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Punjab Election Results 2022 : पंजाब में आम आदमी पार्टी के नए "मान" भगवंत के लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं

Janjwar Desk
11 March 2022 10:06 AM GMT
Punjab Election Results 2022
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Arvind Kejriwal and Bhagwant Mann

Punjab Election Results 2022 : पंजाब चुनावों के क़रीब एक महीने पूर्व ही आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पार्टी के जाने माने चेहरे और सांसद भगवंत मान को पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था. कभी टेलीविज़न पर अपने राजनीतिक विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू के सामने बतौर स्टैंडअप कॉमेडियन परफॉर्म करने वाले भगवंत मान अब पंजाब के अगले मुख्यमंत्री के रूप में परफॉर्म करेंगे। आम आदमी पपार्टी को पंजाब में मिली भारी जीत से साफ़ है कि पंजाब की जनता ने उन्हें उनके वादों पर भरोसा कर भरपूर समर्थन दिया है ऐसे में अब पार्टी की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और उनके पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए इस भरोसे पर खरा उतरना एक चुनौती के रूप में होगा।

Punjab Election Results 2022 : गुरुवार को जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम (Assembly Election Poll Results) आने शुरू हुए तो एक तरफ जहां सभी कांग्रेसी और अकाली दिग्गजों के हारने की खबर आने लगी तो दूसरी ओर आप के प्रचंड जीत की। पंजाब (Punjab) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के कार्यकर्ता एग्जिट पोल (Exit) को सही होता देख उत्साह से भर गए। परिणाम फाइनल होते-होते यह तय हो गया कि प्रदेश में आप पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। एक ओर यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भाजपा का कैडर जश्न मना रहा था तो वहीं दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता झूम रहे थे। पंजाब विधानसभा चुनाव की 117 सीटों में से 92 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है। यहां बीजेपी को दो सीटें मिली हैं और कुछ वक्त पहले तक उसकी सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल तीन सीटों पर सिमट गई है. सत्ताधारी कांग्रेस को 18 सीटें लाकर सत्ता से बेदखल हो गयी है। इससे पहले 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 20, बीजेपी को तीन, शिरोमणि अकाली दल को 15 और कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

राजधानी दिल्ली (New Delhi) के बाद आम आदमी पार्टी के लिए ये पहली बड़ी जीत है। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इसे इंक़लाब का नारा देते हुए कह रहे हैं कि आने वाले समय में उनका प्रयास पूरे देश में पैर फैलाने का होगा। एक ट्वीट में आम आदमी पार्टी की ओर से लिखा गया, "पहले दिल्ली में इंक़लाब हुआ, आज पंजाब में इंक़लाब हुआ, अब पूरे देश में इंक़लाब होगा." इस ट्वीट (Tweet) को दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi Chief Minister) और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी रीट्वीट किया है।


पंजाब चुनावों के क़रीब एक महीने पूर्व ही आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पार्टी के जाने माने चेहरे और सांसद भगवंत मान को पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था. कभी टेलीविज़न पर अपने राजनीतिक विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू के सामने बतौर स्टैंडअप कॉमेडियन परफॉर्म करने वाले भगवंत मान अब पंजाब के अगले मुख्यमंत्री के रूप में परफॉर्म करेंगे। आम आदमी पपार्टी को पंजाब में मिली भारी जीत से साफ़ है कि पंजाब की जनता ने उन्हें उनके वादों पर भरोसा कर भरपूर समर्थन दिया है ऐसे में अब पार्टी की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और उनके पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए इस भरोसे पर खरा उतरना एक चुनौती के रूप में होगा।

इस बारे में पंजाब के जानकार और पत्रकार खुशवंत लाली का कहना है कि पंजाब के सामने इस वक़्त क़रीब 3000 लाख करोड़ रुपये का खर्च है। आम आदमी पार्टी ने 300 यूनिट मुफ़्त बिजली, पानी और 18 साल की महिलाओं को एक हज़ार रुपये देने जैसे वायदे किए हैं। वो कहते हैं, "भगवंत मान और केजरीवाल कहते रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार मिटाकर और रेत माफ़िया को काबू में करके ज़रूरी फ़ंड जुटाएंगे. लेकिन सवाल ये भी है कि क्या ये काम इतना आसान है?"

पंजाब की राजनीति पर दशकों से नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह कहते हैं कि पंजाब की राजनीति केवल स्कूल या अस्पताल के नाम पर नहीं चल सकती है, ये राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय राज्य है। वो कहते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी ने 10 मार्च की शाम जब अपने स्पीच में अलगाववाद की बात की और कहा कि इसके लिए बीजेपी कुछ भी करने को तैयार है। उनके इस बयान से स्पष्ट हो गया कि पंजाब के सामने चुनौतियां बड़ी हैं और इन मुश्किलों से निबटना भगवंत मान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी."

भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा करने वाली आप सरकार के लएि पंजाब में प्रशासनिक स्तर पर जो भ्रष्टाचार की स्थिति है उससे निपटना भी एक चुनौती ही होगा। 2019 में हुए एक स्वतंत्र संस्था के सर्वे में ये बात सामने आई कि देश के सबसे अधिक भ्रष्टाचार ग्रस्त राज्यों में पंजाब छठे नंबर पर है। इस सर्वे के अनुसार राज्य के 63 फ़ीसदी लोगों का कहना था कि उन्हें अपना काम कराने के रिश्वत देना पड़ता है। साल 2019 में लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डॉक्टर नरेश चंद्र सक्सेना ने भी दावा किया था कि पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोकसेवक देश के सबसे भ्रष्ट लोकसेवक हैं। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने पंजाब में स्वच्छ, पारदर्शी और ईमानदार प्रशासन का दावा किया है। उन्होंने पंजाब के लोगों को ख़राब आर्थिक स्थिति, क़र्ज़ और लालफ़ीताशाही से छुटकारा दिलाने की बात की है, और ये उनके लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। वो ये भी कहते हैं कि "अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों से भी कई विधायक पार्टी में शामिल हुए हैं। अब भगवंत मान के सामने ये चुनौती भी होगी कि वह पारंपरिक पार्टियों से निकलकर आए इन नेताओं को साथ में लेकर कैसे चलते हैं और पार्टी को मतभेद से कैसे बचाते हैं."

पत्रकार जगतार सिंह कहते हैं, "पंजाब में भ्रष्ट लोकसेवकों और नेताओं की साठगांठ की बातें बड़ा मुद्दा रही हैं. इस कारण लोगों में गुस्सा भी था और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना और इनसे काम कराना भगवंत मान के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है." वो ये भी कहते हैं कि भगवंत मान सरकार के लिए राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार करना और सीमा से जुड़े व्यापार के मामले को सुलझाना भी कम बड़ी चुनौती नहीं है। जगतार सिंह कहते हैं "भारत और पड़ोसी पाकिस्तान के बीच व्यापार वाघा बॉर्डर से बंद हुआ, लेकिन मुंबई और कराची के बीच व्यापार चल रहा है। ऐसे में सवाल ये है कि भगवंत मान क्या ये रुका पड़ा व्यापार शुरू करवा सकेंगे और इसका फ़ायदा पंजाब के लोगों को होगा?" वहीं खुशवंत लाली का कहना है कि "भगवंत मान भले ही दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं, लेकिन सरकार चलाने के मामले में उन्हें अनुभवहीन माना जा सकता है। उन्हें अब तक सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है।"

खुशहाल लाली कहते हैं, "पंजाब में नशे की समस्या, गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, रेत-बजरी और केबल माफ़िया को लेकर लोगों में खासा असंतोष रहा है. भले ही ऐसा कहा जा सकता है कि चुनाव में ये मुद्दे अधिक चर्चा में नहीं आए, लेकिन इसमें कोई शक़ नहीं है कि इन मुद्दों को लेकर अकाली दल और कांग्रेस से लोगों की ख़ासी नाराज़गी थी।" इसी तरह पंजाब में किसानों का मुद्दा और युवाओं का विदेशों की तरफ़ पलायन रोकने के लिए कोई ठोस क़दम न उठाए जाने से भी लोगों में नाराज़गी रही है। खुशहाल लाली कहते हैं कि ''कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नशा ख़त्म करने का वादा किया था और पवित्र माने जाने वाले गुटका साहिब की शपथ ली थी। वो कहते हैं कि बेअदबी के दोषियों को सज़ा न दिला पाना भी प्रदेश में एक बड़ा सियासी मुद्दा रहा है और भगवंत मान के सामने ये चुनौती भी आ सकती है।''

पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार दो सूबों में होगी। पंजाब में बड़ी जीत के साथ पार्टी में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान का क़द बड़ा हो गया है और पूरे देश की निगाहें इस जोड़ी पर टिक गई हैं। वहीं कुछ जानकारों का यह अंदेशा भी है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी पर सबसे बड़ा आरोप ये लगता है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली से मुख्यमंत्री हैं और पंजाब को रिमोट से चलाएंगे। पंजाब के निवर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अरविंद केजरीवाल को काला अंग्रेज़ और 'दिल्ली का भैया' तक कह दिया था। उनका कहना था कि बाहरी लोग दिल्ली से आकर पंजाब पर क़ब्ज़ा कर लेंगे।

अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पूर्व कॉमेडियन और आम आदमी पार्टी के दो बार सांसद रह चुके पंजाब में आप के मान भगवंत मान सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कैसी छाप छोड़ पाते हैं। जनता के किए गए वादों को पूरा कर पाते हैं या नहीं। अगर उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ अगले चुनाव में फिर दोबारा अपनी सफलता दोहरानी है तो उन्हें अपनी सरकार की आने वाली चुनौतियों से सक्षम तरीके से निपटना होगा। तभी उनका भी भला है और पंजाब का भी।

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