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Up Election 2022

Lakhimpur Kheri: बीजेपी प्रत्याशियों को प्रचार करने में आ रही छीकें, जूनियर टेनी की जमानत ने बदले कई समीकरण

Janjwar Desk
22 Feb 2022 7:39 PM IST
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(लखीमपुर में प्रचार करने से डर रहे भाजपा प्रत्याशी)

Lakhimpur Kheri: किसी ने किसान आंदोलन की बात की तो कोई बोला जूनियर टेनी (Junior Teni) बाहर है, तो क्या दोषी हम हैं? हालत ये है कि भाजपा प्रत्याशी निघासन क्षेत्र में जाने से डर रहे हैं...

UP Election 2022: यूपी का लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) चौथे चरण के मतदान से पहले फिर चर्चा में है। पहले चर्चा का कारण किसानों को कार से कुचलने की घटना ने बटोरी, अब चर्चा किसानों की हत्या के आरोपी मंत्री पुत्र आशीष टेनी को जमानत मिलने पर है। अब चर्चा तीसरी बार हो रही है क्योंकि कल यानी 23 फरवरी को यहां मतदान होना है।

यहां की हर विधानसभा सीट पर किसानों और आम लोगों के बीच सत्ता के खिलाफ मुद्दे जिंदा दिखते हैं। किसी ने किसान आंदोलन की बात की तो कोई बोला जूनियर टेनी (Junior Teni) बाहर है, तो क्या दोषी हम हैं? हालत ये है कि भाजपा प्रत्याशी निघासन क्षेत्र में जाने से डर रहे हैं। याद रहे यह वही क्षेत्र है, जहां किसानों को थार चढ़ाकर कुचला गया था।

सत्ता की हनक में पिता-पुत्र का कांड

किसान आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश में यह पहला विधानसभा चुनाव है। उत्तरप्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर नेपाल सीमा से लगता है। यह तराई का इलाका है। किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा का जमानत पर रिहा होना लखीमपुर खीरी का इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा है। भाजपा के खिलाफ इस मुद्दे का खूब प्रचार प्रसार किया जा रहा है, यहां 80 फीसदी किसान हैं इसलिए यहां की आठों विधानसभा सीटों पर आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ लोगों में गुस्सा है।

2017 के चुनाव में जिले की सभी 8 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। लेकिन किसान आंदोलन के बाद यहां समीकरण बदले हैं। हम 8 में से 4 विधानसभा सीटों की बात कर रहे हैं, जिन पर सत्ता के साथ-साथ विपक्ष की निगाहें भी टिकी हैं।

पलिया विधानसभा

लखीमपुर खीरी की पलिया विधानसभा में ज्यादातर आबादी थारु आदिवासियों और दलितों की है। यह नेपाल सीमा से लगा हुआ विधानसभा क्षेत्र है। दुधवा नेशनल पार्क भी यहीं है। पलिया में 40,000 थारु और 80,000 दलितों के वोट हैं। यहां का मुख्य मुद्दा सिर्फ सड़कें हैं, क्योंकि हर साल बाढ़ आती है और सड़कें टूट जाती हैं। समाजवादी पार्टी ने प्रीतेंद्र सिंह कक्कू को प्रत्याशी बनाया है और उनके सामने भाजपा से हरविंदर सिंह प्रत्याशी हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है।

निघासन विधानसभा

निघासन विधानसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चित सीट है। यह वही इलाका है जहां के तिकोनिया इलाके में थार गाड़ी चढ़ने से किसानों की मौत हुई थी। यह क्षेत्र पंजाब से आए सरदारों का गढ़ है। इनकी गिनती बड़े किसानों में शुमार होती है। निघासन को मिनी पंजाब भी कहते हैं। इस क्षेत्र में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। यहां से सपा ने पूर्व विधायक और पूर्व बसपा अध्यक्ष आरएस कुश्वाहा को टिकट दिया है और भाजपा ने शशांक वर्मा को टिकट दिया है। शशांक वर्मा पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक रहे रामकुमार वर्मा के बेटे हैं। शशांक वर्मा की जहां तक बात करें तो वह डर के मारे सरदारों के गढ़ में प्रचार करने ही नहीं जा रहे हैं।

मोहम्मदी विधानसभा

मोहम्मदी विधानसभा में मुद्दों की बात करें तो खनन का मुद्दा यहां सबसे बड़ा है। इसके अलावा यहां धान का MSP मूल्य न मिलना भी मुद्दा है। दरअसल, धान का मूल्य MSP 1940 रुपये है, लेकिन सरकार इसे इस दाम पर नहीं खरीद रही है। इसे बिचौलिए और प्राइवेट राइस सेलर 800 से 1100 रुपये क्विंटल में खरीद रहे हैं। इस वजह से धान की खेती करने वाले किसान सरकार से नाराज हैं। किसान हरमीर सिंह बताते हैं कि अमीर किसान तो धान ट्रैक्टर ट्रालियों में रखकर पंजाब हरियाणा बेच आते हैं, लेकिन बाकी किसानों को यहीं बिचौलियों को धान बेचना पड़ता है।

समाजवादी पार्टी ने यहां से ऐन मौके पर आखिरी वक्त में लखनऊ के रहने वाले दाउद अहमद को समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बना दिया, जबकि इससे पहले आखिरी वक्त तक तय था कि यहां से कार्तिक तिवारी को ही टिकट दिया जाएगा। यहां पर 80,000 मुसलमान हैं, जबकि 40,000 ब्राह्मण मतदाता हैं। जिस ओर ब्राह्मण जाता है वही प्रत्याशी जीतता है।

सदर विधानसभा

सदर सीट से समाजवादी पार्टी से उत्कर्ष वर्मा मैदान में हैं जबकि भाजपा से योगेश वर्मा चुनावी मैदान में हैं। सदर सीट की खासियत यह है कि यह दोनों प्रत्याशी आपस में करीबी रिश्तेदार हैं। सदर के मुख्य मुद्दों में शारदा नदी में खनन का मुद्दा है। यहां की शारदा नदी में दिन रात खनन होने की वजह से आम जनता में नाराजगी है, क्योंकि रात भर रेत से भरे ट्रक और ट्रालियां चलती रहती हैं। इस सीट पर निगाहें इसलिए हैं कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार टेनी के सबसे चहेते योगेश वर्मा टिकट हासिल करने में सफल रहे। लखीमपुर खीरी में अजय कुमार टेनी लॉबी से सिर्फ योगेश वर्मा को ही टिकट मिला है।

निघासन जाने में डर रहे BJP प्रत्याशी

निघासन के गांव बजरंग गढ़ में जसकरन सिंह जस्सा बताते हैं कि इस दफा पहली बार हुआ है कि हमारे गांव में कोई भी भाजपा प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए नहीं आया है। भाजपा प्रत्याशी पंजाबी सरदार किसानों के गढ़ से तो इतना डरे हुए हैं कि वहां जाने की भी हिम्मत नहीं कर रहे हैं। जस्सा कहते हैं कि आशीष की जल्दबाज़ी में जमानत हुई जमानत सरकार को भारी पड़ेगी। किसानों और सिख समाज में 100 फीसदी इसका असर देखने को मिलेगा। इसी गांव के गोविंद सिंह सिद्धू का कहना है कि आशीष को मिली जमानत बेशक कोर्ट का मामला है, लेकिन आशीष को मिली बेल में कहा जा सकता है सरकार ने इस मामले की पैरवी ही ठीक से नहीं की जबकि SIT ने 5,000 पन्नों की रिपोर्ट दी थी, जिसमें टेनी पुत्र को आरोपी बताया था।

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