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UP : खुद को IAS बताकर अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर करता था ठगी, क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार

Janjwar Desk
21 Dec 2020 9:10 AM GMT
UP : खुद को IAS बताकर अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर करता था ठगी, क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार
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आरोपी पंकज मिश्रा खुद को IAS अधिकारी बताकर लोगों को अपना शिकार बना रहा था। पंकज मिश्रा के पास से उत्तर प्रदेश पुलिस के 11 जिलों में हो रही जेल वार्डन और फायरमैन की भर्ती परीक्षा से जुड़े दस्तावेज भी किये गये हैं बरामद...

लखनऊ, जनज्वार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर संस्था बनाकर बेरोजगारों को ठगने वाले फर्जी आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि यह युवक अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से संस्था बनाकर बेरोजगारों को चूना लगाता था।

पुलिस ने इस गैंग के मास्टरमाइंड समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से न सिर्फ संस्था के नाम पर ठगी के, बल्कि पुलिस भर्ती परीक्षा से भी जुड़े तमाम दस्तावेज पुलिस को मिले हैं।

जालसाज को लखनऊ के हुसैनगंज से पकड़ा गया है। बीती 10 दिसंबर को यूपी पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर बनी संस्था की आड़ में ठगी की शिकायत मिली थी। शिकायत मिलने के बाद पुलिस कमिश्नर ने लखनऊ क्राइम ब्रांच को सक्रिय किया था।

क्राइम ब्रांच ने उन अखबारों के दफ्तरों में जाकर पूछताछ की, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी जल संरक्षण पर्यावरण एवं कृषि शोध प्रशिक्षण संस्थान का विज्ञापन निकला था। विज्ञापन एजेंसी से मिले पते पर जब पुलिस पहुंची तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से इस ठगी के धंधे के मास्टरमाइंड पंकज मिश्रा को हुसैनगंज इलाके से गिरफ्तार किया।

आरोपी पंकज मिश्रा खुद को आईएएस अधिकारी बताकर लोगों को अपना शिकार बना रहा था। पंकज मिश्रा के पास से उत्तर प्रदेश पुलिस के 11 जिलों में हो रही जेल वार्डन और फायरमैन की भर्ती परीक्षा से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए। पूछताछ की गई तो हजरतगंज पुलिस ने पंकज मिश्रा के दूसरे साथी संजीत मल को भी हिरासत में ले लिया है।

पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर हो रही इस ठगी में गैंग ने शुरुआत ही बेरोजगारों से परीक्षा शुल्क के नाम पर वसूली से किया था। तभी वक्त रहते पुलिस ने दबोच लिया। लखनऊ पुलिस कमिश्नर इसे बेरोजगारों के मन से खिलवाड़ कर पैसे ऐंठना ऐसा अपराध मान रहे हैं, जिसमें कई बार बेरोजगार अवसाद में चला जाता है।

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