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Kanpur News: नामांकन कराने पहुँचा मुर्दा, बोला- मुझे गूगल पर सर्च करो तो अफसर बोले- वहीं जाओ...जहां मरे हो...
Kanpur News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को लेकर उस समय सनसनी फैल गई जब एक मुर्दा नामांकन कराने पहुँच गया। जब रिटर्निंग ऑफिसर ने उसके दस्तावेज जांचे तो दंग रह गए। रिटर्निंग ऑफिसर ने मुर्दे का नामांकन कैंसिल कर दिया है।
जब मुर्दे ने पूछा क्यों नामांकन कैंसिल किया गया तो अधिकारियों ने कहा कि जहां मरे हो, वहां जाकर नामांकन भरो तो वहीं से जिंदा हो जाओगे। नामांकन कैंसिल होने के बाद प्रत्याशी मीडिया के सामने फूट-फूट कर रोया। कहने लगा कि ये लोकतंत्र नहीं है, बल्कि षड्यंत्र है।
दरअसल, वाराणसी के रहने वाले संतोष मूरत सिंह 20 वर्षों से कागजों पर मृत चल रहे हैं। संतोष खुद को जिंदा साबित करने के लिए जद्दोजहद कर रहें हैं। पिछले 20 साल से गले में मैं जिंदा हूं की तख्ती डाल कर चल रहे हैं। संतोष के जीवन पर ओटीटी प्लेटफार्म पर 'कागज' मूवी भी रिलीज हो चुकी है।
खुद को जिंदा साबित साबित करने के लिए संतोष मूरत सिंह जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर भी बैठ चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। खुद को जिंदा साबित करने के लिए संतोष ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए महाराजपुर विधानसभा सीट से नामांकन कराया था, लेकिन उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया है।
गले की तख्ती
मेरा नाम संतोष मूरत सिंह है। उत्तर प्रदेश सरकार मुझे मृत घोषित कर चुकी है, लेकिन मैं जिंदा हूं। बीस वर्षों से अपने आप को जीवित घोषित करने के लिए तमाम जद्दोजहद कर रहा हूं, लेकिन आज तक सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी है। मैं नामांकन भरने के लिए कानपुर आया। कानपुर में मैंने मंगलवार को नामाकंन भी किया था।
जहां मरे हो वहीं जाओ
संतोष ने बताया कि रिटर्निंग ऑफिसर ये कह कर भेज देते हैं कि जहां पर मरे हो वही पर जाकर नामाकंन भरो तो वही से जिंदा हो जाओगे। यहां क्यों मरने के लिए चले आए हो। ये बताइए कि ये लोकतंत्र है या फिर षड्यंत्र है। मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। मुझे लग रहा है कि विपक्षी लोगों का दबाव है। इस लिए हमारा पर्चा कैंसिल कर दिया गया। मेरे साथ यहां भी अन्याय हो रहा है। बीस वर्षों से मैं कागजों में मरा हुआ हूं। मुझे गूगल में भी सर्च किया जा सकता है। मेरे बीस वर्षों का संघर्ष आप गूगल पर भी देख सकते हैं।
सत्ताधारी मुर्दों से डरते हैं
संतोष ने कहा कि गांव में जमीन हमारी कब्जा तुम्हारा, हमें मृतक दिखाकर जमीन हड़प ली गई है। मैं गले में तख्ती लगाकर बीस वर्षों से दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना दिया है। जितना भी मुझसे हुआ सब करते चले आ रहे हैं, लेकिन आज दिन तक सुनवाई नहीं हुई है। जनसंघ पार्टी से हमें पहली बार टिकट मिला था। पहले हम निर्दलीय नामांकन करते चले आ रहे थे। कानपुर की महाराजपुर विधानसभा सीट से नामाकंन किया था। मेरा नामांकन कैंसिल कर दिया गया, मेरे साथ बीस वर्षों से अन्याय हो रहा है। सत्ता में जो लोग बैठे हैं, मुर्दे से डरते हैं। इसलिए पुलिस को आगे करते हैं।