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Supreme Court News : 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से मिला इंसाफ, भारत के लिए पाकिस्तान में की जासूसी

Janjwar Desk
13 Sep 2022 11:16 AM GMT
Supreme Court News : 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से मिला इंसाफ, भारत के लिए पाकिस्तान में की जासूसी
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Supreme Court News : 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से मिला इंसाफ, भारत के लिए पाकिस्तान में की जासूसी 

Supreme Court News : महमूद अंसारी का दावा है कि वे जासूसी के आरोप में पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में 14 साल बंद रहे, अब जासूस की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है...

Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जासूस महमूद अंसारी को बड़ी राहत दी है। जासूस अंसारी तीन दशकों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। अब 75 साल के हो चुके महमूद अंसारी का दावा है कि वे जासूसी के आरोप में पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में 14 साल बंद रहे। अब जासूस की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central government) को उन्हें 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। 75 साल के महमूद अब राजस्थान के कोटा में रह रहे हैं।

जासूस ने पाकिस्तान की जेल में गुजारे 14 साल

पाकिस्तान (Pakistan) में रहकर दो सीक्रेट मिशन पूरा करने वाले एक जासूस को इंसाफ के लिए अपने ही देश में 30 साल तक इंतजार करना पड़ा। बता दें कि अब उसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राहत मिली है। स्पेशल ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस ने डाक विभाग के एक कर्मचारी को सीक्रेट मिशन पर पाकिस्तान भेजा था। यहां से पकड़ लिया गया और 14 साल जेल में गुजारने पड़े। जब वह वापस लौटकर आया तो सरकार ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया।

पाकिस्तान में रहकर दो सीक्रेट मिशन को दिया अंजाम

महमूद अंसारी के का कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान में रहकर दो सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया था। वह तीसरे मिशन को भी पूरा करने वाले थे लेकिन वह पकड़े गए। भारत आने के 30 साल बाद और लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। ऐडवोकेट समर विजय सिंह के जरिए दाखिल की गई याचिका के अनुसार जून 1974 में उन्हें स्पेशल ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस की तरफ से देश के लिए सीक्रेट ऑपरेशन चलाने की पेशकश की गई। उन्होंने पेशकश कबूल कर ली। डाक विभाग ने भी रिक्वेस्ट को मंजूर कर लिया और उन्हें विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया 10 लाख रुपए देने का आदेश

सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट की बेंच ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह 'पूर्व जासूस' को 10 लाख रुपये का भुगतान करे। कोर्ट ने पहले तो सरकार को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने को कहा है। बाद में जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र 75 साल है और आय का कोई स्रोत भी नहीं है तो राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया।

पाकिस्तान की जेल से पत्र लिखकर गृहमंत्री को दी थी जानकारी

बता दें कि चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट की बेंच ने यह आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह उनके दावों पर विचार नहीं व्यक्त कर रही है बल्कि पूरे दृष्टिकोण को देखते हुए यह आदेश दिया है। बता दें कि महमूद अंसारी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने पाकिस्तान की जेल से पत्र लिखकर अपने विभाग के साथ-साथ भारत के गृहमंत्री को जानकारी दी थी और उन्होंने अपनी छुट्टी के लिए एप्लीकेशन भी दिया था।

जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में पकड़ा

बता दें कि महमूद अंसारी डाक विभाग में नौकरी करते थे। उन्होंने 1966 में नौकरी ज्वाइन किया था। महमूद अंसारी का दावा है कि उन्हें जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में पकड़ लिया गया। उन्हें 12 दिसंबर 1976 को पाकिस्तानी रेंजरों ने गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और 1978 में पाकिस्तान में उन्हें 14 साल जेल की सजा सुनाई गई। इसके बाद भारत में उनकी नौकरी चली गई। 1980 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

1989 में सजा पूरी कर भारत वापस लौटे

याचिकाकर्ता महमूद अंसारी का कहना है कि अपनी नौकरी बचाने के लिए वहां की जेल से उन्होंने काफी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने कई लेटर भी लिखे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। महमूद ने हार नहीं मानी और अपने हक के लिए लड़ते रहे। 1989 में सजा पूरी होने के बाद वे रिहा कर दिए गए और अपने देश वापस लौटे तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किए जाने की सूचना मिली। इसे लेकर उन्होंने कोर्ट का रुख किया। उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, जयपुर में अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी। जुलाई 2000 में ट्राइब्यूनल ने दाखिल करने में देरी के कारण उनके आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट से भी उन्हें इस मामले में कोई राहत नहीं मिली। 2018 में अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

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