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प्रशांत भूषण के वो ट्वीट्स, जिसके लिए उन्हें ठहराया गया अवमानना का दोषी

Janjwar Desk
14 Aug 2020 12:07 PM GMT
प्रशांत भूषण के वो ट्वीट्स, जिसके लिए उन्हें ठहराया गया अवमानना का दोषी
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वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने 27 जून को एक ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे....

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को उनके ट्वीट के आधार पर अवमानना का दोषी ठहराया है। इस मामले में सजा पर सुनवाई बीस अगस्त को होनी है। जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने आज यह फैसला सुनाया है। इस मामले में पांच अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने यह मांग भी ठुकरा दी कि इस मामले में याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें खामी है।

अदालत ने यह मांग भी नहीं मानी थी कि इस केस को किसी अन्य बेंच को भेजा जाए। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा था कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की स्वस्थ आलोचना होने से शीर्ष अदालत की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आती है। कोर्ट ने हाल ही में प्रशांत भूषण के दो ट्वीट के मामले में कंटेप्ट (अवमानना) नोटिस जारी किया था और जवाब दाखिल करने को कहा था।

कोर्ट में प्रशांत भूषण ने हलफनामा दायर कर कहा कि चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट और पूर्व चीफ जस्टिस को लेकर किया गया ट्वीट, स्वस्थ आलोचना के दायरे में आता है। भूषण ने कहा था कि चीफ जस्टिस की स्वस्थ आलोचना सुप्रीम कोर्ट का अपमान नहीं है और न ही अदालत की गरिमा को कम करता है। 140 पेज के हलफनामे में भूषण ने कहा है कि पिछले चार चीफ जस्टिस के बारे में उनका कमेंट कहीं से अवमानना नहीं है। जो भी ट्वीट हैं, उसमें लोकतंत्र को नष्ट करने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात है और यह अभिव्यक्ति कंटेप्ट के दायरे में नहीं आती है।

वहीं प्रशांत भूषण का वह ट्वीट अब चर्चा का विषय बन गया है। लोग सोशल मीडिया पर उनका पुराना ट्वीट शेयर कर रहे हैं। इस ट्वीट में सीजेआई जस्टिस एएस बोबड़े कोरोना लॉकडाउन के दौरान एक भारी भरकम मोटरसाइकिल के साथ तस्वीर खिंचाते नजर आ रहे हैं। तस्वीर में सीजेआई बोबड़े बिना हेलमेट के दिख रहे हैं और मुंह पर मास्क भी नहीं पहना था। जस्टिस बोबड़े की यह तस्वीर ऐसे समय में सामने आयी थी जब देश में मास्क और लॉकडाउन के नियमों को लेकर सख्ताई की जा रही थी।

इसके बाद प्रशांत भूषण ने 29 जून को भी इस तस्वीर को ट्वीट किया था और सीजेआई की आलोचना करते हुए लिखा था, 'सीजेआई राजभवन नागपुर में बीजेपी नेता से संबंधित पचास लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट के सवारी कर रहे हैं।'


जिस दूसरे ट्वीट को लेकर भी उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया गया है वह उन्होंने पहले 27 जून को ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था, 'जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।'


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने भी अपनी बात रखते वीडियो ट्वीट किया है।

प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी इस मामले को लेकर ट्वीट किया है। गुहा ने लिखा, 'इस अधिनियम के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने खुद को नीचा दिखाया है, और गणतंत्र को भी नीचा दिखाया है। भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला दिन।'


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