मणिपुर महिला वीडियो कांड में मुस्लिम एंगल घुसा शुरू हो गया था खेला, लेकिन ये देखिए एजेंसी ने क्या कहा
Manipur violence : समाचार एजेंसी एनआई ने कल 20 जुलाई को मणिपुर गैंगरेप और वायरल वीडियो पर कथित रूप से अब्दुल नाम के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी की खबर चलायी थी, जिस पर लगभग 12 घंटे बाद उसने माफी मांगते हुए उस खबर को हटा दिया है, मगर अब तक यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल चुकी है और खबर हटाये जाने के बावजूद मुस्लिमों के खिलाफ फिर एक बार देश में माहौल बनाने की कोशिशें तेज हो गयी होंगी, हालांकि सच सामने आने के बाद माहौल पर कुछ विराम जरूर लगेगा।
फेक न्यूज फैलने के बाद अनुपम के सिंह नाम के हैंडल से ट्वीट किया गया है, 'तो चलिए अब खुलासा हो गया है। बहुत बड़ी बात बताने जा रहा हूँ, बहुत बड़ी। दिल थामे रखिए। तैयार हैं सुनने के लिए? एकदम? मैतेई मुस्लिम। जी हाँ, 'मैतेई मुस्लिम'। अब तक आपको लग रहा होगा कि मैतेई सिर्फ हिन्दू ही होते हैं। नहीं, सच जान लीजिए। मैतेई समाज में मुस्लिम भी होते हैं। ये मैतेई मुस्लिम कौन हैं? ये तो आपको बहुत बेहतर पता है। अलगाववादी ही होंगे, दूसरे क्या होंगे। मणिपुर पुलिस ने अब्दुल के बेटे मोहम्मद ईबुंगो और एक अन्य तोम्बा खान को गिरफ्तार किया है। इन्हें 'पंगल' मुस्लिम भी कहा जाता है। #ManipurViolence को भड़काने में इन मैतेई मुस्लिमों का क्या रोल है, इसकी जाँच होनी चाहिए। इनलोगों ने 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA)' नामक एक आतंकी संगठन भी बना रखा है। भारतीय सेना के खिलाफ इन्होंने गुरिल्ला युद्ध छेड़ रखा था। इनके एक संगठन का नाम 'People's Revolutionary Party of Kangleipak (PREPAK) भी है।'
अपनी इस जानकारी तक ही अनुपम नाम का ट्वीटर हैंडल नहीं थमता, बल्कि एएनआई द्वारा ट्वीट हटाये जाने के बावजूद वह मणिपुरी मुस्लिमों के खिलाफ मोर्चा थामे हुए हैं, अपने एक अन्य ट्वीट में समाज में जहर फैलाने के उद्देश्य से अनुपम ने लिखा है, 'जो मुसलमान पकड़ाए हैं #Manipur में, उनके बारे में शेयर करने पर ये कह-कह कर बचाव किया जा रहा है कि अरे इस मामले में नहीं पकड़ाए हैं, अरे वो दूसरा मामला है। अबे प्रोपेगंडाबाजों, तो क्या मणिपुर पुलिस ने इनकी आरती उतारने के लिए इन्हें यूँ ही पकड़ लिया है? उनका हाथ है किसी अपराध में, तभी तो पकड़ा है। पूरी दुनिया में सिर्फ एक वही आपराधिक घटना हुई है जिसका वीडियो वायरल हो रहा है? बाकी घटनाओं के बारे में बात करना भी गुनाह है क्या तुम्हारी नजर में। मणिपुर में मुसलमान पकड़ाए तो तुरंत बचाव की मुद्रा में आ गए ये लोग। जो भी वामपंथी दलाल आपसे ये कहे कि वो दूसरे मामले में पकड़ाए हैं, उनको बताइए कि वो #ManipurViolence में ही धराए हैं। वो ऐसे संगठन के हैं जो दंगे कर रहा है, जो अलगाववादी है, जो भारतीय सेना से लड़ाई लड़ते हैं। उनको बताइए कि मणिपुर में जो हो रहा है महीनों से उसमें कुकी ईसाइयों के साथ-साथ मुसलमानों का भी हाथ है।'
भाजपा नेता तेजिंदर बग्गा ने भी मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलते ही मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के लिए अब्दुल को जिम्मेदार ठहराया, और ट्वीट किया है कि 'मणिपुर कांड का मुख्य अभियुक्त अब्दुल मणिपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया है।'
अनुपम जैसे अनगिनत ट्वीटर हैंडल इस फेक न्यूज के सहारे मुस्लिमों के खिलाफ न सिर्फ जहर उगल रहे हैं, बल्कि मणिपुर हिंसा के लिए भी पूरी तरह मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिशों में लग चुके हैं।
ट्वीटर पर एएनआई द्वारा फेक न्यूज फैलाये जाने पर स्वाति मिश्रा लिखती हैं, 'ANI ने मणिपुर गैंग रेप, वायरल वीडियो में अब्दुल की गिरफ्तारी की फेक न्यूज फैलाई, फिर चुपके से ट्वीट डिलीट किया। बीजेपी नेताओं और उनके नफरती चेले-चपाटों ने अब्दुल पर ट्वीट कर-करके उसे ट्रेंड करा दिया, लेकिन ANI की पोल खुली। खूब लताड़े जाने के 12 घंटे बाद सफाई देकर माफी मांगी।'
मणिपुर गैंग रेप मामले में ANI की फेक ख़बर के सहारे बीजेपी नेताओं और घटिया ट्रोल्स को मणिपुर गैंगरेप मामले का ज़िम्मेदार अब्दुल को ठहराने का मौक़ा जरूर मिल गया। कल अब्दुल ट्विटर पर लगातार ट्रेंड कर रहा था।
गौरतलब है कि मणिपुर पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी किया था, जिसमें उसने 7 पॉइंट में अलग-अलग कार्रवाइयों और हालात के बारे में बताया था। पुलिस ने प्रेस नोट के दूसरे पॉइंट में बताया था कि मणिपुर गैंगरेप मामले में 3 और लोग पकड़े गए हैं यानी अब तक कुल 4 लोग पकड़े गए। वहीं प्रेस नोट के चौथे पॉइंट में पुलिस ने प्रेपाक प्रो से जुड़े अब्दुल हिलीम की गिरफ़्तारी के बारे में बताया था। जबकि चौथे पॉइंट में गैंगरेप का कोई ज़िक्र नहीं था। दोनों पॉइंट में गिरफ़्तारी अलग-अलग ज़िलों के पुलिस स्टेशन के ज़रिए की गई थी, दोनों मामले अलग-अलग हैं, लेकिन ANI ने ट्वीट कर दिया कि मणिपुर वायरल वीडियो मामले में अब्दुल पकड़ा गया है। हालांकि बाद में ANI ने बिना कोई सफ़ाई दिए, बिना माफ़ी मांगे अपना ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन उससे पहले कुछ न्यूज़ चैनलों ने इसे उठा लिया
स्वाति लिखती हैं, 'बीजेपी नेताओं और उनके चेलों ने अब्दुल नाम देखते ही ट्वीट करना शुरू कर दिया, ये ट्विटर ट्रेंड में तीसरे नंबर पर आ गया। इतने संवेदनशील मामले में भी इन लोगों को एक मुस्लिम के नाम मिलने का इंतज़ार था, सोचिए, क्या लोग हैं ये!