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पिता को शराब न पीने की नसीहत और टीचर को जेल भिजवाने की इच्छा के साथ 8वीं के दलित छात्र ने लगायी फांसी, क्लास में जलील किए जाने से था आहत

Janjwar Desk
4 Jan 2023 7:31 PM IST
पिता को शराब न पीने की नसीहत और टीचर को जेल भिजवाने की इच्छा के साथ 8वीं के दलित छात्र ने लगायी फांसी, क्लास में जलील किए जाने से था आहत
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मौत से पहले अमित प्रजापति नाम के इस बच्चे ने बेहद मार्मिक सुसाइड नोट में अपनी मानसिक दशा लिख अपने शिक्षक की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए उसे जेल भिजवाए जाने और अपने पिता से शराब न पीने का आग्रह किया है। बच्चे का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है...

Sidhi News : 13 साल के बच्चे के अवचेतन मन पर एक टीचर की कड़वी और कसैली बातों का ऐसा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा कि उसने आहत होकर घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले इस बालक को उसके टीचर ने सहपाठी का एक सामान चुराने के बाद उसे उसके सहपाठियों के सामने इतनी बुरी तरह जलील करते हुए प्रताड़ित किया था कि बच्चे का मन जीवन से ही विरक्त हो गया। अपनी मौत से पहले अमित प्रजापति नाम के इस बच्चे ने बेहद मार्मिक सुसाइड नोट में अपनी मानसिक दशा लिख अपने शिक्षक की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए उसे जेल भिजवाए जाने और अपने पिता से शराब न पीने का आग्रह किया है। बच्चे का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। घटना मध्य प्रदेश के सीधी जिले के नवोदय विद्यालय की है।

अमित प्रजापति के सुसाइड नोट को शेयर करते हुए पत्रकार कुमार राजेश कहते हैं, 'यह सुसाइड नोट है मध्य प्रदेश के सीधी के जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले अमित प्रजापति का। अमित ने उसी दिन फांसी लगा ली, जिस दिन देश सावित्री बाई फुले की जयंती मना रहा था। देश शिक्षा व्यवस्था और समाज में सावित्री बाई फुले के योगदान को याद कर रहा था। अमित प्रजापति ने स्कूल के शिक्षक अजीत पाण्डेय पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है, उसने लिखा है कि पाण्डेय ने जन जाने कितने बच्चों की जिंदगी बर्बाद की है। यह इस देश के स्कूलों-कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एम्स और आईआईएम में पढ़े अधिकांश दलितों-पिछड़ों का भोगा हुआ यथार्थ है। गोरखपुर के जुबली इंटर कॉलेज में मेरे एक टीचर थे, वो अपनी क्लास के दलित छात्रों को भरी क्लास में सरकारी दामाद कहते थे। बाद में उनको भारत सरकार ने राष्ट्रपति पुरस्कार देकर सम्मानित किया था।'

सहपाठियों का सामान चुराने का था आरोप

जानकारी के अनुसार सीधी जिले के पड़खुरी 588 गांव का अमित प्रजापति नवोदय स्कूल चुरहट में 8वीं कक्षा का छात्र था। उस पर कक्षा के एक अन्य बच्चे का कोई सामान चुराने का इल्जाम लगा था। छात्र की शिकायत पर शिक्षक ने जब अमित की जांच की, तो सामान उसके पास से बरामद हो गया। यह घटना 19 दिसंबर की थी। उस समय विद्यालय के शिक्षक अजीत पांडे ने कक्षा में दूसरे बच्चों के सामने जी भरकर अमित को जलील किया था। शिक्षक की इन बातों का अमित के मन पर अंदर से गहरा प्रभाव पड़ा। इसी पश्चात्ताप और आत्मग्लानि के चलते अमित बेहद तनाव में था। यही तनाव जब अमित की सहनशक्ति से बाहर हो गया तो उसने घर पर ही एक मार्मिक सुसाइड नोट लिखकर फांसी लगाते हुए आत्महत्या कर ली।

आत्महत्या से पहले लिखा सुसाइड नोट

अमित फांसी लगाने से पहले जो सुसाइड नोट छोड़ा है, उसमें उसने लिखा है, 'पापा जी प्रणाम। मेरे को पता है कि आपको बहुत दुख होगा। मैंने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि मैं बहुत बुरा हो चुका था। अंदर से मैं अपनी बुराई नहीं छुड़ा पाया। मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गया था। मुझे बहुत ज्यादा स्ट्रैस हो गया था। मुझे बार-बार अपने सर अजीत पांडे की याद आ रही थी। अच्छा 1 बात बताइए। कभी गलती हो जाए तो माफ नहीं किया जा सकता। मुझे ऐसा लगता है कि गलती माफ की जा सकती है। उस दिन मुझसे गलती हो गई थी, तो उन्होंने मुझे बहुत भद्दी-भद्दी गाली दी थी। सभी बच्चों को नीचे भेजकर मुझे बहुत बुरा-भला कहा था। मेरे मम्मी पापा को भिखारी और भी बहुत बुरा-भला कहा। उन्होंने मुझसे कहा कि जहर खाकर मर जा या कहीं जाकर आत्महत्या कर ले।'

अपमान को नहीं भूल पा रहा था अमित

जिस चोरी का इल्जाम अमित पर था, वह 19 दिसंबर की बात थी। इसके बाद 20 दिसंबर को स्कूल प्रबंधन ने चोरी की बात अमित के परिवार को बताई। सूचना पर छात्र के पिता स्कूल पहुंचे और 20 दिसंबर को अमित को घर ले आए। घर में अमित की मां ने बच्चे को काफी समझाया कि गलतियां हो जाती हैं, तुम अपना मन खराब ना करो। लेकिन अमित दोस्तों के सामने की गई बेइज्जती भूल नहीं पा रहा था। इसी के चलते घटना के 14 दिन बाद उसने फांसी लगा ली।

सबसे लाडला था अमित

अमित के घर में मां बाप के अलावा 2 भाई और एक बहन हैं। वह सभी भाई-बहनों में सबसे छोटा लाडला था। उसके पिता छत्तीसगढ़ में मिट्टी की ईंट बनाने का धंधा करते हैं। जब बच्चे की मौत हुई, उस समय वह छत्तीसगढ़ में काम पर थे।

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