Chennai News : एक श्रद्धालु की शिकायत पर शुरू हुई थी 'अयोध्या मंडपम' की जांच, अब BJP क्यों कर रही हंगामा, जानिए पूरी कहानी
Chennai News : चेन्नई के अयोध्या मंडपम की जांच एक श्रद्धालु की शिकायत के बाद शुरू हुई थी; अब भाजपा क्यों कर रही है हंगामा, जानिए पूरी कहानी
जेड शब्बीर अहमद की रिपोर्ट
Chennai News : चेन्नई के पश्चिमी मंगालम इलाके में आर्या गौड़ा रोड पर अयोध्या मंडपम रोड पर एक सामुदायिक हॉल है। यहां बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु पूजा और प्रार्थना करने के लिए पहुंचते हैं। बीते 11 अप्रैल को मंडपम (Ayodhya Mandapam) के सामने कुछ अलग ही तरह के दृश्य देखने को मिले। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कुछ दूसरे राइट विंग के कार्यकर्ता, कुछ स्थानीय लोगों ने मंडपम के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट डिपार्टमेंट (Hindu Religious and Charitable Endowment Department) के उस निर्णय के खिलाफ किया गया जिसमें हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मंदिर प्रशासन और संपत्तियों पर विभाग के अधिग्रहन की बात कही गयी थी।
अयोध्या मंडपम का अधिग्रहण प्रदेश में सत्तारूढ़ डीएमके (DMK) और भाजपा के बीच संग्राम का सबसे अहम मुद्दा बन गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने आरोप लगाया है कि अधिग्रहण का यह खेल प्रदेश की सरकार की ओर से जानबूझ कर अयोध्या मंडपम में होने वाले पूजा-पाठ, राम भजन और कीर्तन आदि के कार्यक्रमों पर रोक लगाने के लिए किया जा रहा है।
राइट विंग के कई और संगठन भी ऐसा ही सोचते हैं। उनका कहना है कि तमिनाडु की डीएमके सरकार हिंदू विरोध और खासकर ब्राह्मण विरोधी (Anti Brahmin) है। उनका मानना है कि अयोध्या मंडपम के सरकारी अधिग्रहण का फैसला डीएमके सरकार की ओर से हिंदुओं विशेषकर ब्राह्मणों को निशाना बनाने के लिए लिया जा रहा है।
आपको बता दें कि अयोध्या मंडपम के सरकारी अधिग्रहण की प्रक्रिया साल 2013 में शुरू हुई थी उस समय प्रदेश में डीएमके की विरोधी एआईएडीएमके की सरकार थी। अयोध्या मंडपम के अधिग्रहण का यह कदम एक व्यक्ति की शिकायत के बाद उठाया गया था जो मंडपम का पूर्व अध्यक्ष और स्वयं एक ब्राह्मण थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस सोसाइटी की मंदिरों के संचालन के लिए उपलब्ध राशि का गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है।
एचआरसीई डिपार्टमेंट की ओर से मंडपम के प्रशासनिक प्रबंधन को देखने के लिए एक उचित व्यक्ति की नियुक्ति का निर्णय 31 दिसंबर 2013 को लिया गया था, उस वक्त प्रदेश में एआईएडीएमके की सरकार थी। यह फैसला अयोध्या मंडपम का प्रबंधन चलाने वाली संस्था श्रीराम समाज के खिलाफ बड़े पैमाने पर आर्थिक गड़बड़ी और टैक्स चोरी की कई शिकायतों के बाद लिया गया था।
यहां आपको यह भी बता दें कि अयोध्या मंडपम के अलावे श्रीराम समाज मिथिलापूरी कल्याण मंडपम नाम के एक वेडिंग हॉल, श्री सीताराम विद्यालय स्कूल और गणवापी-जहां चेन्न्ई में संत अंतिम संस्कार संपनन्न करवाते हैं, उनका प्रबंधन भी देखता है।
यहां दिलचस्प बात यह भी है कि अयोगध्या मंडपम के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ियों और पब्लिक फंड्स के दुरुपयोग की शिकायत साल 2016 में 67 साल के एक सामाजिक कार्यकर्ता एमवी रमाणी ने की थी। रमाणी श्रीराम समाज संस्था के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ आजीवन सदस्य भी थे। उनकी ओर से संस्था पर आरोप लगाया गया था कि विभिन्न पूजा आयोजनों के दौरान भक्तों की ओर से जो दान लिए जाते हैं उनका संस्था के खातों में जिक्र नहीं किया जाता है। इन पैसों का कमिटी के सदस्य गलत तरीके से अपने व्यक्तिगत कार्यों में इस्तेमाल कर लेते हैं।
इसके साथ ही भक्तों की ओर से हूंडी के माध्यम से जो सोने और चांदी दान में दिए जाते हैं उनका भी कोई हिसाब नहीं रखा जाता है। ये सभी बातें आॅडिट रिपोर्ट में भी सामने आयी थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि शनिपेयार्ची, गुरुपेयार्ची, महासंदीहोमान, रामनवमी, नवरात्रि, मरगजी महीने के पूजा के दौरान जो राशि ली जाती है उसका भी कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जाता है। उन्होंने कहा था कि सीता कल्याणम और राधाकल्याणम जैसे मौके पर मंडपम में हजारों लोग जुटते हैं, इस दौरान जो राशि दान में दिया जाता है उसका जिक्र भी मंडपम के खाते में नहीं किया जाता है।
