Kanpur News : 'जज साहब मैं जिंदा हूँ' खुद की गवाही देने अदालत पहुँचा मुर्दा, न्यायाधीश ने जिम्मेदारों को भेजा समन
(अपने जिंदा होने का सबूत देता वादी)
Kanpur News (जनज्वार): कभी झूठ की बुलंदियों में बदलने तो कभी न्यायालय की सीढ़ियों पर दम तोड़ देने वाला सच कब सामने आकर अपना हिसाब मांगले पता नहीं लगता। यही कुछ कानपुर देहात (Kanpur Dehat) की माती कोर्ट में देखने को मिला। यहां अपनी ही गवाही देने आए एक मुर्दा ने जिंदा खड़े लोगों को हैरत में डाल दिया।
दरअसल, कानपुर देहात की माती कोर्ट (Mati Court) में चल रहे मुकदमे में तारीख के समय न्यायालय की जानकारी में मर चुके वादी ने न्यायाधीश के सामने पहुंचकर अपने जिंदा होने की गवाही दी है। जिसके बाद न्यायालय में बैठे और मौजूद सभी लोग हैरानी में पड़ गए। क्योंकि, कागजों की लिखा पढ़ी में जो शख्स मर चुका था वह भला अपने मुकदमे में गवाही देने कैसे आ सकता है। लेकिन यह सबकुछ हुआ।
जानकारी के मुताबिक, साल 2018 में कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के नेहरू नगर में रहने वाले रईस अहमद की बेटी को रसूलाबाद के रहने वाले शाहरुख नाम के शख्स ने बहला-फुसलाकर अपने वश में कर लिया था। इसके बाद वह उस नाबालिग लड़की को लेकर कानपुर देहात से गायब हो गया। नाबालिग बेटी के पिता ने थाना रसूलाबाद में बेटी के अपहरण और बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया।
शिकायकर्ता की तहरीर पर थाने से मुकदमा दाखिल हो गया। कानपुर देहात के माती मुख्यालय स्थित कोर्ट में नाबालिग बेटी के पिता रईस अहमद का मुकदमा चलने लगा। हालांकि कुछ समय बाद शाहरुख गिरफ्तार हुआ और बतौर अभियुक्त रईस अहमद की नाबालिग बेटी भी बरामद हो गई।
न्यायालय में कई साल मुकदमा चलता रहा लेकिन इसी बीच रसूलाबाद नगर पंचायत अध्यक्ष के लेटर पैड पर रईस अहमद के नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। यह मृत्यु प्रमाण पत्र अभियुक्त की ओर से पुलिस के माध्यम से न्यायालय में दाखिल किया गया जिसके बाद न्यायालय ने वादी को मरा हुआ मानकर केस को चलने दिया। लेकिन मुकदमे में तारीख पर ना तो वकील की ओर से कोई प्रार्थना पत्र दिया जाता था और ना ही मुकदमे के संबंध में कोई न्यायालय आता था।
जाहिर है मुकदमे में दूसरे पक्ष की तरफ से पैरवी ना होने की वजह से अभियुक्त के पक्ष में जा रहा था। लेकिन इसी बीच न्यायालय ने वादी मुकदमा रईस अहमद के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी कर दिया और उसका एक सम्मन उनके स्थाई पते पर पहुंचा दिया। जिसके बाद रईस अहमद जो कि कानून की नजर में मर चुके थे वह खुद न्यायालय पहुंचे और न्यायाधीश के सामने अपने जिंदा होने की गवाही देने लगे।
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— Janjwar Media (@janjwar_com) October 8, 2021
वादी को सुनने और देखने के बाद कोर्ट परिसर में हंगामा खड़ा हो गया। आखिर दस्तावेजों में मर चुका एक शख्स कैसे गवाही दे सकता है। लेकिन यह कहानी नहीं हकीकत है मर चुके वादी मुकदमा रईस अहमद चीख चीखकर अपने जिंदा होने की बात न्यायाधीश के सामने कहते रहे और न्यायालय में दाखिल हुए खुद के मृत्यु प्रमाण पत्र को चैलेंज कर दिया।
जिसके बाद न्यायालय ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाने के संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष रसूलाबाद राजरानी को और थाना रसूलाबाद के प्रभारी को सम्मन जारी कर तलब कर लिया। उनसे यह कहा गया कि वह इस बात का स्पष्टीकरण करें कि आखिर जो शख्स जिंदा है उस का मृत्यु प्रमाण पत्र न्यायालय में कैसे दाखिल हो गया। जाहिर सी बात है कि बनाया गया मृत्यु प्रमाण पत्र पूरी तरीके से फर्जी था।
कानपुर देहात के कोर्ट नंबर 01 में चल रहे इस अजीब मुकदमे में जिला न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष और थाना रसूलाबाद दोनों को ही स्पष्टीकरण के लिए न्यायालय में तलब किया है। साक्ष्य के आधार पर दंडनीय कार्यवाही की जाएगी। वहीं जब इस मामले में कानपुर देहात पुलिस के आला अधिकारियों से बात की तो उन्होंने साफ तौर से यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि मामला न्यायालय में चल रहा है। हम टिप्पणी नहीं कर सकते।