कश्मीर की दो सिख लड़कियों के गायब होने और धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम से शादी के बाद भड़का समाज
(गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बड़गांव के अध्यक्ष सरदार संतपाल सिंह ने बताया कि बच्ची की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।)
जनज्वार ब्यूरो। कश्मीर के बड़गांव जिले की एक 18 वर्षीय सिख लड़की गायब हो गई। दूसरा मामला श्रीनगर के महजूर नगर का है। वह मुस्लिम परिवार के कार्यक्रम में शामिल होने गई। इसके बाद लापता हो गई। सिख लड़कियों के गायब होने के बाद समुदाय में गहरा रोष है। यह मामला सोशल मीडिया में जोर शोर से उठाया गया। सिखों ने रोष प्रदर्शन करते हुए केंद्र से उचित कार्यवाही की मांग की है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बड़गांव के अध्यक्ष सरदार संतपाल सिंह ने बताया कि बच्ची की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह विक्षिप्त है। उसे एक मुस्लिम युवक ने प्यार और शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन किया। उन्होंने कहा कि घाटी में सिखों का जबरदस्ती धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह सीधे सीधे लव जेहाद का मामला है।
सिख समुदाय ने पुलिस को शिकायत देकर लड़की को परिवार को सौंपने की मांग की है। लेकिन अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। अदालत ने मुस्लिम युवक के पक्ष में निर्णय देते हुए लड़की को उसके साथ भेज दिया है।
संतपाल ने मांग की कि लड़की को सिख परिवार को सौंप देना चाहिए। वह कम से कम परिवार के साथ एक सप्ताह रहे। इसके बाद भी यदि वह मुस्लिम युवक के साथ जाना चाहती है तो उसे जाने दिया जाएगा। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से भी अपील की कि वह मदद करें और लड़की को वापस दिलवाए। उन्होंने मुस्लिम भाईचारे की बात कहते हुए लड़की को वापस करने की मांग की है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष
मनजिंदर सिंह सिरसा भी कश्मीर पहुंच गए हैं। उन्होंने उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सिखों की सुरक्षा के लिए उपराज्यपाल को पुख्ता कदम उठाने चाहिए। इस वक्त कश्मीर में सिख खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सिरसा ने केंद्र सरकार से अपील की कि धर्मांतरण कानून को यूपी और मध्य प्रदेश की तरह जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया जाए। अंतरजातीय विवाह के लिए माता-पिता की सहमति होनी चाहिए।
दूसरी ओर इस मामले को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि घटना को अलग तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है। मामला ऐसा है नहीं, जिस तरह का दिखाया गया है। लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की है। पर अब उस पर इस तरह से दबाव बनाने की कोशिश हो रही है कि जैसे उसका जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाकर शादी कराई गई है।
इस बार किसान आंदोलन में मुस्लिम और सिखों ने मिल कर लंगर चलाए। सिरसा की मांग पर भी कुछ लोगों ने सवाल उठाया है, इनका कहना है कि घटना के वास्तविक तथ्यों की तह में जाना चाहिए। क्योंकि इस वक्त माहौल बहुत ही संवेदनशील बना हुआ है। थोड़ी सी बात पर भी हालात खराब हो सकते हैं।
इधर मामले को न्यूज चैनल तूल देने में पीछे नहीं हट रहे है। अगले साल यूपी समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है। चुनाव से पहले ही यकायक इस तरह के मामले जिस तरह से सामने आ रहे हैं, इससे यह भी लगता है कि, समुदाय को बांटते हुए नफरत फैला कर वोट हासिल करने की कोशिश तो नहीं है। कश्मीर ही नहीं यूपी में भी अचानक धर्मपरिवर्तन की खबरों की बाढ़ सी आ रही है। जिससे इस संभावना को और बल मिलता है कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसी खबरें बढ़ा चढ़ा कर पेश की जा रही है।
कश्मीर के युवा पत्रकार सफीर आलम कहते हैं कि मामले की जांच होनी चाहिए। यदि जबरन धर्मपरिवर्तन कराया गया है तो निश्चित ही ऐसा करने वालो को सजा मिलनी चाहिए। क्योंकि यह गलत है। इसका हर कोई विरोध करेगा।
ऐसे मामलों में दिक्कत यह है कि लड़की की पूरी तरह से अनदेखी कर दी जाती है। ऐसा क्यों हो रहा है। कोई लड़की को मानसिक रूप से परेशान बता रहा है, यह गलत है। इसके लिए अभी तक कोई मेडिकल सर्टिफिकेट क्यों सामने नहीं लाया गया। क्या इन लोगों को अदालत पर भी यकीन नहीं है? कम से कम अदालत की कार्यवाही पर ही यकीन करना चाहिए। पर ऐसा लगता है कि इस तरह की घटनाओं को आधार बना कर एजेंडा सेट किया जा रहा है।
नेता जिस तरह से यहां आकर बयानबाजी कर रहे हैं,इससे स्थिति खराब ही होगी। होना तो यह चाहिए कि पहले मामला समझा जाए, इसके बाद ही कोई बयान दिया जाए। लेकिन हो यह रहा है कि जल्दबाजी में बस बयान दागे जा रहे हैं। जो किसी के भी हित में नहीं है।
इधर घटना को लेकर सिख समुदाय में गहरा रोष है। सिख नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए। क्योंकि घाटी में सिख अल्पसंख्यक है। इसलिए वहां उनकी सुरक्षा के कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। यूं भी इस तरह की जानकारी लगातार सामने आ रही है कि लव जिहाद और जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा है। पहले ऐसे मामले पाकिस्तान में सामने आ रहे थे, अब कश्मीर और यूपी में भी आने लगे हैं। जिससे हर कोई डरा हुआ है। खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। यह कौम और धर्म का मामला है,इसलिए सिख इस पर चुप नहीं बैठ सकते।