शिकार के चक्कर में जंगल की खतरनाक गुफा में घुस गए तीन आदिवासी युवक, दम घुटने से तीनों की हो गई मौत
साहिल के शिकार के चक्कर में गुफा में दम घुटने से 3 आदिवासी युवकों की हो गई मौत
विशद कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। झारखंड के गढ़वा जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर मेराल थाना क्षेत्र स्थित टेटूका जंगल में 31 अगस्त की सुबह साहिल नामक जानवर का शिकार करने गए तीन युवकों की गुफा में दम घुटने से मौत हो गई। एक युवक का शव तो तुरंत मिल गया लेकिन दो अन्य युवकों को पुलिस ने देर शाम गुफा से बाहर निकाला। आशंका जताई जा रही है कि तीनों की दम घुटने से मौत हुई।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कोरवा आदिम जनजाति के नौ युवक जंगल में शिकार करने गए थे। उनमें से तीन शिकार की तलाश में गुफा के अंदर चले गए। गुफा संकरी होने के कारण उनकी दम घुटने से मौत हो गई। उनमें से एक का शव दिन में ही बरामद कर लिया गया, जबकि दो अन्य का शव देर शाम निकाला गया। सभी मेराल थाना क्षेत्र से सटे डंडई थाना क्षेत्र के चकरी गांव के निवासी थे।
बता दें कि नौ युवक जंगल में शिकार करने गए थे, देर तक शिकार हाथ न लगने पर छह युवक वापस लौट गए, जबकि तीन शिकार की तलाश में लगे रहे। पहले दो युवकों ने टेटूका के पकवा बांध पहाड़ पर स्थित गुफा में प्रवेश किया। तीसरा गुफा में जाने का प्रयास कर ही रहा था कि बेहोश हो गया।
आसपास मवेशी चरा रहे चरवाहों ने देखा तो शोर मचाया। इसके बाद लोग जमा हो गये। हालांकि जब तक युवक को निकाला जाता तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उसकी पहचान उपेंद्र कोरवा के रूप में हुई है। ग्रामीणों के सहयोग से पुलिस गुफा में घुसे दो युवकों का पता लगाने में दिन भर जुटी रही। हालांकि गुफा में घुसने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। बाद में देर शाम पुलिस ने ग्रामीणों के सहयोग से दो और शव निकाले। इनकी पहचान श्याम बिहारी कोरवा और उमेश कोरवा के रूप में हुई।
जंगली जानवरों का शिकार करने गए युवकों को क्या पता था कि गुफा में काल उनका इंतजार कर रहा है। मेराल और इंडई थाना क्षेत्र के सीमावर्ती जंगल तिसरटेटूका के पकवा बांध पहाड़ क्षेत्र में ये युवक अक्सर शिकार के लिए निकलते थे। वे इलाके के भूगोल से परिचित थे। इसके बावजूद गुफा में तीनों युवकों की मौत होने से इलाके के लोग सन्न हैं।
एक युवक का शव मिलने के बाद बाकी लापता दो युवकों की तलाश में गुफा के पास जेसीबी की मदद से खुदाई कराई गई। रात करीब पौने नौ बजे उन दोनों युवकों के शव भी निकाल लिये गये।
इससे पहले सुबह हादसे के बाद घटना की सूचना इलाके में जंगल की आग की तरह फैली। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग गुफा के आसपास पूरे दिन जमे रहे। राहत-बचाव कार्य में लोग पुलिस की मदद करने में जुटे हुए थे। गुफा की खुदाई के लिए दो-दो जेसीबी मशीन लगाई गई।
बताया जाता है कि गुफा में फंसे युवकों में श्याम बिहारी कोरवा और उमेश कोरवा काफी अंदर घुस गये थे। लोगों ने बताया कि पहाड़ में पत्थर होने के कारण जेसीबी को भी खोदने में परेशानी हो रही थी। लोगों के कहने पर पुलिस ने एनडीआरएफ से भी मदद मांगी। हालांकि एनडीआरएफ के पहुंचने से पहले ही सभी शव निकाल लिए गए।
घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि डंडई थाना क्षेत्र के चकरी गांव से आदिम जनजाति परिवार के नौ युवक जंगल में शिकार करने अपने-अपने घर से निकले। युवक अक्सर जंगली जानवरों का शिकार करने निकलते थे। शिकार की तलाश में तीनों युवक निकटवर्ती मेराल थाना क्षेत्र के तिसरटेटका के पकवा बांध पहाड़ क्षेत्र में चले गए।
वहां एक गुफा में साहिल होने की भनक मिली। उसके बाद सभी युवक गुफा के पास बैठकर साहिल के बाहर निकलने का इंतजार करने लगे। काफी समय तक जब शिकार हाथ नहीं लगा तो छह युवकों ने घर लौटने का निर्णय लिया।
वहीं बाकी तीन युवक बगैर शिकार किए घर वापस लौटने से इनकार कर दिया। छह युवकों के वापस लौटने के बाद तीन युवकों ने गुफा के अंदर ही घुसकर साहिल का शिकार करने का मन बनाया। पहले दो युवक गुफा के अंदर चले गए। पीछे से तीसरा युवक जैसे ही गुफा के दरवाजे पर पहुंचा उसका दम घुटने लगा। वह जबतक निकलने की कोशिश करता तबतक बेहोश हो चुका था।
इसके बाद सभी की मौके पर ही मौत हो गई। पास में मवेशी चरा रहे चरवाहे और ग्रामीणों को घटना की भनक मिली तो उन्होंने शोर मचाया। शोर सुनकर अन्य लोग भी मौके पर पहुंचे। उसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई।
सूचना पाकर मेराल और डंडई पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। वहां पहुंचने के बाद पुलिस ने ग्रामीणों के सहयोग से राहत और बचाव कार्य शुरू किया। उसी क्रम में एक युवक उपेंद्र कोरवा का शव बरामद कर लिया गया। बताया जाता है कि गुफे की गहराई 20 फीट से भी अधिक थी। मेराल थाना प्रभारी शिवलाल कुमार गुप्ता, एसआई अजीत कुमार और डंडई पुलिस ने ग्रामीणों के सहयोग जंगल में राहत बचाव कार्य चलाया।
कोरवा भाषा का शब्दकोष लिखने वाले हीरामन कोरवा ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे आदिम जनजाति परिवार हैं जो जंगल में शिकार करते हैं और मंदा (गुफा) में घुसते हैं, वो अब इस तरह का काम ना करें।
उन्होंने कहा, "कोई भी शिकार की लालच में मंदा में ना घुसें। शिकार की वजह से अपनी जान को जोखिम में ना डालें। आप सभी ने देखा कि हमारे तीन आदिम जनजाति भाई लोग को वही शिकार के चलते फूलता फलता परिवार को छोड़कर चले गए। अत: आदिवासी भाइयों से निवेदन है कि शिकार करने और मंदा घुसने जंगल ना जाएं बच्चे को पढ़ाएं, लिखाएं और शिक्षित बनाएं।"