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India-China Border : मोदीराज पर बड़ा सवाल : अरुणाचल गए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर चीन के ऐतराज के क्या हैं मायने

Janjwar Desk
14 Oct 2021 12:20 PM GMT
India-China Border : मोदीराज पर बड़ा सवाल : अरुणाचल गए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर चीन के ऐतराज के क्या हैं मायने
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(अरुणाचल प्रदेश दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू। उपराष्ट्रपति सचिवालय से जारी तस्वीर)

India-China Border : विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत चीन की टिप्पणी को खारिज करता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य हिस्सा है।

India China Border : देश के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M. Venkiah Naidu) ने बीते 9 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) का दौरा किया। उनके इस दौरे से चीन (China) तिलमिला उठा। चीन की तिलमिलाहट कोई पहली बार नहीं है ऐसे कई मौकों पर चीन की तिलमिलाहट दिखी है। उपराष्ट्रपति के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी अपना विरोध जताया है।

चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता झाओ लिजिआन (Zhao Lijian) ने उपराष्ट्रपति नायडू के अरुणाचल प्रदेश के आधिकारिक दौरे पर सवाल खड़ा किया है। लिजिआन ने कहा कि चीन की सरकार अरुणाचल प्रदेश को राज्य के तौर पर मान्यता नहीं देती है। इस क्षेत्र पर भारत द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। इस क्षेत्र में भारत के राजनायिक दौरे का विरोध करते हैं। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय (Ministry Of External Affairs) ने तीखी प्रतिक्रिया के साथ चीन के इस दावे को खारिज किया।

विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Baghchi) ने कहा कि भारत चीन की टिप्पणी को खारिज करता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविच्छेद्य हिस्सा है। इस क्षेत्र में भारत के राजनायिक दौरे का विरोध करने का कोई कारण नहीं दिखता। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का अरुणाचल दौरा वैसे ही है जैसे अन्य राज्यों में होता है।

ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल में किसी भारतीय राजनयिक के दौरे का विरोध किया है। चीन के अरुणाचल को लेकर हमेशा अशांत करने वाले बयान आते रहते हैं। 2019 में भी चीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अरुणाचल प्रदेश के आधिकारिक दौरे का विरोध किया था। वहीं 2020 में गृहमंत्री अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश के आधिकारिक दौरे पर भी चीन ने अपनी आपत्ति दर्ज की थी। लेकिन हर दफा भारत की ओर से चीन को इसका मुंहतोड़ जवाब दिया गया है।

अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से पर चीन 90000 वर्ग किलोमीटर पर अपना दावा करता है। वहीं भारत का अपना दावा है कि चीन ने 38000 वर्ग किलोमीटर में अक्साई चीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है।

पूर्वी लद्दाख में नहीं सुलाझा पूरा विवाद

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galawan Valley Clash) में बीते साल 2020 (15 जून) चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। इस दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के 20 जवान शहीद हुए थे जबकि 76 घायल हुए थे जिनमें से 18 को गंभीर चोटें आयी थीं। वहीं चीन आधिकारिक तौर अपने 4 जवानों के मारे जाने की ही पुष्टि की थी। इस घटना के बाद से गलवान घाटी में तनाव बना हुआ है। मुद्दे को सुलझाने के लिए 13 दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन मसला अभी तक नहीं सुलझा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने पहले ही कहा है कि भारत-चीन सीमा पर पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा द्विपक्षीय समझौतों की जगह एकतरफा ढंग से यथास्थिति को बदलने के प्रयास के कारण ये स्थिति उत्पन हुई है। सरकार पूर्वी लद्दाख को अक्सर पश्चिमी क्षेत्र कहकर संबोधित करती है। बागची ने आगे कहा कि हम चीन से उम्मीद करते हैं कि वह अनसुलझे मुद्दों को द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल पालन कर बाकी के मुद्दों का जल्द समाधान करे।

13वें दौर की सैन्य स्तर की बैठक में भारत की तरफ से दिए गए रचनात्मक सुझाव को चीन ने खारिज कर दिया। वहीं चीन की पश्चिमी थिएटर कमान (Western Theatre Command) ने कहा कि भारत अव्यवहारिक और अवास्तविक मांग पर जोर दे रहा है।

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