मॉकड्रिल से हुई मौत मामले में पारस अस्पताल को क्लीनचिट, 5 मिनट में 22 मौतों का वीडियो हुआ था वायरल
श्रीपारस अस्पताल में मॉकड्रिल से 22 मौतों का मामला बना था मीडिया की सुर्खियां, अब प्रशासन ने दी क्लीनचिट
जनज्वार ब्यूरो। आगरा के श्रीपारस अस्पताल में मॉकड्रिल से 5 मिनट में 22 मरीजों की मौत का वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिस मामले में अब प्रशासन ने कल 18 जून को अस्पताल को क्लीनचिट दे दी है।
कल 18 जून की रात को जारी की गयी मजिस्ट्रेटी जांच और डेथ ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि 26 अप्रैल की सुबह पारस अस्पताल द्वारा 96 मरीजों पर मॉकड्रिल नहीं की गई थी। इस रिपोर्ट में 26-27 अप्रैल को 7 की जगह 16 मौतों की बात कही गयी है।
मजिस्ट्रेटी जांच और डेथ ऑडिट जांच रिपोर्ट में अस्पताल संचालक अरिंजय जैन के उस बयान को आधार बनाया गया है, जिसमें बताया गया कि हॉस्पिटल में 5 मिनट की मॉकड्रिल करने और 22 मरीजों की छंटनी का मीडिया में गलत अर्थ निकाला गया। यह आरोप निराधार हैं। ऑक्सीजन बंद कर मॉकड्रिल नहीं की गई और न ही इसका कोई प्रमाण ही है।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक यदि ऐसा होता तो 26 अप्रैल को सुबह अस्पताल में 22 मौतें होनी चाहिए थीं। अस्पताल संचालक अरिंजय जैन संचालक ने दावा किया था कि अस्पताल में ऑक्सीजन थी, लेकिन भविष्य के लिए जरूर संकट बना हुआ था। डॉ. अरिंजय जैन ने कहा था, हाइपोक्सिया के लक्षण एवं ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल को मॉनीटर करते हुए मरीजों की ऑक्सीजन आपूर्ति को विनिंग प्रोसेस का पालन किया, जिससे ये लग रहा था कि भर्ती मरीजों में 22 की हालत सीरियस बनी हुयी है।
मजिस्ट्रेटी जांच और डेथ ऑडिट जांच रिपोर्ट में बताया गया कि अस्पताल में आगरा से बाहर के भी जिलों के के 5 लोग एडमिट थे। 10 पीड़ितों के शिकायती प्रार्थना पत्र हैं, जबकि तीन सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में ज्ञापन सौंपा था।
डेथ ऑडिट टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 मरीजों में से 14 किसी न किसी कोमार्बिड बीमारी से पीड़ित थे। साथ ही यह भी कहा है कि अस्पताल में भर्ती किसी भी मरीज की ऑक्सीजन बंद नहीं की गई थी। इन मरीजों की मौत उनकी बीमारी की गंभीर अवस्था के कारण एवं अन्य बीमारियों से हुई थी।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक जिस दिन पारस अस्पताल में मॉकड्रिल से 22 मौतों का दावा किया गया उस दिन यानी 25-26 अप्रैल को ऑक्सीजन ट्रेडिंग कंपनी को ऑक्सीजन की असामान्य आपूर्ति की जानकारी दी थी। 25 अप्रैल को 149 सिलेंडर, 40 रिजर्व तथा 26 अप्रैल को 121 व 15 रिजर्व सिलेंडर की सप्लाई की गई थी। अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए ऑक्सीजन के इतने सिलेंडर पर्याप्त माने जा सकते हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि कुछ मरीजों के तीमारदार वैकल्पिक व्यवस्था से भी सिलेंडर लेकर अस्पताल पहुंचे थे।
मजिस्ट्रेटी जांच और डेथ ऑडिट जांच रिपोर्ट में के मुताबिक पारस अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए डिस्चार्ज करने की बात सामने आई है, इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने भ्रम फैलाने का काम किया। हॉस्पिटल के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 के तहत 180/21 अंतर्गत धारा 25/5 महामारी अधिनियम आईपीसी की धारा 118/505 में मुकदमा पंजीकृत किया गया है, जिसकी पुलिस विवेचना कर रही है।
गौरतलब है कि मॉकड्रिल से मौतों का मामला सामने आने के बाद योगी सरकार ने अस्पताल को सील कर दिया था और सीएमओ के आदेश के बाद श्रीपारस हॉस्पिटल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया था।
इस मामले में डीएम प्रभु एन सिंह का कहना है कि इस आधार पर एसएनएमसी एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिलोक चंद पीपल, मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. बलवीर सिंह, सह आचार्य फार्नेसिक डॉ, रिचा गुप्ता और डिप्टी सीएमओ डॉ. पीके शर्मा को शामिल कर डेथ ऑडिट टीम बनाई गई।
गौरतलब है कि इससे पहले मॉकड्रिल मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से 22 मरीजों की मौत की बात निराधार है। ऑक्सीजन कमी से एक भी मौत नहीं हुई है। अस्पताल में हुई सभी मौतों का अलग से सीएमओ टीम से ऑडिट कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तथाकथित वायरल वीडियो में कहा गया है कि मोदीनगर ड्राई हो गया है। इससे जन सामान्य में भय फैला। यह कृत्य महामारी में ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि 26 अप्रैल को 149 ऑक्सीजन सिलिंडर, 27 अप्रैल को 121 व 28 अप्रैल को 117 सिलिंडर पारस अस्पताल को दिए गए थे। अस्पताल के पास 16 सिलिंडर रिजर्व थे। ऐसे में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। उधर, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ऑक्सीजन बंद करने का कोई मॉकड्रिल नहीं हुआ है। अस्पताल ने 26-27 अप्रैल के मृतकों का ब्योरा भी जारी किया है। पारस अस्पताल में 26 अप्रैल को सुबह सात बजे पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद कर मॉकड्रिल की गई थी। उस भयावह पल को बयान करते छह मिनट के चार वीडियो वायरल हुए हैं। इनमें पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन बता रहे हैं कि इस मॉकड्रिल से 22 मरीजों का दम घुटने लगा था और उनके हाथ-पैर नीले पड़ गए थे। इस दौरान अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे।
अस्पताल के संचालक के वीडियो वायरल होने के बाद जिला प्रशासन से लेकर शासन तक इस मामले में हड़कंप मचा हुआ है। पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच कराई जा रही है। इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार को निशाने पर लिया है। प्रियंका ने पूछा है कि इस घटना का 'जिम्मेदार कौन' है।