक ने जीवनयापन के लिए छोटे बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। सुगम ने भी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी। अंतत: 2021 में सुगम ने एसएसबी जीडी में कामयाबी हासिल कर दी। अब जब एसएसबी की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सुगम वर्दी में दोबारा पति के साथ अपने गांव लौटी तो गांववालों ने वर्दी वाली बहू को पलको पर बिठा लिया। गाड़ी बालू में फंस गयी तो लोगों ने यह कहकर उतरने तक नहीं दिया कि आप गांव की बहू हैंं, इस गर्मी में आपको कष्ट नहीं होने देंगे।

आपको बता दें कि उस पूरे गांव में सुगम ही एकमात्र महिला है जो किसी नौकरी के लिए चुनी गयी है। अब सुगम के नौकरी में जाने के बाद से गांव की दूसरी लड़कियां भी प्रेरणा ले रही है। वहीं सुगम उन्हें बताती हैं कि संघर्ष करने वाले हमेशा सफल होते हैं। ये पूरी कहानी हमारे समाज के उस स्याह सच को उजागर करती है जिसमें हम सिर्फ उगते सूरज को सलाम करना पसंद करते हैं। यह कितना सही है इस पर मंथन करना जरूरी है।

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