रमाणी ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान बताया है कि संस्था 100 फीसदी जनता के दान और अभुषणों के बल पर चलती है। समाज के पास 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। लोगों ने सोने और चांदी भी दान में दिए हैं पर किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं है। इसके साथ ही उनकी ओर से 13 आधार भी बताए जिन्हें ध्यान में रखते हुए एचआरसीई अयोध्या मंडपम का अधिग्रहण करने में सक्षम था।
एमवी रमाणी की शिकायत और मामले की गंभीरता को देखते हुए एचआरसीई विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की की थी। जांच में यह बात सामने आयी कि मंदिर में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की कांस्य की बनी मूर्तियों की दिन में दो बार पूजा होती है। इसके अलावे हनुमान जी का मंदिर अलग से बनाया गया था। यहां रोज पूजा-पाठ होती थी। ऐसे यह स्थान एक मंदिर के रूप में अवस्थित था और तमिलनाडु के प्रावधानों के अनुसार एचआरसीई इस मंदिर का अधिग्रहण कर सकता था।
जांच के बाद एचआरसीई विभाग ने 31 दिसंबर 2013 को एक ठक्कर को नियुक्त करने का निर्णय लिया जो श्रीराम समाज से मंदिर के प्रबंधन का कार्यभार ले सकें। सरकार के इस आदेश में यह भी विस्तार से बताया गया था कि श्रीराम समाज की ओर से कौन-कौन सी गड़बड़ियां बरती जा रही थी।
यह जांच एचआरसीई विभाग के सहायक कमिश्नर की देखरेख में की गयी थी। जांच के बाद श्री राम समाज से उसके प्रबंधन में चलने वाले सभी संस्थाओं से संबंधित नौ दस्तावेज मांगे गए थे। इसमें संस्थाओं के खाते और दान की जानकारी भी मांगी गयी थी। हालांकि श्रीराम समाज ने इन दस्तावेजों को एचआरसीई विभाग को सौंपने से इंकार कर दिया दिया था। यही वो जानकारी थे जिसके आधार पर एचआरसीई विभाग ने श्रीराम समाज के प्रबंधन को खुद के कंट्रोल में लेने का फैसला किया था। आपको बता दें कि उस समय जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थी।
उसके बाद श्रीराम समाज की ओर से सरकार के इस फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गयी। जहां कोर्ट ने आठ साल के लिए सरकार के फैसले पर स्टे लगा दिया। बीते 17 मार्च 2022 को कोर्ट की ओर से यह स्टे हटाया गया। कोर्ट की ओर से श्रीराम समाज के उस तर्क को भी खारिज कर दिया जिसमें उनकी ओर से कहा गया था कि अयोध्या मंडपम एक मंदिर नहीं है ऐसे में एचआरसीई विभाग उसका अधिग्रहण नहीं कर सकती है।
श्रीराम समाज की ओर से यह भी तर्क दिया गया था कि अयोध्या मंडपम में मूर्तियों की स्थापना आगम शास्त्र के अनुसार नहीं किया गया है ना ही यहां पूजा आगम शास्त्र के अनुसार संपन्न होती है।
वहीं दूसरी ओर कोर्ट की ओर से आयोध्या मंडपम की के प्रबंधन को अधिगृहित करने के लिए एचसारसीई डिपार्टमेंट को हरी झंडी मिलने के बाद से भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने उसका विरोध करना शुरू कर दिया है। श्रीराम समाज ने इस बीच फैसले पर स्टे लेने के लिए कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है पर कोर्ट ने अंतरिम स्टे देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने एचआरसीई डिपार्टमेंट को नोटिस जारी कर दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
वहीं इस मामले में एमवी रमाणी ने कहा है कि कोर्ट ने सभी पहलुओं पर गौर करते हुए अपना फैसला दिया है। यह एक लंबी लड़ाई थी जो आठ सालों तक चली। जनता के पैसों के इस्तेमाल में प्रबंधन को सजग रहना चाहिए। मैं इस बारे में और अधिक कुछ नहीं कह सकता हूं क्योंकि यह मामला अब भी कोर्ट में चल रहा है।
आपको बता दें कि अयोध्या मंडपम वही जगह है जहां बीते 01 अप्रैल को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने 69वें रामनवमी कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हम महात्मा गांधी के उस सपने को को सच करने की तरफ बढ़ रहे हैं जब उन्होंने कहा था कि भारत में रामराज्य हो।
वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु हाईकोर्ट के फैसले के एमवी रमाणी ने आरोप लगाया है कि उनके पास धमकी भरे फोन आ रहे हैं जिनमें उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी जा रही है। रमाणी ने इस बावत पुलिस से शिकायत कर अपने लिए सुरक्षा की भी मांग की है।
(जेड शब्बीर अहमद की रिपोर्ट यह रिपोर्ट पूर्व में द न्यूज मिनट डॉट कॉम पर अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी है।)
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