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MSP Committiee After Assembly Elections 2022 : क्या चुनावी झुनझुने की तरह MSP के वादे का इस्तेमाल करना चाहती है मोदी सरकार?

Janjwar Desk
5 Feb 2022 7:11 AM GMT
MSP Committiee After Assembly Elections 2022 : क्या चुनावी झुनझुने की तरह MSP के वादे का इस्तेमाल करना चाहती है मोदी सरकार?
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(केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा एमएसपी पर चुनावों के बाद गठित होगी कमिटी)

MSP Committiee After Assembly Elections 2022 : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद एमएसपी पर एक समिति की घोषणा की जाएगी, उन्होंने यह दोहराया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है....

दिनकर कुमार की रिपोर्ट

MSP Committiee After Assembly Elections 2022 : देश के किसानों के हितों और दुख-दर्द को लेकर मोदी सरकार जरा भी संवेदनशील नहीं है और किसान आंदोलन (Farmers Movement) के खिलाफ दमन चक्र चलाकर वह अपनी बर्बरता का परिचय भी दे चुकी है। मजबूरी में उसने भले ही कृषि क़ानूनों को वापस ले लिया हो मगर अपने पूंजीपति आकाओं के स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए वह किसानों की मांगों को अधर में लटकाए रखने की नीति अपना रही है। ऐसे में चुनाव के बाद एमएसपी (MSP) पर उसका वादा चुनावी हार के भय से उपजा तात्कालिक परोपकारिता का भाव है और वह बाद में आसानी से अपने वादे से मुकर भी सकती है। वैसे भी मोदी सरकार का शासन छल का पर्याय बन चुका है।

केंद्र सरकार (Centre) ने विधानसभा चुनावों के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कमेटी बनाने की घोषणा की है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद एमएसपी पर एक समिति की घोषणा की जाएगी। उन्होंने यह दोहराया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्री ने प्रश्नकाल (Question Hour) के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए यह घोषणा की। तोमर ने कहा कि सरकार ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) के मद्देनजर एमएसपी पर समिति की घोषणा के संबंध में चुनाव आयोग को लिखा था। मंत्री के मुताबिक, चुनाव आयोग ने सलाह दी है कि एमएसपी पर कमेटी की घोषणा राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द करने की घोषणा करते हुए कहा था कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। तोमर ने कहा, "पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री ने फसल विविधीकरण, प्राकृतिक खेती और एमएसपी को प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए समिति के गठन की घोषणा की है। सरकार पीएम द्वारा की गई घोषणा के लिए प्रतिबद्ध है। मामला मंत्रालय के विचाराधीन है और समिति की घोषणा विधानसभा चुनाव के बाद की जाएगी।"

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में... 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा। पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में एक ही दिन 14 फरवरी को वोटिंग होगी। मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को दो चरणों में चुनाव होंगे। उत्तराखंड की 70 सीटों, उत्तर प्रदेश की 403 सीटों, पंजाब की 117, मणिपुर की 60 और गोवा की 40 सीटों पर वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी।

दूसरी तरफ 1 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) ने एक विज्ञप्ति में कहा कि केंद्र सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ धोखा किया है क्योंकि बजट ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और किसानों की आय दोगुनी करने के खोखले वादों को उजागर किया है।

मोर्चा ने कहा, यह बजट संघर्षरत किसानों से एमएसपी गारंटी अधिनियम के लिए आंदोलन तेज करने का आह्वान है। एसकेएम (SKM) के मुताबिक एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद पिछले साल की तुलना में कम हुई है और लाभान्वित किसानों की संख्या में भी 17 फीसदी की गिरावट आई है। एसकेएम ने कहा कि खरीदी गई मात्रा में सात प्रतिशत की गिरावट आई है।

संगठन ने कहा, "अन्य फसलों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने और एमएसपी गारंटी पर कोई शब्द नहीं है।" संगठन के अनुसार, कुल बजट में कृषि और संबद्ध गतिविधियों का हिस्सा 4.3 प्रतिशत से गिरकर 3.8 प्रतिशत हो गया।

"पिछले डेढ़ वर्षों में किसानों के अभूतपूर्व आंदोलन के बाद देश के किसानों को उम्मीद थी कि एक संवेदनशील सरकार इस बजट में विशेष प्रभावी उपाय लेकर आएगी, ताकि उनकी लाभकारी कीमत न मिलने, फसल के नुकसान का सामना करने की स्थिति को दूर किया जा सके," संगठन ने कहा।

किसानों ने आरोप लगाया कि 2015-16 के लिए बेंचमार्क कृषि घरेलू आय 8,059 रुपये थी और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए इसे वास्तविक रूप से दोगुना करने का वादा किया गया था। हालांकि, 2018-19 में, औसत कृषि घरेलू आय केवल 10,218 रुपये थी। किसान नेताओं ने कहा कि 2022 में आय अभी भी 12,000 रुपये प्रति माह से कम है, जो आय को दोगुना करने के लक्ष्य से बहुत दूर है।

उन्होंने दावा किया कि बजट भाषण में केवल 1.63 करोड़ किसानों से धान और गेहूं की खरीद का उल्लेख किया गया है, जो देश के सभी किसानों का लगभग 10% है।

"जबकि वित्त मंत्री ने गर्व से घोषणा की कि 2021-22 में गेहूं और धान की खरीद में 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं और धान शामिल होंगे, और 2.37 लाख करोड़ सीधे उनके खातों में एमएसपी मूल्य का भुगतान करेंगे, ये आंकड़े 2020-21 की तुलना में कम है, जब 197 लाख किसानों से 1286 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई, और किसानों को 2.48 लाख करोड़ का भुगतान किया गया।"

एसकेएम के अनुसार इस वर्ष मूल्य समर्थन योजना-बाजार हस्तक्षेप योजना के लिए आवंटन 1500 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले वर्ष वास्तविक व्यय 3596 करोड़ रुपये था। 50,000 से 75,000 करोड़ रुपये के बीच की तुलना में ये राशियाँ नगण्य हैं, जो कि एमएसपी और देश भर के बाजारों में किसानों द्वारा प्राप्त वास्तविक मूल्य के बीच अनुमानित कमी है।

एसकेएम ने बजट की निंदा की और किसानों से एमएसपी और अन्य मुद्दों के लिए एक और संघर्ष में भाग लेने का आह्वान किया।

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