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गलवान जैसी हरकत फिर न दोहरा पाए चीन इसलिए भारतीय सेना ने 10,000 सैनिकों के साथ माउंटेन स्ट्राइक कोर को किया और मजबूत

Janjwar Desk
10 April 2021 12:23 PM GMT
गलवान जैसी हरकत फिर न दोहरा पाए चीन इसलिए भारतीय सेना ने 10,000 सैनिकों के साथ माउंटेन स्ट्राइक कोर को किया और मजबूत
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पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए चीन के साथ कई दौर की वार्ताओं के बीच भारत ने देश की उत्तरी सीमा पर करीब 10 हजार जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है....

जनज्वार डेस्क। भारत ने उत्तरी सीमाओं पर अपने सैनिकों की तैनाती को और मजबूत किया है। भारतीय सेना ने अपने एकमात्र माउंटेन स्ट्राइक कोर में लगभग 10,000 और सैनिकों को शामिल किया है, जो सीमा पर चीन के आक्रामक अभियानों पर नजर रखेंगे। माउंटेन स्ट्राइक कोर की तैनाती से पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा के साथ -साथ चीनी सीमा पर भी नजर बनाई जा सकेगी और इसी के तहत यह कदम उठाया गया है।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए चीन के साथ कई दौर की वार्ताओं के बीच भारत ने देश की उत्तरी सीमा पर करीब 10 हजार जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। बाकी के जवान, चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की निगहबानी के लिए पहले से तैनात माउंटेन स्ट्राइक कोर की मदद करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, जवानों की तैनाती बढ़ाने का उद्देश्य विस्तारवादी व आक्रामक चीन को एलएसी पर कहीं भी पूर्वी लद्दाख जैसी करतूत करने से रोकना है। ऐसे में पश्चिमी मोर्चे पर भारत पाकिस्तान के बजाय चीन से सटी सीमाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसी के तहत पूर्वी सेक्टर में एक मौजूदा डिवीजन को अब 17वीं माउंटेन स्ट्राइक कोर के साथ जोड़ा गया है। इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में है। सेना के नए कदम से अब माउंटेन स्ट्राइक कोर की मारक क्षमता में और इजाफा होगा।

समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से खबर है कि सरकारी सूत्रों ने कहा है कि पूर्वी सेक्टर में स्थित लगभग 10,000 सैनिकों के साथ एक मौजूदा डिवीजन को अब पूर्वी बंगाल में स्थित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक, 'माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को केंद्र द्वारा लगभग एक दशक पहले ही मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन इसके साथ केवल एक डिवीजन जुड़ी थी और अब इस नए कदम के साथ यह अपने काम को और अधिक मारक क्षमता के साथ कर सकेगी जो कि भारत की मजबूती को बढ़ाने का काम करेगा।

सेना ने हाल के दिनों में कई चुनौतियों का सामना किया है। 16 जून की रात चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इस झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे। तब से दोनों देशों की सेनाओं के बीच लंबे समय तक डिसइंगेजमेंट को लेकर कई दौर की वार्ता हुई। बाद में दोनों देशों की सेना पीछे हटीं। भारतीय और चीनी दोनों देशों के सैनिक बड़ी संख्या में पिछले साल से ही सीमा पर तैनात हैं।

बता दें कि भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग जैसे गतिरोध वाले शेष हिस्सों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये शुक्रवार को एक और दौर की वार्ता की। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र में चुशुल सीमा क्षेत्र पर पूर्वाह्न करीब साढ़े दस बजे कोर कमांडर स्तर की 11वें दौर की बैठक शुरू हुई। दसवें दौर की सैन्य वार्ता 20 फरवरी को हुई थी। इससे दो दिन पहले दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिक और हथियारों को पीछे हटाने पर राजी हुईं थीं। वह वार्ता करीब 16 घंटे चली थी।

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