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दर्द से कराहती गर्भवती को तिरपाल का घेरा बना ग्रामीण महिलाओं ने कराया प्रसव, घर से 12 किमी चली थी पैदल

Janjwar Desk
5 July 2021 8:09 AM GMT
दर्द से कराहती गर्भवती को तिरपाल का घेरा बना ग्रामीण महिलाओं ने कराया प्रसव, घर से 12 किमी चली थी पैदल
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(गर्भवती महिला को दर्द से बुरी तरह कराहते देख ग्रामीण महिलाओं ने तत्काल एकजुट होकर तिरपाल की आड़ बनायी और उसका सुरक्षित प्रसव कराया।) 

गर्भवती महिला को दर्द से बुरी तरह कराहते देख ग्रामीण महिलाओं ने तत्काल एकजुट होकर तिरपाल की आड़ बनायी और उसका सुरक्षित प्रसव कराया...

जनज्वार। शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश में एक दर्द से तड़तपी गर्भवती महिला के सड़क पर ग्रामीण महिलाओं द्वारा प्रसव करवाने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक खरगोन जिले में महिला प्रसव के लिए 12 किलोमीटर तक पैदल चली थी। रास्ते में ग्रामीण महिलाओं ने दर्द से कराहती गर्भवती को देखा और घेरा डालकर उसका सुरक्षित प्रसव कराया।

बच्चे के जन्म के बाद जब ग्रामीणों ने सूचना दी तो शिवराज सरकार की जननी एक्सप्रेस महिला को लेने पहुंची और उसे अस्पताल पहुंचाया गया। महिला के बारे में कहा जा रहा है कि वह मानसिक रूप से बीमार भी है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के नांदिया तोपली की एक गर्भवती महिला पैदल ही अपने घर से प्रसव के लिए निकल गयी। उसका गर्भावस्था का समय पूरा हो गया था और घर से 12 किमी दूर नहालदरी के पास अंबावड़ी में वह सड़क पर दर्द से कराहने लगी। गर्भवती महिला को दर्द से बुरी तरह कराहते देख ग्रामीण महिलाओं ने तत्काल एकजुट होकर तिरपाल की आड़ बनायी और उसका सुरक्षित प्रसव कराया। महिला ने स्वस्थ लड़के को जन्म दिया, जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से 108 जननी एक्सप्रेस वाहन को बुलाया गया, जो जच्चा बच्चा को अस्पताल तक ले गया।

108 वाहन के ड्राइवर धीरज वास्कले ने मीडिया को बताया कि एक महिला जिसका नाम सुरमा है, वह नांदिया टोपली से पैदल ही नहालदरी से अंबावड़ी रास्ते तक करीबन 12 किलोमीटर दूर अपने प्रसव के लिए पहुंच गई थी। जब उसका दर्द असहनीय हुआ तो वह सड़क पर ही तड़पने लगी, ग्रामीण महिलाओं ने कपड़े की ओट बनाकर सड़क किनारे ही उसका सुरक्षित प्रसव कराया। बकौल धीरज वास्कले, वह मानसिक रूप से कमजोर दिख रही है और उसके साथ कोई भी नहीं था। जानकारी मिली है कि उसका पति महाराष्ट्र में काम करता है।

धीरज वास्कले का कहना है कि ग्रामीणों की मदद से हमें महिला के बारे में सूचना दी गयी थी। 108 वाहन पर सूचना दी तो हम घटनास्थल पर पहुंचे और महिला को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेकर गये। वहां उसका उपचार चल रहा है। अभी दोनों मां-बच्चा स्वस्थ हैं।

सुरमा के भाई भारत ने कहा कि मेरी बहन मायके में थी और मानसिक रूप से परेशान भी है। घर से उठकर चली आई और किसी को बताया भी नहीं। उसकी मानसिक स्थिति कई बार बिगड़ जाती है।

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