सरकारी अस्पताल में पैर से लाचार व्यक्ति का नहीं हुआ इलाज तो दे दी जान, सदमे में बुजुर्ग पिता की भी मौत
जनज्वार। सरकारी अस्पतालों की कुव्यवस्था का एक हैरतअंगेज उदाहरण कोलकाता में सामने आया है। यहां पैर के कष्ट से परेशान एक व्यक्ति जब अस्पताल इलाज कराने गया तो उसे चार से पांच घंटे बैठना पड़ा फिर डाॅक्टर के नहीं आने की बात बताई गई और जब वह घर लौटा तो हताशा में उसने अपनी जान दे दी। इसके बाद उस शख्स के बुजुर्ग पिता की भी बेटे के जाने के सदमे में हार्ट अटैक से मौत हो गई।
यह घटना कोलकाता के हरिदेवपुर इलाके के धारापाड़ा की है। परिवार के लोगों ने पुलिस को बताया कि 35 साल पहले गोपाल मंडल का पैर सड़क हादसे में बुरी तरह जख्मी हो गया था। उस समय उनके पैर में स्टील की प्लेट लगाई गई थी और समय-समय पर दर्द बढने पर वे अस्पताल जा कर अपना इलाज करवाते थे।
शनिवार को उनके पैर का दर्द फिर बढ गया और ऐसी हालत में उन्हें विद्यासागर स्टेट जनरल अस्पताल ले जाया गया। दर्द से कराहते हुए गोपाल मंडल चार से पांच घंटे डाॅक्टरों के आने का इंतजार करते रहे। इसके बाद उन्हें सूचना दी गई कि डाॅक्टर नहीं आएंगे ऐसे में वे घर लौट आए। घर आने के बाद पीड़ा से वे बेहद हताश हो गए।
उनके घर लौटने के बाद सभी लोग अपने काम में लग गए। इस बीच उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और फांसी लगाकर जान दे दी। गोपाल मंडल की उम्र 59 साल थी। काफी देर कमरा नहीं खुलने पर लोगों को शक हुआ और फिर दरवाजा खोल कर अंदर जाने पर उन्हें फंदे से लटकता पाया।
वहीं, जब उनके 85 वर्षीय पिता भूतनाथ मंडल को बेटे की आत्महत्या की सूचना मिली तो उन्हें हार्टअटैक आ गया और उनकी मौत हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका।