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LIC share price: एलआईसी में पैसा लगाने वाले निवेशकों ने दो हफ्ते में खोए 1.23 लाख करोड़, क्या डूब रही है देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी?

Janjwar Desk
7 Jun 2022 5:29 PM IST
LIC share price: एलआईसी में पैसा लगाने वाले निवेशकों ने दो हफ्ते में खोए 1.23 लाख करोड़, क्या डूब रही है देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी?
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LIC share price: एलआईसी में पैसा लगाने वाले निवेशकों ने दो हफ्ते में खोए 1.23 लाख करोड़, क्या डूब रही है देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी?

LIC share price Crash: दो हफ्ते पहले ही आईपीओ के माध्यम से शेयर बाजार में कदम रखने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मंगलवार को 1.23 लाख करोड़ रुपए घटकर 476556 करोड़ रह गया है, जबकि दो हफ्ते पहले ही यह 600242 करोड़ पर था।

LIC share price Crash: दो हफ्ते पहले ही आईपीओ के माध्यम से शेयर बाजार में कदम रखने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मंगलवार को 1.23 लाख करोड़ रुपए घटकर 476556 करोड़ रह गया है, जबकि दो हफ्ते पहले ही यह 600242 करोड़ पर था। केंद्र की मोदी सरकार ने कंपनी में अपनी 3% से कुछ ज्यादा हिस्सेदारी बेच दी थी। इसके लिए आईपीओ लाया गया था, जो 902-949 रुपए के प्राइस बैंड पर खुला था। शेयर बाजार में LIC का स्टॉक 867.0 रुपए प्रति शेयर के भाव से लिस्टेड हुआ था। मंगलवार को कंपनी के शेयर 752.15 रुपए थे, जो कि पिछले 16 सत्रों में 115.05 रुपए की गिरावट है।

अभी 3 साल इंतजार करें

अब LIC के आईपीओ में पैसा लगाने वाले पूछ रहे हैं कि क्या देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी डूब रही है? बांबे स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार लिस्टिंग के बाद LIC के शेयर अभी तक 15.29% गिरे हैं। हालांकि, बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि LIC शेयरों के भाव में रिकॉर्ड कमी तो आई है, लेकिन इसे इतनी जल्दी डूबती नैया कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। कम से कम अगले 3 साल में शेयर बाजार LIC का भविष्य तय कर पाएगा, लिहाजा इंतजार करना बेहतर है। माना जा रहा है कि 16 जून के बाद LIC के शेयर और गिर सकते हैं, क्योंकि इस तारीख के बाद एंकर इन्वेस्टर्स को निवेश से हटने की छूट होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थागत निवेशकों ने अभी LIC के शेयर की खरीदारी शुरू नहीं की है। वे देखना चाहते हैं कि दाम कहां तक गिरकर फिर स्थिर होते हैं। उसके बाद जैसे ही शेयर्स की खरीदारी शुरू होगी, दाम अपने आप बढ़ेंगे।

सरकार की गलती से निवेशकों का भरोसा घटा

उधर, आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार ने LIC के शेयर्स का इश्यू प्राइस उसके बाजार मूल्य का 1.1 गुना रखा है, जो कि एक बड़ी गलती रही। निवेशकों ने इसे निजी कंपनियों के मुकाबले LIC की खराब माली हालत और मुकाबला कर पाने की कमजोरी के रूप में देखा। यह धारणा बनी कि निजी बीमा कंपनियों के आगे LIC अपना मार्केट शेयर खो रही है। इसका मुनाफा कम है और कमाई भी निजी कंपनियों के मुकाबले घट रही है। फिर भी भारत के बीमा बाजार में LIC की ब्रैंड वैल्यू काफी मजबूत है।

LIC का नेटवर्क गांवों तक है। इसी आधार पर भारत के 65% बीमा बाजार में हिस्सा रखने वाली LIC के शेयरों की फिर खरीद शुरू होगी और तब भाव बढ़ेंगे। इस बीच, खबर है कि कुछ स्टॉक ब्रोकर फर्म निवेशकों को LIC में पैसा न लगाने को प्रोत्साहित कर रही हैं। उनका दावा है कि केंद्र सरकार ने कंपनी का बढ़-चढ़कर मूल्यांकन किया है, जबकि उसकी बाजार वैल्यू उतनी है नहीं। LIC के शेयर प्राइस गिरने का यही कारण है, इसलिए निवेशकों को इसमें पैसा लगाने से बचना चाहिए। हालांकि, सरकार ने न तो अभी तक अपनी ओर से निवेशकों को LIC के भविष्य को लेकर कोई सफाई दी है और न ही निवेशकों को पैसा न लगाने की सलाह देने वाली ब्रोकर फर्मों के दावों का खंडन किया है।

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