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सिक्योरिटी

सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल वाली एक बड़ी सेना को नियंत्रित करता एम्स, भारत समेत 20 देशों में अफवाह फैलाने का करता है काम

Janjwar Desk
17 Feb 2023 12:39 PM IST
Fake news IT Act
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प्रतीकात्मक फोटो

दुनिया के 48 देशों में अफवाह और सत्ता को फायदा पहुंचाने वाली झूठी खबरों के मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया द्वारा प्रसार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राइवेट कंपनियां काम कर रही हैं, तेजी से फल-फूल रहे डिसइनफार्मेशन उद्योग की तहकीकात के लिए ही फॉरबिडेन स्टोरीज की निगरानी में इन्टरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने यह भंडाफोड़ किया है....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Now private consultants are available who meddle in elections through hacking, sabotage and automated disinformation. पूरी दुनिया में चुनावों के समय अफवाह और झूठ को व्यापक स्तर पर फैलाकर चुनाव जीतना अब सत्ता तक पहुँचने का माध्यम बन गया है। अफवाह और झूठ का प्रसार इस कदर हो गया है कि अब इस काम के लिए प्राइवेट अंतर्राष्ट्रीय कंसलटेंट आ गए हैं जो भारी-भरकम फीस लेकर सत्ता और बड़े कॉरपोरेट के लिए यह काम कर रहे हैं। ऐसे कंसल्टेंट की पहुँच भारत में भी है।

हाल में ही फ्रांस के फॉरबिडेन स्टोरीज की निगरानी में इन्टरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने इजराइल की एक ऐसी ही कंपनी का पता लगाया है। इसके मालिक 50 वर्षीय तेल हनान हैं जो जोर्जे के नाम से चुनावों में धांधली करते हैं। इनका दावा है कि पिछले 2 दशकों के दौरान दुनिया के 33 चुनावों के दौरान उनकी संस्था ने काम किया है, जिसमें से 27 चुनावों के नतीजे उनके अनुरूप रहे। तेल हनान की कंपनी का कोड नाम टीमजोर्ज है।

टीमजोर्ज मुख्य तौर पर चुनावों को हैकिंग, गड़बड़ करना और सत्ता को फायदा पहुंचाने वाले झूठी और भ्रामक खबरों के सहारे परिणाम को प्रभावित करते हैं। दूसरे शब्दों में यह कंपनी झूठ और अफवाह का इस्तेमाल एक हथियार के तौर पर करती है। इनके क्लाइंट जासूसी संस्थाएं, राजनैतिक दल या फिर चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने की मंशा रखने वाली प्राइवेट कपनियां हैं। इस कंपनी ने अफ्रीका, दक्षिण और मध्य अमेरिका, अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने का काम किया है।

इस कंपनी का सबसे बड़ा हथियार एक संवेदनशील सॉफ्टवेयर पैकेज, एडवांस्ड इम्पैक्ट मीडिया सोल्यूशंस यानी एम्स है। यह सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल वाली एक बड़ी सेना को नियंत्रित करता है और इसके माध्यम से अफवाह और झूठी खबरें जनता के बीच फैलाता है। झूठ को सच बताने के लिए पहले अफवाह या झूठ को मेनस्ट्रीम टीवी न्यूज़ चैनलों पर दिखाया जाता है।

व्यापक तहकीकात के बाद यह पता चला है कि एम्स का उपयोग कम से कम 20 देशों में अफवाह फैलाने के लिए किया जा रहा है। इन देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, मेक्सिको, सेनेगल, भारत और यूनाइटेड अरब एमिराट्स प्रमुख नाम हैं। एम्स का उपयोग वैश्विक स्तर पर 17 चुनावों में किया गया है – इससे 5000 बोट्स उत्पन्न होते हैं जिसे प्रोपेगंडा और सामूहिक मैसेज के तौर पर सोशल मीडिया द्वारा शेयर किया जाता है।

ऑक्सफ़ोर्ड इन्टरनेट इंस्टिट्यूट ने वर्ष 2021 में बताया था कि दुनिया के 48 देशों में अफवाह और सत्ता को फायदा पहुंचाने वाली झूठी खबरों के मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया द्वारा प्रसार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राइवेट कंपनियां काम कर रही हैं। तेजी से फल-फूल रहे डिसइनफार्मेशन उद्योग की तहकीकात के लिए ही फॉरबिडेन स्टोरीज की निगरानी में इन्टरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने यह भंडाफोड़ किया है। इसके लिए तीन पत्रकारों ने अफ्रीका के एक देश के प्रतिनिधि का स्वांग रचा था, जहां चुनावों को टालना था।

इन तीनों पत्रकारों ने जुलाई से दिसम्बर 2022 के बीच इजराइल की कंपनी के मालिक और अधिकारियों के साथ बातचीत कर 6 घंटे की फिल्म बनाई। इन सबके बीच तथ्य यह भी है कि जिस तरह पेगासस का जाल इजराइल सरकार के इशारे पर बुना गया था, उसी तरह झूठ और अफवाह का जाल भी सरकार के इशारे पर बुना गया है। इस कमपनी के लोगों ने बताया कि अफवाह देमोमन इंस्टिट्यूट की वेबसाइट का इस्तेमाल किया जाता है – यह वेबसाइट इजराइल के रक्षा मंत्रालय की है और इससे रक्षा निर्यात को बढ़ावा दिया जाता है।

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